हर महिला के लिए गर्भावस्था (Pregnancy) और प्रसव का समय कई प्रकार से चुनौतीपूर्ण माना जाता है। यही वजह है कि इन दिनों में हेल्थ एक्सपर्ट सेहत को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहने की सलाह देते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान डायबिटीज (Diabetes) का खतरा रहता है। वहीं, बच्चे के जन्म के बाद शरीर में कई प्रकार के रासायनिक बदलाओं के कारण भी कई बीमारियां जन्म ले सकती है। पोस्टमार्टम डिप्रेशन (Postmortem Depression) ऐसी ही तेजी से बढ़ती एक समस्या है, जिसका खतरा बीते एक दशक में तेजी से बढ़ता हुआ देखा गया है।
पोस्टमार्टम डिप्रेशन या प्रसवोत्तर अवसाद (PPD) गंभीर मूड संबंधी विकार है, जो प्रसव के बाद पहले वर्ष के भीतर अधिक देखा जाता रहा है। आंकड़ों के अनुसार, हर आठ महिलाओं में से एक को ये दिक्कत हो सकती है। इसके कारण जीवन में कई तरह की कठिनाइयां आ सकती हैं।
प्रसवोत्तर अवसाद की समस्या
क्या आप भी प्रसव के बाद कुछ समय से असामान्य उदासी महसूस कर रही हैं? अक्सर मूड स्विंग होता है, रोने का मन करता है या अत्यधिक थकान महसूस करती रहती हैं? अगर हां, तो सावधान हो जाइए, ये पोस्टमार्टम डिप्रेशन का संकेत हो सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं, प्रसवोत्तर अवसाद एक गंभीर स्थिति है जो कई महीनों तक रह सकता है। यदि समय पर इसका निदान और उपचार न किया जाए तो कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं हो सकती हैं।
पोस्टमार्टम डिप्रेशन के लक्षण
यदि आपको पोस्टमार्टम डिप्रेशन की समस्या है तो आप अकेले ऐसी नहीं हैं, दुनियाभर में बड़ी संख्या में महिलाएं इसकी शिकार हैं। बस समय पर इसके लक्षणों की पहचान और इलाज आवश्यक है। यदि आपको इस तरह की कोई दिक्कत हो रही है तो किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें।
अक्सर दुखी, निराश या खुद को दोषी महसूस करना।
अत्यधिक चिंता बने रहना।
जिन चीजों में पहले रुचि थी अब उसमें बिल्कुल मन न लगना।
भूख न लगना और ऊर्जा में कमी होना।
बिना किसी कारण के अत्यधिक रोना आना।
सोचने या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई।
आत्महत्या के विचार आना (ये गंभीर संकेत माना जाता है।)
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पोस्टमार्टम डिप्रेशन हो तो क्या करें?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ (Health Expert) कहते हैं, जिन लोगों में पोस्टमार्टम डिप्रेशन का निदान किया जाता है, डॉक्टर उन्हें कुछ दवाओं और थेरेपी की सलाह दे सकते हैं। दवाओं और थेरेपी के संयोजन से लक्षणों के कम करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा लाइफस्टाइल और आहार में बदलाव करना भी डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में लाभकारी है। स्वस्थ जीवनशैली और शारीरिक गतिविधि को दिनचर्या का हिस्सा बनाने से समस्याओं को कम करने में मदद मिल सकती है।