आपने एक ही इंसान के अंदर कई लोगों के रहने के बारे में सुना होगा। भारत में अक्सर इसे भूत-प्रेत का वास समझकर तंत्र-मंत्र जैसी विद्याओं का सहारा लिया जाता है। मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि किसी व्यक्ति के साथ ऐसा एक मानसिक बीमारी के कारण हो सकता है, जिसका नाम डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर (DID) है। पहले इसे मल्टिपल पर्सनालिटी डिसऑर्डर भी कहा जाता था।
DID के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने डॉ पारुल प्रसाद से ख़ास बातचीत की। उन्होंने बताया कि डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर एक ऐसी मानसिक बीमारी है, जिसमें एक इंसान के दो या उससे ज्यादा व्यक्तित्व रहते हैं। इसमें होने वाली परेशानी को डिसोसिएशन कहा जाता है। इसका मतलब है अपनी मानसिक प्रक्रियाएं जैसे सचेत होना, धारणा और याददाश्त से खुद को अलग कर लेना।
DID होने की कई वजहें हो सकती हैं, लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण है ट्रॉमा। इसका मतलब किसी भी तरह का शारीरिक या मानसिक शॉक। आमतौर पर यह बचपन में हुए शारीरिक, मानसिक या सेक्शुअल शोषण से आता है। मेंटल हेल्थ अवेयरनेस मंथ के मद्देनज़र आज हम इसी पर बात करते हैं।
डॉ पारुल प्रसाद बताती हैं कि डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर को मल्टीपल पर्सनालिटी डिसऑर्डर भी कहते हैं। इस पर बहुत मूवीज और सीरीज भी बन चुकी हैं. इसमें एक इंडिविजुअल रहता है बिकॉज ऑफ सम स्ट्रेस, कहीं पर उसको बहुत ज्यादा दबाया गया है, उसके कुछ ऐसे इमोशंस या इच्छायें हैं जो पूरी नहीं हो पाती हैं। तो ऐसी सिचुएशन में वो डिसोसिएट कर जाते हैं, डिसोसिएट कर जाना मतलब अपनी आइडेंटिटी से हटकर एक दूसरी आइडेंटिटी लेना।
उदाहरण के साथ भी इस डिसऑर्डर को समझते हैं
कुछ केसेस में देखने को मिला है एक पेशेंट कई सारी आइडेंटिटी में डिसोसिएट कर जाता है। कभी वो सिंगर बन जाता है तो कभी बिजनेसमैन बन जा रहा है। ऐसा होने पर वो उसी तरह बिहेव करेगा, मतलब एक स्कूल टीचर सिंगर बन जाता है और उसको इस बात का कोई अंदाजा नहीं रहेगा। ऐसा होने पर व्यक्ति की आवाज और बिहेवयर पूरी तरह बदल जाता है। आपको यकीन ही नहीं होगा कि आखिर सच क्या है। घरवाले अक्सर ऐसा देखकर डर जाते हैं और लोग सोचते हैं कि कोई भूत-प्रेक का साया है। जिसकी वजह से प्रॉपर ट्रीटमेंट नहीं कराते।