फ्रांस के वैज्ञानिकों ने दिमाग की जांच करने वाली एक बहुत ही ताकतवर मशीन बनाई है! ये मशीन इतनी ताकतवर है कि दिमाग का इतना बारीकी से नक्शा बना सकती है जितना पहले कभी नहीं हो पाया. इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि हमारा दिमाग कैसे काम करता है और दिमाग से जुड़ी बीमारियों का इलाज ढूंढने में भी मदद मिलेगी.
फ्रांस की परमाणु ऊर्जा आयोग (CEA) के वैज्ञानिकों ने सबसे पहले इस मशीन का इस्तेमाल 2021 में एक कद्दू की तस्वीर लेने के लिए किया था. अब उन्हें इंसानों के दिमाग को स्कैन करने की इजाजत मिल गई है. पिछले कुछ महीनों में, लगभग 20 स्वस्थ लोगों ने सबसे पहले इस नई मशीन में अपने दिमाग का स्कैन करवाया है. ये मशीन पेरिस के दक्षिण में पठार डे सैकले इलाके में स्थित है, जहां कई टेक्नोलॉजी कंपनियां और यूनिवर्सिटीज हैं.
दस गुना अधिक ताकतवर
इस मशीन का नाम इसेल्ट है. ये अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाली MRI मशीनों से 10 गुना ज्यादा ताकतवर है. अस्पताल वाली MRI मशीनें 3 टेस्ला की ताकत से काम करती हैं, जबकि इसेल्ट 11.7 टेस्ला की ताकत से काम करती है. टेस्ला चुंबकीय शक्ति को मापने की इकाई है. इसका नाम वैज्ञानिक निकोला टेस्ला के नाम पर रखा गया है.
यह भी पता लगाएगी मशीन
इस ताकतवर मशीन से दिमाग की इतनी बारीकी से जांच की जा सकती है कि दिमाग को खून पहुंचाने वाली छोटी से छोटी नसों को भी देखा जा सकता है. साथ ही दिमाग के पिछले हिस्से की बनावट के बारे में भी ज्यादा जानकारी मिल सकेगी. ये ऐसी चीजें हैं जिन्हें पहले की MRI मशीनों से देखना मुश्किल था.
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अल्जाइमर जैसी बीमारियों पर रिसर्च
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस मशीन की मदद से अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी बीमारियों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी. साथ ही मानसिक बीमारियों जैसे डिप्रेशन और स्किजोफrenia पर भी रिसर्च की जा सकेगी.
आम लोगों के लिए नहीं है ये
फिलहाल, आम लोगों के लिए इस मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. ये मशीन बीमारियों की जांच के लिए नहीं बनाई गई है. लेकिन वैज्ञानिकों को इससे जो जानकारी मिलेगी, उसका इस्तेमाल भविष्य में अस्पतालों में किया जा सकता है. आने वाले कुछ महीनों में और स्वस्थ लोगों को इस मशीन में दिमाग का स्कैन करवाने के लिए चुना जाएगा.
कैसी दिखती है मशीन?
ये मशीन एक बड़े बेलनाकार (Cylinder) आकार की होती है, जो लगभग 5 मीटर लंबी और ऊंची होती है. इसके अंदर एक बहुत बड़ा चुंबक लगा होता है, जिसका वजन 132 टन होता है! ये चुंबक इतना ताकतवर होता है कि इसे चलाने के लिए 1500 एम्पियर की बिजली की जरूरत पड़ती है. इस बेलनाकार के बीच में एक ऐसा स्थान होता है जहां पर इंसान लेट सकता है. ये जगह लगभग 90 सेंटीमीटर चौड़ी होती है.
मशीन बनाने में कितना समय लगा?
इस मशीन को बनाने में फ्रांस और जर्मनी के इंजीनियरों को लगभग 20 साल लग गए. अमेरिका और दक्षिण कोरिया भी इतनी ही ताकतवर MRI मशीन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इस ताकतवर मशीन का एक मुख्य लक्ष्य ये समझना है कि हमारा दिमाग कैसे काम करता है और दिमाग के कौन से हिस्से किन कामों के लिए जिम्मेदार होते हैं.