स्वास्थ्य और बीमारियां

अब नजर के चश्मे से मिलेगा छुटकारा! DCGI ने इस Eye Drop को दी मंजूरी

भारत में चश्मे (रीडिंग ग्‍लास) लगाने वालों के लिए खुशखबरी है, क्‍योंकि बाजार में जल्‍द ही एक नई आई ड्रॉप आने वाली है। भारतीय आई ड्रॉप को ‘ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ से मंजूरी मिल गई है। प्रेस रीलिज में कहा गया कि आई ड्रॉप से ​​न सिर्फ मरीजों को पढ़ने के चश्मे से छुटकारा मिलेगा, बल्कि ड्राई आंखों वाले को भी काफी ज्यादा फायदा मिलेगा।

दवा नियामक एजेंसी ने इस आई ड्रॉप पर दो साल से ज्‍यादा समय तक विचार-विमर्श करने के बाद पढ़ने के चश्मे की जरूरत को खत्म करने के लिए भारत की पहली आई ड्रॉप को मंजूरी दे दी है। मंगलवार को मुंबई स्थित एन्टोड फार्मास्युटिकल्स ने पिलोकार्पाइन का उपयोग करके बनाई गई ‘प्रेसवू’ आई ड्रॉप लॉन्च की गई है। यह दवा पुतलियों के आकार को कम करके ‘प्रेसबायोपिया’ का इलाज करती है, जिससे नजदीक की चीजों को देखने में मदद मिलती है।

उम्र बढ़ने के साथ हो जाता है प्रेसबिओपिया

प्रेसबिओपिया एक ऐसी स्थिति है, जिससे दुनिया भर में 1.09 बिलियन से 1.80 बिलियन लोग प्रभावित हैं। उम्र बढ़ने के साथ प्रेसबिओपिया स्वाभाविक रूप से होता है, जिससे नजदीकी वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है। यह आमतौर पर 40 के दशक के मध्य में शुरू होता है और 60 के दशक के अंत तक अत्यधिक हो जाता है।

सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) द्वारा पहले प्रोडक्ट की सिफारिश किए जाने के बाद ENTOD फार्मास्यूटिकल्स को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से अंतिम मंजूरी मिल गई है। दावा किया गया है कि प्रेस्वू भारत में पहली आई ड्रॉप है, जिसे प्रेसबायोपिया से पीड़ित लोगों में पढ़ने के लिए चश्मे की जरूरत को कम करने के लिए तैयार किया गया है। ड्रोप निर्माताओं ने इस अनूठे फॉर्मूलेशन और इसकी निर्माण प्रक्रिया के लिए पेटेंट के लिए आवेदन किया है। दावा है कि इनका फॉर्मूला न केवल पढ़ने के चश्मे की आवश्यकता को खत्म करता है, बल्कि आंखों के लूब्रिकेशन का काम भी करता है।

सालों तक किया जा सकता है इस ड्रॉप का इस्‍तेमाल

बताया गया है कि इस आई ड्रॉप में एक एडवांस डायनेमिक बफर तकनीक है, जो उसे आंसू के पीएच के लिए जल्दी से अनुकूलित करने की अनुमति देती है, जिससे दीर्घकालिक उपयोग के लिए लगातार प्रभावकारिता और सुरक्षा सुनिश्चित होती है। इस ड्रोप का इस्तेमाल वर्षों तक किया जा सकता है। प्रेस्वू को लेकर डॉ. धनंजय बाखले ने कहा कि प्रेस्वू की स्वीकृति नेत्र विज्ञान में एक आशाजनक विकास है। प्रेसबायोपिया वाले रोगियों के लिए यह आई ड्रॉप एक गैर-आक्रामक विकल्प प्रदान करता है, जो पढ़ने के चश्मे की आवश्यकता के बिना पास वाली दृष्टि को बढ़ा सकता है।

वहीं, एनटीओडी फार्मास्यूटिकल्स के सीईओ निखिल के मसुरकर ने कहा कि प्रेस्वू वर्षों के समर्पित रिसर्च और विकास का परिणाम है। प्रेस्वू केवल एक प्रोडक्ट नहीं है, यह एक ऐसा समाधान है, जो लाखों लोगों को बेहतर विजन प्रदान करके उनके जीवन को बेहतर बनाता है। इसके अलावा डॉ. आदित्य सेठी ने बताया कि प्रेस्वू एक एडवांस विकल्प प्रदान कर सकता है, जो 15 मिनट के भीतर नजदीकी दृष्टि को बढ़ाता है। अक्टूबर के पहले सप्ताह से प्रिस्क्रिप्शन-आधारित आई ड्रॉप्स 350 रुपये की कीमत पर फार्मेसियों में उपलब्ध होंगे। यह दवा 40 से 55 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में हल्के से मध्यम प्रेसबायोपिया के इलाज के लिए है।

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