दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की कवायद तेज हो गई है. दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल एक रिपोर्ट में राजधानी के मौजूदा स्वास्थ्य व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की सिफारिश की गई है. आईएलबीएस निदेशक डॉ. एस के सरीन की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय समिति ने 267 पेज की अंतरिम रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दिया है.
इस रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल एलएनजेपी सहित कई और अस्पतालों के ओपीडी टाइमिंग, फ्री में दवा, ICU बेड के साथ-साथ नर्सिंग स्टॉफ, टेक्नीशियन और डॉक्टरों की कमी को लेकर एक पूरा रिपोर्ट तैयार किया गया है. आचार संहिता के बीच हाईकोर्ट इस रिपोर्ट को लागू कर सकती है. ऐसे में जानते हैं आने वाले दिनों में दिल्ली के स्वास्थ्य व्यवस्था में क्या-क्या बदलाव हो सकते हैं?
डॉ सरीन के नेतृत्व वाली सुधार समिति ने अपनी रिपोर्ट में दिल्ली के अस्पतालों के प्रमुख कमियों को बताया है और इसके लिए तत्काल ही कार्रवाई की आवश्यकता बताया है. फिलहाल, दिल्ली के अस्पतालों में मेडिकल पेशेवरों की भारी कमी है. महत्वपूर्ण विभाग के डॉक्टर भी दिल्ली के अस्पतालों में नहीं है. इसके साथ ही पर्याप्त आईसीयू बेड्स और वेंटलेटर के को चलाने वालों की कमी है. अस्पतालों में आम लोगों के लिए रेफरल प्रणाली नहीं हैं. अस्पतालों में दवा, सर्जिकल सामग्रियों की कमी है.
दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग में बड़ा परिवर्तन करने की तैयारी
डॉ सरीन ने रिपोर्ट में कहा है कि आदर्श आचार संहिता लगने के बावजूद इस रिपोर्ट को 30 दिनों के भीतर लागू किया जाना चाहिए. इसके लिए समिति ने तीन प्लान सुझाए हैं. पहला, अल्पकालिक अवधि के लिए यह प्लान 31-90 दिनों के भीतर लागू किया जाए. दूसरा, 91-365 दिनों के भीतर और तीसरा दीर्घकालिक 1-2 वर्षों के भीतर लागू किया जाना चाहिए.
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कमिटी ने कहा है कि इसको लेकर तत्काल उपाय, सलाहकारों का तैनाती, अप्रयुक्त उपकरणों को उन सुविधाओं में स्थानांतरित करना जहां विशेषज्ञता उपलब्ध है, वहां गैर-कार्यात्मक उपकरणों को कार्यात्मक बनाया जाना चाहिए. यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि चौबीसों घंटे काम करें. ओपीडी पंजीकरण और दवा वितरण काउंटरों का कंप्यूटरीकरण किया जाना भी जरूरी है. आईसीयू और एचडीयू बेड सही समय पर लोगों को मिले इसके लिए कंट्रोल रुम बनाने की जरूरत है. इसे साथ ही दिल्ली के अस्पतालों में तुरंत ही 1024 आईसीयू बेड जोड़े जाएंगे.
दिल्ली के अस्पतालों में सालों से कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई है.खासकर रेडियोलॉजी, एनेस्थीसिया, क्रिटिकल केयर, ऑर्थोपेडिक्स, न्यूरोसर्जरी आदि में निजी विजिटिंग सलाहकारों का पैनल बनाया जाए. रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट पीपीपी मोड पर काम शुरू किया जाए, जिससे लोगों को जांच में लंबा वक्त नहीं लगे. इसके लिए तुरंत ही 50 प्रतिशत रिक्त पदों को भरा जाना चाहिए. इन पदों पर नियुक्ति के लिए यूपीएससी आदि के माध्यम से परीक्षा लिया जाना चाहिए.