दिल्ली के साथ ही पूरे उत्तर भारत में इस समय कड़ाके की ठंड पड़ रही है। घने कोहरे के साथ पारा लगातार गिरता जा रहा है। ऐसे में आम लोगों को जहां ठंड से बचना चाहिए, वहीं कुछ बीमारी वाले लोगों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। दरअसल, सर्दियां उन लोगों के लिए खतरनाक हो सकती हैं जिन्हें न्यूरो से जुड़ी समस्याएं हैं। ये मौसम तंत्रिका तंत्र से जुड़ी बीमारियों को बढ़ावा देता है।
किस बीमारी वाले लोगों को ज्यादा खतरा
बढ़ सकते हैं पार्किंसंस के लक्षण
ठंड, न्यूरोलॉजिकल विकारों वाले व्यक्तियों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है और कई बीमारियों के लक्षणों को बढ़ा सकता है। जैसे कि मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस) जैसी स्थितियों वाले व्यक्तियों के लिए, गर्मी का मौसम परेशान करने वाला हो सकता है तो, उसी तरह ठंड पार्किंसंस रोगियों के लिए परेशान करने वाला हो सकता है। इस मौसम में नसों में अकड़न बढ़ जाता है और आम दिनों के काम काज में भी दिक्कत आती है।
मांसपेशियों में अकड़न और तंत्रिका संबंधी विकार का खतरा
ठंड में तापमान में कमी आती है और मांसपेशियों में अकड़न बढ़ता है। साथ ही लोगों में मूवमेंट कम होता है और ब्लड सर्कुलेशन धीमा पड़ता है। तंत्रिका संबंधी विकार वाले व्यक्तियों को सर्दियों के दौरान बाहरी गतिविधियों में शामिल होना अधिक चुनौतीपूर्ण लग सकता है, जिससे संभावित रूप से उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
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मिर्गी जैसे रोग बढ़ते हैं
इसके अलावा मौसमी बदलाव नींद के पैटर्न को प्रभावित कर सकते हैं, जो तंत्रिका संबंधी विकारों वाले व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण है। दिन के उजाले में बदलाव से सर्कैडियन लय बाधित हो सकती है, जिससे नींद में खलल पड़ सकता है। मिर्गी जैसे विकार भी नींद के पैटर्न में बदलाव से प्रभावित हो सकते हैं, जिससे संभावित रूप से दौरे पड़ सकते हैं।
इसलिए जितना हो सके उतना खुद को सर्दी से बचाएं। साथ ही इस मौसम में अपने डॉक्टर को एक बार दिखाकर दवाईयां सही से लें। डाइट या एक्सरसाइज के मामले में थोड़ी सी भी लापरवाही न करें। इसके अलावा अपनी नींद के वातावरण को अनुकूलित करें और पूरी नींद लें।