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National Dengue Day : मच्छर काटने के बाद भी नहीं दिखते लक्षण, क्या Homeopathy इलाज कारगर है?

डेंगू एक मच्छर जनित गम्भीर बीमारी है। एडिस मच्छर के काटने से फैलने वाली यह वायरल बीमारी जानलेवा भी हो सकती है। डेंगू के मच्छर लोगों के आसपास ही ठिकाना बनाते हैं और वहीं पनपते हैं।

डॉ. स्वाती राजगोपाल (Consultant – Infectious Disease & Travel Medicine) कहती हैं कि मच्छरों के काटने और डेंगू के लक्षण दिखायी देने के बीच का समय बहुत महत्वपूर्ण है। डेंगू के बुखार के लक्षण शुरूआत के 4-10 दिनों तक तो दिखायी भी नहीं देते और कई बार यह स्थिति 2 सप्ताह तक बनी रह सकती है। इस दौरान वायरस कई गुना तेजी से शरीर में फैल सकता है और यह बीमारी गम्भीर होती जाती है। यह भी जान लें कि हर बार मच्छर के काटने से डेंगू नहीं फैलता लेकिन अगर मच्छर संक्रमित हो और वह किसी व्यक्ति को काट ले तो उस व्यक्ति को डेंगू बुखार हो सकता है।

डेंगू के शुरूआती लक्षण?

डॉ.स्वाती कहती हैं कि सभी लोगों में मच्छर काटने के बाद लक्षण नहीं दिखायी देते। हालांकि, जितनी जल्दी इसके लक्षणों की पहचान हो जाए और बुखार पकड़ में आ जाए तो इससे डेंगू का मैनेजमेंट आसानी से किया जा सकता है।

डेंगू मच्छर काटने के बाद दिखने वाली समस्याएं

बुखार
डेंगू होने पर सबसे पहले तेज बुखार हो सकता है। यह 104°F (40°C) या उससे अधिक डिग्री का भी हो बुखार हो सकता है। इसे ब्रेकबोन फीवर भी कहा जाता है क्योंकि, इसमें तेज बुखार के साथ आंखों के पीथे तेज दर्द भी हो सकता है।

थकान
डेंगू की वजह से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में शक्ति नहीं बचती और वह बहुत अधिक थकान और कमजोरी महसूस कर सकता है। इससे मरीज की स्थिति और गम्भीर हो सकती है।

रैशेज
शरीर पर लाल रंग के रैशेज या चकत्ते भी डेंगू का एक प्रमुख लक्षण हैं। आमतौर पर ये हाथों के पिछले हिस्से में और पैरों पर दिखायी देते हैं।

ब्लीडिंग
डेंगू के बहुत गम्भीर मामलों में नाक से या मसूड़ों से खून बह सकता है। यह स्थिति जब गम्भीर हो जाए तो डेंगू शॉक सिंड्रोम भी हो सकता है। यह एक बहुत ही सीरियस स्थिति है जिसे तुरंत मेडिकल इलाज की जरूरत पड़ सकती है।

होम्योपैथी डॉक्टर क्या कहते हैं?

नोएडा स्थिति होम्योपैथिक क्लीनिक के होम्योपैथिक डॉक्टर अभिजीत बनर्जी का कहना है कि अगर आप डेंगू से ग्रसित हैं, तो होम्योपैथी के माध्यम से डेंगू का इलाज करा सकते हैं। डेंगू के इलाज के लिए आमतौर पर ब्रायोनिया अल्बा, आर्सेनिक एल्बम, लाइकोपोडियम और बेलाडोना जैसी दवाओं को शामिल किया जाता है। इन दवाओं का प्रयोग डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

क्या डेंगू में होम्योपैथी का इलाज कारगर है?

डेंगू के कई गंभीर मामलों का इलाज होम्योपैथिक दवाओं से संभव हो सकता है। ऐसे कई रिपोर्ट्स सामने आए हैं, जिसमें होम्योपैथिक इलाज के माध्यम से डेंगू के मरीजों की संख्या को कम करने में प्रभावी हुआ है।

2001 में ब्राजील में डेंगू के प्रकोप को कम करने के लिए यूपेटोरियम परफोलिएटम का सिर्फ एक खुराक डेंगू के मामलों में लगभग 81.5% की कमी आई। 2007 में एक अन्य प्रकोप में होम्योपैथिक के फॉस्फोरस और क्रोटलस हॉरिडस जैसे ट्रीटमेंट्स से 3 महीनों के अंदर डेंगू के मामलों को लगभग 93% तक कम कर दिया। ऐसे में कह सकते हैं कि होम्योपैथिक इलाज के जरिए आप डेंगू का इलाज कर सकते हैं। हालांकि, किसी भी दवा का प्रयोग करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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