इन दिनों अगर आप किसी भी पार्क में जाएं या अपने गमलों में देखें तो आपको हरे रंग के छोटे-छोटे पत्तों वाली एक घास नजर आएगी। इस घास का नाम चंगेरी है जिसका वैज्ञानिक नाम है। इस पर पीले रंग के छोटे-छोटे फूल और खट्टे फल आते हैं। आपने बचपन में इसे जरूर चबाया होगा। इसका टेस्ट खट्टा होता है और इसे खाने में काफी मजा आता है।
चंगेरी को उगाना नहीं पड़ता, यह खुद उगती है। क्या आप जानते हैं कि यह पिद्दी सी घास आपको कैंसर सहित गठिया और दिल के रोगों से बचा सकती है। आयुर्वेद में इस घास को जबरदस्त औषधि माना जाता है और कई विकारों के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है।
सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस (CCRAS) के अनुसार, इस पौधे का उपयोग विभिन्न रोगों जैसे इर्रिटेबल बाउल डिसऑर्डर, दस्त, बवासीर, त्वचा रोग आदि में उपचार के लिए किया जाता है। चलिए जानते हैं चंगेरी घास के और क्या-क्या फायदे हैं।
हड्डियों को बनाती है मजबूत
चंगेरी में विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन K और कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम जैसे खनिजों सहित कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये पोषक तत्व समग्र स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं। यह तत्व इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने, हड्डियों को मजबूत करने और शरीर के कामकाज को बेहतर बनाने में सहायक है।
फ्री रैडिकल को करती है बेअसर
चंगेरी में फ्लेवोनॉयड्स और फिनोलिक कंपाउंड जैसे एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट शरीर में मौजूद हानिकारक फ्री रेडिकल्स को बेअसर करने में मदद करते हैं, जिससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन कम होती है।
हार्ट डिजीज के लिए फायदेमंद
चंगेरी में एंटीऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा होती है और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थों का नियमित सेवन दिल के रोग, कैंसर और तंत्रिका संबंधी विकारों जैसी पुरानी बीमारियों से बचाने में मदद कर सकता है।
कब्ज और बवासीर का इलाज
इसका खट्टा स्वाद ऑक्सालिक एसिड के कारण होता है, जो पाचन एंजाइमों के उत्पादन को उत्तेजित करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। संतुलित मात्रा में चंगेरी का सेवन अपच, पेट फूलना, कब्ज और बवासीर जैसे लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
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शरीर के विषाक्त पदार्थ करती है बाहर
चंगेरी में मूत्रवर्धक (diuretic) गुण होते हैं, यानी यह पेशाब की मात्रा बढ़ा सकता है और शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह एडिमा और यूटीआई से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है।
गठिया और सूजन का इलाज
चंगेरी में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण हो सकते हैं। पौधे में पाए जाने वाले ये तत्व शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, जो गठिया, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD) और हृदय रोग जैसी विभिन्न पुरानी बीमारियों से जुड़ा होता है।
घाव भरने में सहायक
पारंपरिक चिकित्सा में इस घास उपयोग घाव, जलन और त्वचा संक्रमणों के इलाज के लिए किया जाता रहा है। इसके एंटीमाइक्रोबियल गुण संक्रमण को रोकने में मदद कर सकते हैं, जबकि इसके एंटी इंफ्लेमेटरी इफेक्ट सूजन कम करने और ऊतकों की मरम्मत को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
कैंसर कोशिकाओं का करती है नाश
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि चंगेरी में एंटी कैंसर गुण होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसका अर्क कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोक सकता है। मनुष्यों में कैंसर की रोकथाम या उपचार के लिए इसकी प्रभावकारिता और सुरक्षा निर्धारित करने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है।
चंगेरी के नुकसान
चंगेरी घास के फायदे भले ही कई हों, लेकिन याद रखें कि इसमें ऑक्सालिक एसिड भी अधिक मात्रा में होता है। यह एसिड ज्यादा मात्रा में सेवन करने पर नुकसानदेह हो सकता है, खासकर कि जिन लोगों को पहले से किडनी की समस्या या किडनी में स्टोन होने की संभावना रहती है। किसी भी जड़ी-बूटी के इस्तेमाल से पहले, खासकर अगर आपको कोई बीमारी है या आप कोई दवा ले रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें। जंगली पौधों को तोड़ते समय इस बात का ध्यान रखें कि वह किसी साफ और प्रदूषण रहित जगह से लिया गया हो ताकि उन पर किसी तरह की पेस्टीसाइड या प्रदूषक पदार्थ न लगे हों।