ज्यादातर लोग रात में सोने से पहले एक बार बाथरूम जरूर जाते हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो नहीं जाते हैं उनके शरीर में पर क्या असर पड़ता है? आइए जानते हैं.
आप दिन में खूब पानी पीते हैं. जो जितना पानी पीता है उसके शरीर से उतनी ही ज्यादा गंदगी बाहर निकल जाती है. जब कोई व्यक्ति टॉयलेट करता है तो उसके शरीर से टॉयलेट के जरिए गंदगी बाहर निकल जाती है. लेकिन अगर आप रात के वक्त टॉयलेट नहीं करते हैं तो काफी देर तक गंदगी पेट में रह जाती है. जिसके कारण कई सारे इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है.
रात के वक्त टॉयलेट नहीं करते हैं तो सांस लेने और पाचन संबंधी दिक्कतें हो सकती है. टॉयलेट को ज्यादा देर तक ब्लैडर में नहीं रखनी चाहिए. इसके कारण ब्लैडर और दिमाग दोनों काफी ज्यादा डिस्टर्ब हो जाता है. सोने से पहले ज्यादा पानी न पिएं. अगर पीते भी हैं तो टॉयलेट करने के बाद ही सोएं क्योंकि टॉयलेट को पेट में रखने से कई तरह की समस्याएं शुरू हो सकती हैं.
गॉल ब्लैडर और दिमाग कुछ इस तरह करता है काम
गॉल ब्लैडर दो तरह से काम करता है. अगर इसमें टॉयलेट भर जाता है तो उसे ठीक ढंग से खाली करना चाहिए. जैसे ही ब्लैडर में टॉयलेट भरता है तो दिमाग सिग्नल देता है कि उसे खाली कर देना चाहिए.
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आमतौर पर अमेरिका में जब बच्चा 3 या 4 साल की उम्र में होता है तो बच्चे सीखते हैं कि स्वेच्छा से शौचालय का उपयोग कैसे किया जाए. इसका मतलब यह है कि जब मूत्राशय भर रहा है तो वे महसूस कर सकते हैं और उनका मस्तिष्क उस संकेत को समझ सकता है.
स्लीप मोड में होता है कुछ ऐसा
अधिकांश बच्चे दिन में काफी ज्यादा बाथरूम का इस्तेमाल करते हैं. वहीं अगर आप रात में सोने से पहले बाथरूम नहीं जाते हैं तो आपका दिमाग सिग्नल देता है. जिसके कारण आपकी नींद भी खराब हो सकती है.
अगर कोई तेज़ आवाज़ या तेज़ रोशनी होती है तो शरीर इसे महसूस करता है और रिएक्ट करता है. लेकिन नींद के दौरान, शरीर शायद वह शोर नहीं सुन पाता. कल्पना कीजिए कि आपको टॉयलेट लगी है लेकिन आप पूरी रात उसे रोके हुए हैं. तो इसके कारण आपका दिमाग भी काफी ज्यादा डिस्टर्ब हो सकता है.