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World Asthma Day 2024 : अस्थमा रोगी हैं तो रहें Alert, जरा सी लापरवाही बिगाड़ सकती है तबीयत

अस्थमा, श्वसन की गंभीर समस्याओं में से एक है, इसके कारण सांस लेना भी कठिन हो जाता है। अस्थमा के रोगियों के वायुमार्ग बेहद संवेदनशील होते हैं और मौसम के बदलाव के कारण इनमें सूजन की समस्या बढ़ जाती है। अस्थमा के कारण सांस लेते समय खांसी-घरघराहट और सीने में जकड़न जैसी दिक्कत होने लगती है। श्वसन रोग विशेषज्ञ कहते हैं, जिन लोगों को अस्थमा की समस्या है उन्हें निरंतर इसके जोखिम कारकों से बचाव करते रहने के लिए उपाय करते रहना चाहिए।

इसी जागरूकता को बढ़ाने के लिए दुनिया भर में हर साल सात मई को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 में दुनियाभर में करीब 4.5 लाख लोगों की अस्थमा से मौत हो गई। सेहत के लिहाज से काफी अहम यह दिन हर साल ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (GINA) द्वारा आयोजित किया जाता है, जिसे 1993 में विश्व स्वास्थ्य संगठन का समर्थन भी मिला था। इस दिन को मनाने की पीछे का मकसद है, सांस से जुड़ी इस बीमारी को लेकर दुनिया भर में जागरूकता के साथ इसकी रोकथाम और देखभाल को बढ़ावा देना।

आज विशेषज्ञों के माध्यम से अस्थमा से जुड़ी हर वो जानकारी मुहैया कराई जाएगी जिसकी समाज में जरूरत है। आपको बता दें कि विश्व अस्थमा दिवस 2024 की थीम ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा की ओर से अस्थमा शिक्षा सशक्तिकरण रखी गई है।

आरोग्य इंडिया प्लेटफोर्म से जुड़े हैं डॉ आर.ए.एस कुशवाहा जो केजीएमयू लखनऊ में रेस्पिरेटरी मेडिसिन के प्रोफेसर हैं। इनसे जानते हैं कि आखिर अस्थमा है क्या? अस्थमा का अटैक पड़ने पर क्या करना चाहिए, अस्थमा की दवाइयां कितनी जरूरी हैं?

Dr. R.A.S. Kushwaha (MD) Professor, Respiratory Medicine Dean, Student Welfare Former Chief Proctor, Former Chief Provost KGMU

अस्थमा जिसे आम भाषा में दमा रोग कहा जाता है। इस रोग के होने पर मरीज की सांस फूलती है, सीने में जकड़न महसूस होती है, सूखी खांसी आती है और सीने में घरघराहट की आवाज महसूस होती है। यह बीमारी किसी भी उम्र में शुरू हो सकती है लेकिन ज्यादातर केस बचपन और यंग एज में शुरू होते हैं। अस्थमा का जब दौरा पड़ता है तो उस समय सांस की नलियों में रुकावट होती है।

ये तो हुई सामान्य जानकारी, अब जानते हैं कि आखिर बच्चों में अस्थमा कैसे घर करता है? बचपन में अस्थमा की दवाइयां कितनी महतवपूर्ण होती हैं? इसके बारे में जानते हैं लखनऊ के प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ डॉ संजय निरंजन से…

डॉ संजय निरंजन बताते हैं कि सांस की बीमारी बड़े और बच्चों दोनों में होती है। इसके लक्षणों में खांसी होना, सांस फूलना, ऑक्सीजन की कमी होना शामिल है। इसमें भी एक रेंज होती है किसी को ये ज्यादा होती है तो किसी को कम होती है। अगर बहुत ज्यादा कमी हो जाये तो ये जानलेवा हो सकती है। इसका इलाज संभव है, इसके इलाज से करीब से करीब हम नॉर्मल रह सकते हैं।

Dr. Sanjay Niranjan Pediatrician/Child Specialist Lucknow

अस्थमा की बीमारी में इन्हेलर का क्या महत्व है?

इन्हेलर एक दवाई लेने का तरीका है। जैसे आपको सांस की दवाई लेनी है तो इन्हेलर है, स्किन की दवाई स्किन में लगा लेते हैं, आंख की दवाई आंख में डाल लेते हैं, नाक की दवा नाक में डाल लेते हैं। इसी तरह पीने की बजाय, इंजेक्शन की बजाय सांस की दवाई सांस में लेते हैं। तो सांसे की दवाई लेने का सबसे अच्छा तरीका इन्हेलर है।

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