-जॉइंट पेन की समस्या से जूझ रहे पोस्ट कोविड मरीज, फिजियोथेरेपी से मिल रहा आराम
अभिषेक पाण्डेय
लखनऊ: कोरोना संक्रमण से रिकवर होने के बाद भी मरीज़ों को निरंतर कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जोड़ों में दर्द यानी जॉइंट पेन की शिकायत से जूझ रहे मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो मांसपेशियों में दर्द अक्सर मांसपेशियों में सूजन के कारण होता है। कोरोना से रिकवर हुए मरीज़ों में पोस्ट कोविड यह परेशानी बहुत ज्यादा देखी जा रही है। कुछ मरीज़ों को यह दर्द तीन हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक भी रह सकता है। हालांकि, भौतिक चिकित्सा यानी फिजियोथेरेपी की मदद से इन मरीजों का बेहतर उपचार किया जा रहा है।
ये जानकारी हमें लखनऊ के साईं फिजियो सेंटर के संचालक और ऑर्थो फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. ऋषभ निगम ने दी हैं। बातचीत में डॉ. ऋषभ निगम ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह पता चला कि पोस्ट कोविड पेशंट्स में बोन डेंसिटी कम होने की शिकायत है। ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना काल में एक्टिवनेस न के बराबर थी। वहीं, अगर युवाओं की बात की जाए तो कोरोना काल में जब वर्क फ्रॉम होम का कल्चर शुरू हुआ तो खराब पोस्चर की वजह से उनमें जॉइंट पेन की समस्या से जूझना पड़ा। डॉ. ऋषभ ने कई पहलुओं पर खुलकर चर्चा की। पढ़िए इस बातचीत के कुछ अंश…
डॉ. ऋषभ निगम, ऑर्थो फिजियोथेरेपिस्ट, साईं फिजियो सेंटर के संचालक
पहले कोरोना ने बढ़ाई चिंता, अब उसके दुष्प्रभाव कर रहे शरीर को परेशान
डॉ. ऋषभ बताते हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक होने के बाद भी लोग जोड़ों में दर्द, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और जोड़ों में अकड़न जैसी मस्कुलोस्केलेटल समस्याओं से पीड़ित हैं। कोविड-19 से ठीक होने के बाद रि-एक्टिव आर्थराइटिस होने का जोखिम बढ़ जाता है। वहीं, युवाओं में ऐसी समस्याओं की वजह है उनका गलत पोस्चर। युवाओं में सर्वाइकल, बैक पैन (लम्बर पेन) की शिकायतें भी बढ़ती जा रहीं हैं। वहीं, ट्रीटमेंट प्लान के सवाल पर फिजियोथेरापिस्ट डॉ. ऋषभ बताते हैं कि अन्य विधाओं की तरह इस विधा में भी हम सबसे पहले मरीज की परेशानियों के बारे में जानेंगे और उसके हिसाब से ट्रीटमेंट प्लान तैयार करेंगे। उदाहरण के तौर पर अगर मरीज़ सर्वाइकल की शिकायत लेकर आ रहा है तो सर्वाइकल पेन कई तरह के होते हैं। आज के समय में गर्दन में दर्द होना एक आम समस्या बन चुका है।
पहले इस समस्या को केवल अधिक उम्र के लोगों से ही जोड़कर देखा जाता था, लेकिन आज ये समस्या किसी भी उम्र के लोगों में देखी जाने लगी है। जैसे मांसपेशियों में ऐंठन होना। इस स्थिति में व्यक्ति को मांसपेशियों में दर्द महसूस होता है। जब ये दर्द गर्दन में होता है तो मरीज को गर्दन हिलाने में दर्द होता है। इसके साथ ही वह गर्दन को किसी भी दिशा में नहीं घूमा पाता है। ये दर्द मुख्य रूप से सुबह के समय होता है। इस समस्या में स्पाइनल कोर्ड व नसों में चोट लगने की वजह से व्यक्ति को दर्द महसूस होने लगता है।
दूसरा है तेज सिर दर्द। सर्वाइकल पेन में जब रीढ़ की हड्डी में खिंचाव आता है तो इसकी वजह से आपके दिमाग की नसों में भी प्रभाव पड़ने लगता है। ऐसे में व्यक्ति को तेज सिर दर्द होता है। इसमें व्यक्ति को पीछे की ओर ऊपरी गर्दन में मांसपेशियों में ऐंठन महसूस होती है। जिसकी वजह से दर्द सिर तक होने लगता है। नसों में दर्द होने की वजह से व्यक्ति के कंधे व हाथ में हल्की सूजन भी आने लगती है। इस स्थिति में व्यक्ति को कंधे से दर्द पूरे हाथ में होने लगता है। कई व्यक्ति को इस स्थिति में भारी चीज उठाने में भी असमर्थ हो जाते हैं। लोगों को इस समय हाथ को ऊपर की ओर उठाने में भी दर्द महसूस होने लगता है। गर्दन और सिर के जोड़ में तेज दर्द होना। दरअसल, जब रीढ़ की हड्डी में चोट गहराई में लगी होती है तो इससे व्यक्ति को गर्दन और सिर के जोड़े के स्थान पर दर्द महसूस होने लगता है। तो, इन सब जानकारियों को एकत्रित करने के बाद ही हम ट्रीटमेंट प्लान को तैयार करते हैं और उसे लागू करते हैं।
सिर्फ मशीन पर ही निर्भर नहीं है फिजियोथेरेपी
बातचीत में डॉ. ऋषभ ने बताया कि फिजियोथेरेपी सिर्फ मशीनों तक ही सीमित नहीं है। फिजियोथेरेपी में मैनुअल थेरेपी का भी बहुत बड़ा योगदान है। फिजियोथेरापिस्ट के हाथों में भी कलाएं होती हैं। मैनुअल फिजिकल थेरेपी एक विशेष प्रकार की फिजिकल थेरेपी है जो किसी उपकरण या मशीन के बजाय हाथों से की जाती है। मैनुअल थेरेपी में हम मांसपेशियों के ऊतकों पर दबाव डालने और जोड़ों में हेरफेर करने के लिए अपने हाथों का उपयोग करते हैं ताकि मांसपेशियों में ऐंठन, मांसपेशियों में तनाव और जोड़ों की शिथिलता के कारण होने वाले पीठ दर्द को कम किया जा सके। मैनुअल फिजिकल थेरेपी जोड़ों की समस्याओं से जुड़े पुराने पीठ दर्द वाले रोगियों को राहत प्रदान करती है।
अनुशासन होगा अपनाना, फिजियोथेरेपी से जरूर मिलेगा फायदा
डॉ. ऋषभ का कहना है कि पेशंट जब पहली बार थेरेपी कराने आता है तो उसे 30 प्रतिशत आराम मिलता है। पहला सेशन कराने के बाद हम पेशंट को अगले दस से 15 दिन का प्लान तैयार करके देते हैं, जिससे उसे पूरा 100 प्रतिशत फायदा मिले। हालांकि, चार दिन थेरेपी लेने के बाद पेशंट को लगता है कि अब उसे पूरा आराम मिल चुका है और बो बाकी सेशन को स्किप कर देता है। इससे भविष्य में उसे फिर से दर्द उठने के चांसेस बढ़ जाते हैं। मेरी यही सलाह है कि जो भी मरीज फिजियो कराने आ रहा है वो थेरापिस्ट द्वारा दिए गए प्रोटोकॉल का पालन करे। कोर्स पूरा करे और निश्चित तौर पर उसे फायदा मिलेगा, थेरपी को बीच में छोड़कर न जाइए नहीं तो भविष्य में काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।