बच्चे के लिए बहुत जरूरी हैं ये वैक्सीन, छुपे हैं सेहत के कई राज

भारत में जन्म के बाद से ही सरकार राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत निशुल्क टीके लगवाती है ताकि बच्चे का गंभीर संक्रामक रोगों से बचाव हो सके. इनमें जन्म से ही बीसीजी, डीपीटी के टीके के साथ मम्स, रूबेला, मीजल्स, टिटनेस, ओरल पोलियो ड्रॉप के अलावा ओपीवी और हेपेटाइटिस बी के टीके और कुछ बूस्टर्स आदि लगाए जाते हैं. हालांकि इसके बावजूद कुछ ऐसी गंभीर बीमारियां हैं, जिनकी वैक्सीन भारत में मौजूद भी हैं और आपके बच्चे को इसकी जरूरत भी है लेकिन चूंकि वे राष्ट्रीय टीकाकरण में शामिल नहीं हैं और फ्री नहीं लगते तो अधिकांश लोग उन्हें अपने बच्चों को नहीं लगवाते हैं.
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, इन टीकों को भले ही सरकार नहीं लगवा रही लेकिन इन्हें आप निजी रूप से अपने बच्चों के लगवा सकते हैं और उन्हें स्वस्थ रख सकते हैं. नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन के चीफ डॉ. नरेंद्र कुमार अरोड़ा ने बताया उन 5 वैक्सीन के बारे में जो आपके बच्चों की सेहत के लिए बेहद जरूरी हैं और इन्हें आप किसी भी प्राइवेट क्लीनिक या अस्पताल में जाकर लगवा सकते हैं.
इन्फ्लूएंजा फ्लू की वैक्सीन
छोटे बच्चे अक्सर इन्फ्लूएंजा यानि सीजनल फ्लू की चपेट में आते हैं. जब भी मौसम बदलता है, बच्चों को सर्दी, खांसी, बुखार और जुकाम हो जाता है. ऐसे में मौसमी वायरल संक्रमण से बचने के लिए 5 साल तक के बच्चों को इन्फ्लूएंजा फ्लू की वैक्सीन लगवाई जा सकती है. यह वैक्सीन भारत में उपलब्ध है और इसकी अनुमानित कीमत 1800 से 2000 के बीच है. हालांकि इसे लगवाने से करीब 1 साल तक बच्चे को बार-बार होने वाले वायरल संक्रमण से राहत मिल जाती है.
टायफॉइड का टीका
टाइफॉइड सिर्फ छोटे बच्चों को ही नहीं बल्कि बड़ों को भी होता है. ज्यादातर आबादी कभी कभी इस बीमारी की शिकार हो ही जाती है. टाइफॉइड का टीका भी अपने देश में उपलब्ध है लेकिन चूंकि यह इम्यूनाइजेशन कार्यक्रम में शामिल नहीं है तो इसे भी प्राइवेट तरीके से ही लगवाना होगा. कुछ लोग टॉइफाइड की वैक्सीन को लगवाने में पैसे खर्च होंगे इसलिए नहीं लगवाते हैं. जबकि इसे लगवाना चाहिए. अच्छी बात है कि यह टीका 2 साल की उम्र के बाद कभी भी लगवाया जा सकता है. कोई भी महिला और पुरुष दो तरह से टायफॉइड का टीका ले सकते हैं, पहला है टाइफाइड कंजुगेट वैक्सीन यानि इंजेक्शन के माध्यम से और दूसरा है टीवाई 21 ए यानि ओरल वैक्सीन के रूप में.
रेबीज
पब्लिक हेल्थ में रेबीज का टीका काफी मायने रखता है. कुत्ता, बंदर या बिल्ली के काटने से फैलने वाला रोग रेबीज काफी खतरनाक होता है. भारत में एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई जाती है. खासतौर पर जिन घरों में कुत्ते, बिल्ली पाले जाते हैं, या जिन मुहल्लों और इलाकों में ये जानवर खुले घूमते हैं, वहां के लोगों को यह टीका लगवाना चाहिए.
हेपेटाइटिस ए का टीका
हेपेटाइटिस बी का टीका तो राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में है लेकिन हेपेटाइटिस ए यानि एचएवी वायरस का टीका इस कार्यक्रम में नहीं है और यह फ्री भी नहीं लगता लेकिन इसे लगवाना सही है. इस वैक्सीन को 1 साल की उम्र के बाद कभी भी लगवाया जा सकता है. हेपेटाइटिस ए से होने वाले 70 फीसदी मामलों में लिवर का गंभीर रोग पीलिया होता है यह संक्रमित खाने-पीने से एक दूसरे में भी फैल जाता है. भारत में कई बार इसका आउटब्रेक भी देखा गया है. इसलिए कुछ पैसा खर्च करके अपने बच्चों को एचएवी कवर देना फायदे का सौदा है.
ह्यूमन पैपिलोमा वायरस की वैक्सीन
भारत सरकार ने 9 से 14 साल की लड़कियों को फ्री एचपीवी वैक्सीन देने का फैसला किया है. हालांकि लड़कों को लेकर ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई है लेकिन एक्सपर्ट की मानें यह दोनों के लिए ही जरूरी है. इसे लड़के और लड़कियों दोनों को ही शारीरिक संपर्क में आने से पहले दे दिया जाए तो यह बहुत ज्यादा कारगर है.
हाल ही में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से बनाई गई एचपीवी की वैक्सीन को बच्चे ही नहीं महिलाएं 46 की उम्र तक लगवा सकती हैं, वहीं पुरुष भी इस वैक्सीन को बेस्ट रिजल्ट के लिए 26 साल की उम्र से पहले-पहले या इससे ज्यादा उम्र में भी लगवा सकते हैं.