मलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो लगभग हर विकासशील देशों में मुसीबत बनकर तांडव मचाती है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने मलेरिया का नया टीका बनाया है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंजूरी देते हुए इसे टीकों की लिस्ट में शामिल कर दिया है.
वर्ल्ड चेंजर माने जा रहे इस टीके को भारत के सीरम इंस्टीट्यूट में बनाया गया है और इस टीके ने WHO के 75 लक्ष्य को पूरी सफलता से पास किया है. इस टीके का नाम R21/Matrix-M है. इसे सीरम इंस्टीट्यूट ने प्रोड्यूस किया है और ऑक्सफोर्ड यूनिर्वसिटी ने इसे बनाया है. आपको बता दें कि घाना वो पहला देश है जहां की फूड एंड ड्रग्स अथॉरटी ने इस टीके को 5-36 माह के बच्चों को लगाने के लिए मंजूरी दे दी है. देखा जाए तो इसी उम्र के ज्यादातर बच्चे मलेरिया जैसी बीमारी की चपेट में आते हैं.
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मलेरिया की दूसरी वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाई
R21/Matrix-M मलेरिया की दूसरी वैक्सीन है जिसे डब्ल्यूएचओ ने प्रीक्वालिफाइड लिस्ट में शामिल किया है. इससे पहले आई वैक्सीन को पिछले साल मंजूरी दी गई थी. इस वैक्सीन के आने के बाद डॉक्टरी समुदाय ने उम्मीद जताई है कि कम कीमत और आसानी से उपलब्ध होने की वजह से ये टीका ज्यादा से ज्यादा बच्चों को मलेरिया से बचाकर सुरक्षा घेरे में लाने में कामयाब होगा.
वैक्सीन को बनाने में लगे 30 साल
डब्ल्यूएचओ के वैक्सिनेशन और बायो विभाग के निदेशक डॉ. केट ओ’ब्रायन के अनुसार ‘R21 टीके ने प्रीक्वालिफिकेश पास कर लिया है. ये एक अच्छी और राहत भरी खबर है. आज दुनिया भर में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी तरक्की हो रही है. संगठन मलेरिया के कहर वाले देशों में बच्चों को इस जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है.
बता दें कि R21 टीके को लेकर डब्ल्यूएचओ ने पूरा गहन निरीक्षण किया है. डेटा का अध्ययन, नमूनों की जांच के साथ साथ रिसर्च और डेवलपमेंट से जुड़े हर मुद्दे पर पूरी छानबीन की गई है. जब इसका रिजल्ट पूरी तरह पॉजिटिव आया है, तभी इस् प्रीक्वालिफाइड वैक्सीन की लिस्ट में डाला गया है. इस टीके को डेपलप करने वाली ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इसे बनाने में पूरे तीस साल लगाए हैं.