सर्दी का मौसम स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियां अपने साथ लेकर आता है और उम्र कोई भी हो, किसी न किसी बीमारी का खतरा हर व्यक्ति को बना रहता है। लेकिन ठंड के मौसम में बीमारियां होने का ज्यादा खतरा बुजुर्ग और बच्चों में होता है। छोटे बच्चों को सर्दियों के मौसम में ठंड से बचाकर रखना मुश्किल हो जाता है और इस कारण से उन्हें संक्रमण आदि का खतरा भी काफी रहता है।
अक्सर देखा गया है कि ठंड का मौसम आते ही बच्चों को कान में संक्रमण होने लगता है, जिसका जल्द से जल्द इलाज करना जरूरी है क्योंकि बाद में यह गंभीर स्थिति पैदा कर देता है। बच्चे के कान में संक्रमण के कुछ शुरुआती लक्षणों को इग्नोर करना भी बाद में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है।
क्या है कान में संक्रमण
कान में इन्फेक्शन एक गंभीर समस्या है, जिसे मेडिकल भाषा में ओटाइटिस (Otitis) कहा जाता है। कान में होने वाला संक्रमण कान के बाहरी या अंदरूनी हिस्से किसी को भी प्रभावित कर सकता है और कई बार यह कान के दोनों हिस्सों को ही प्रभावित कर देता है। सर्दियों के मौसम में बच्चों के कान में संक्रमण होने का खतरा ज्यादा बढ़ सकता है।
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कान में संक्रमण के कारण
कान में होने वाला संक्रमण ज्यादातर मामलों में बैक्टीरिया या वायरस के कारण ही होता है। कान में संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया में स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा बैक्टीरिया प्रमुख है। वहीं वायरस से होने वाले ईयर इन्फेक्शन में इन्फ्लूएंजा वायरस और एडीनोवायरस प्रमुख हैं, जो कान में संक्रमण का कारण बनते हैं।
कान में संक्रमण के लक्षण
कान में संक्रमण होने पर विकसित होने वाले लक्षण काफी स्पष्ट होते हैं, लेकिन इससे होने वाले लक्षण कई बार अन्य सामान्य बीमारियों का संकेत होते हैं, जिन्हें लोग इग्नोर कर देते हैं। बच्चों के कान में संक्रमण होने पर विकसित होने वाले कुछ प्रमुख लक्षणों में निम्न शामिल हैं –
- कान में दर्द रहना
- कान से द्रव बहना
- चिड़चिड़ापन
- बुखार आना
- नींद न आना या बार-बार जागना
कान में संक्रमण का इलाज
कान में संक्रमण का इलाज करने के लिए डॉक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी है। अगर आपको बच्चो को ऊपर बताए लक्षणों में से कोई भी महसूस हो रहा है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए। डॉक्टर पहले कान में संक्रमण के कारण का पता लगाते हैं और उसके बाद दवाएं देना शुरू करते हैं। कान में संक्रमण का इलाज करने के लिए दी गई दवाओं का कोर्स पूरा करना जरूरी होता है। ऐसा न करने पर इन्फेक्शन कुछ दिन बाद फिर से विकसित होने लगता है।