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भारत सहित दुनियाभर में कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों से 20-50% बढ़ी मौत की दर, रखें ख्‍याल

World Heart Day 2024: आजकल की लाइफस्‍टाइल और खराब खान-पान की वजह से लोग कई बीमारियों का शिकार होते जा रहे हैं। कार्डियोवैस्कुलर बीमारी या दिल की बीमारी, दिल और ब्लड सर्कुलेशन काफी अधिक प्रभावित करता है। इसमें कई तरह की स्थितियां आती हैं, जिसे कार्डियोवैस्कुलर बीमारी कहा जाता है। दिल से जुड़ी बीमारी, दिल में जाने वाली ब्लड सर्कुलेशन में दिक्कत होना। इसमें कई तरह की स्थितियां हो सकती है, जैसे- कोरोनरी नसों में होने वाली बीमारी (CAD), जिसे कोरोनरी हार्ट की बीमारी (CHD) भी कहते हैं।

Heart Care करना सबसे ज्यादा जरूरी, इसे मत बनने दीजिए अपनी मजबूरी

सेरेब्रोवैस्कुलर बीमारी, परिधीय धमनी रोग (पीडीए), महाधमनी एथेरोस्क्लेरोसिस, अतालता या अनियमित हृदय गति, कार्डियोमायोपैथीज़, हृदय की मांसपेशियों की बीमारी, हार्ट फेल, हार्ट में वाल्व की बीमारी, पेरिकार्डियल बीमारी, आमवातीय हृदय रोग (आरएचडी) होते हैं। कार्डियोवैस्कुलर बीमारी, जिसे दिल की बीमारी भी कहा जाता है। हृदय और ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करने वाली स्थितियों का एक समूह है, इनमें से कुछ स्थितियां ये हैं।

भारत में दिल की बीमारी की स्थिति

बीते आठ सालों में 45 से कम उम्र वाले लोगों में कोरोनरी आर्टरी डिसीज़ (CAD) के मरीजों की संख्या  100 प्रतिशत (3.5%-8.7%) तक बढ़ गई है। वहीं, 25 साल से कम उम्र वाली महिलाओं यानि 25 से 44 साल के बीच की महिलाओं में सीएडी बीमारी मिली है। भारत में सीएडी यानी 45 से 54 साल की उम्र वाली महिलाओं में दिल की बीमारी का खतरा अमेरिका की तुलना में सबसे ज्‍यादा पाया गया है। महिलाओं में कोरोनरी आर्टरी बायपास सर्जरी का प्रतिशत पिछले 3-4 साल में 80 के दशक के अंतिम सालों से 90 के दशक के आरम्भिक वर्षों तक 6 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत हुआ है।

हृदय विशेषज्ञ के अनुसार, अक्सर लोग अपनी स्वास्थ्य के प्रति उतने गंभीर नहीं होते हैं। वह खाने-पीने घूमने पर ज्यादा खर्च कर देंगे, लेकिन मेडिकल टेस्ट पर उतना खर्च नहीं करते हैं। कोरोना के बाद से दिल से जुड़ी बीमारी का खतरा और भी ज्यादा बढ़ा है। लोग एक्सरसाइज की तरफ ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज भी दिल की बीमारी का खतरा बढ़ाता है।

क्या कहते हैं हार्ट स्पेशलिस्ट?

हृदयरोग विशेषज्ञ का कहना है कि लोगों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि अपनी शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर नहीं होते हैं। खाने-पीने घूमने फिरने में ज्यादा खर्च करेंगे, लेकिन शरीर को स्वस्थ रखने में नियमित हेल्थ चेकअप नहीं कराते हैं। हम लोग काम के दबाव के नीचे दबकर प्रेशर कुकर बन गए हैं। आज हम मोबाइल पर बात करते हुए नाश्ता और खाना खाते हैं।

कोरोनावायरस के बाद अचानक हृदयाघात से मृत्यु के मामले काफी बढ़ गए हैं। योग और व्यायाम की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं जा रहा है। कुछ लोग अपने शारीरिक फिटनेस को लेकर इतना जागरुक हैं कि वे जरूरत से अधिक कसरत करने के कारण हार्ट के मरीज बन जाते हैं। उनका कहना है कि 25 सालों में भारत में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टिच्यूट ने रिकॉर्ड 1,60,000 ऐंजिओग्राफी, 80,000 से अधिक हार्ट सर्जरी और 50,000 ऐंजिओप्लास्टी की हैं।

एथेरोस्क्लोरोटिक कार्डियोवैस्कुलर बीमारी (ASCVD)

इस बीमारी में नसों में फैट जमा होने लगता है। धमनियों की दीवारों में प्लाक जमा हो जाता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन में दिक्कत होने लगती है। इससे दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है।

कोरोनरी धमनी रोग (CAD)

यह कोरोनरी संबंधी दिल की बीमारी है जिसे (CHD) भी कहा जाता है।

सेरेब्रो वैस्कुलर रोग

यह एक तरह का हृदय रोग है।

परिधीय धमनी रोग (PAD)

यह एक तरह की दिल की बीमारी है।

महाधमनी एथेरोस्क्लेरोसिस

यह भी एक तरह की दिल की बीमारी है।

दिल की बीमारी के लक्षण

छाती में दर्द

सांस लेने में दिक्कत

दिल की धड़कन में रुकावट

बेहोशी या निकट बेहोशी

मतली आना, उल्टी आना

हमेशा कमजोरी महसूस होना।

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