Antibiotic Resistance Risk: बीते दो-तीन दशक के आंकड़ें देखें तो कई बीमारियों ने वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौतियां पैदा की हैं। इसी बीच एक ऐसी स्टडी सामने आई है, जिसे जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। साल 2050 तक एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से दुनिया में करीब 3.90 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है।
द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित शोध में साइंटिस्टों ने एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के बढ़ते गंभीर खतरे को लेकर सावधान किया है। एक वैश्विक विश्लेषण के मुताबिक, साल 1990 से 2021 के बीच एंटीबायोटिक प्रतिरोध या रेजिस्टेंस के कारण दुनियाभर में हर साल एक मिलियन (10 लाख) से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। वैज्ञानिकों ने चिंता जताते हुए कहा कि ये संकट और भी बढ़ता जा रहा है। अगर इस दिशा में तुरंत सुधार वाले बड़े फैसले न लिए गए तो अगले 25 सालों में 39 मिलियन (3.9 करोड़) यानी करीब चार करोड़ लोगों की जान जा सकती है।
स्टडी में क्या हुआ खुलासा?
लैंसेट में पब्लिश एक नए अध्ययन अनुसार, 2022 से 2050 तक एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस से होने वाली मौतों का आंकड़ा 70% तक बढ़ सकता है। सबसे बड़ी चिंता की बात है कि एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस से 2050 तक होने वाली मौतों में 1.18 करोड़ तो सिर्फ साउथ एशिया में ही होगी, जिसमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका आते हैं। जबकि, अफ्रीका में मौत का आंकडा काफी ज्यादा बढ़ जाएगा। शोधकर्ताओं ने कहा कि भारत सहित एशियाई देशों के लिए भी ये बड़ी चुनौती बनते जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों को इस संबंध में बड़े फैसले लेने होंगे, नहीं तो एक समय ऐसा आ जाएगा, जहां लोगों को दवाओं को सख्त जरूरत होगी और ये दवाएं काम नहीं करेंगी।
भारत समेत कई एशियाई देशों में खतरा ज्यादा
ग्लोबल रिसर्च ऑन एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (GRAM) प्रोजेक्ट के शोधकर्ताओं ने कहा कि भविष्य में एंटीबायोटिक प्रतिरोध से होने वाली मौतों का अनुमान दक्षिण एशियाई देशों में सबसे ज्यादा है, जिसमें भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश शामिल हैं। यहां साल 2025 से 2050 के बीच सीधे तौर पर यहां कुल 11.8 मिलियन (1.18 करोड़) से अधिक मौतों की आशंका है।साल 1990 से 2021 के बीच के आंकड़ों से पता चलता है कि 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में एंटीबायोटिक या एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के कारण होने वाली मौतों में 80 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। आने वाले वर्षों में यह वृद्ध लोगों को अधिक प्रभावित कर सकता है।
क्या होता है एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस? (What is Antibiotic Resistance?)
एंटीबायोटिक प्रतिरोध या रेजिस्टेंस तब होता है, जब बैक्टीरिया या कवक जैसे रोगाणुओं को मारने के लिए बनाई गई दवाओं के प्रति ये रोगाणु बचाव की क्षमता विकसित कर लेते हैं। एंटीबायोटिक दवाएं मुख्यरूप से संक्रमण की स्थिति में रोगजनकों को खत्म करने के लिए दी जाती हैं, पर एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की स्थिति में ये दवाएं काम करना ही बंद कर देती हैं। इस स्थिति में दवा लेने पर भी रोगाणु मरते नहीं बल्कि और बढ़ते रहते हैं। ऐसे में संक्रमणों का इलाज करना कठिन और असंभव भी हो सकता है। जिस तरह से दुनियाभर में संक्रामक रोगों के मामले बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की बढ़ती समस्या को विशेषज्ञ काफी गंभीर मानते हैं।
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से मौत का खतरा क्यों?
शोधकर्ताओं का कहना है कि आज के समय में एंटीबायोटिक्स का ज्यादा और गलत तरीके से इस्तेमाल हो रहा है, जिससे बैक्टीरिया पर अधिक दबाव पड़ रहा है। समय के साथ बैक्टीरिया ज्यादा रजिस्टेंट होते जा रहे हैं, जिससे बचना है तो एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल समझदारी और सही तरीके से करना चाहिए।
बच्चों में भी खतरा
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि थोड़ी राहत की खबर ये है कि 1990 से 2021 के बीच में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण होने वाली मृत्यु में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। वाशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रिक्स (IHME) में प्रोफेसर केविन इकुटा कहते हैं, पिछले तीन दशकों में छोटे बच्चों में सेप्सिस (रक्तप्रवाह संक्रमण) और एंटीबायोटिक प्रतिरोध से होने वाली मौतों में कमी अविश्वसनीय उपलब्धि है। हालांकि, इन निष्कर्षों से ये भी पता चलता है कि बच्चों में संक्रमण के मामले कम हुए हैं, लेकिन जब ये होते हैं तो उनका इलाज करना कठिन हो जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि यह रजिस्टेंस कॉमन इंफेक्शंस के इलाज को परेशानी वाला बना देता है। कीमोथेरेपी और सिजेरियन जैसे मेडिकल इंटरवेंशन को काफी रिस्की बना देता है। अध्ययन में 204 देशों के 52 करोड़ से ज्यादा हॉस्पिटल रिकॉर्ड्स, इंश्योरेंस क्लेम्स और डेथ सर्टिफिकेट्स जैसे डेटा को शामिल किया गया है। इसे करने के लिए स्टैटिस्टिकल मॉडलिंग का इस्तेमाल किया गया है।
इस खरते से कैसे बचें?
लेखकों का कहना है कि स्वास्थ्य सेवा में सुधार और एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल को लेकर सावधानी बरतकर भविष्य में करोडों लोगों की जान बचाई जा सकती है। यह अध्ययन समय के साथ एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के रुझानों का पहला वैश्विक विश्लेषण है। आईएचएमई के एक अन्य विशेषज्ञ कहते हैं, यह समझना महत्वपूर्ण है कि समय के साथ एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से होने वाली मौतों के रुझान कैसे बदल गए हैं और भविष्य में उनमें कैसे सुधार किया जा सकता है।
इस बढ़ते खतरे से बचने के लिए विशेषज्ञ कहते हैं कि हमेशा किसी विशेषज्ञ की सलाह से ही दवा लें। बिना प्रिस्क्रिप्शन ओवर-द-काउंटर, इंटरनेट-यूट्यूब से देखकर न तो खुद डॉक्टर बनें, न ही खुद से दवा लेना शुरू करें, विशेषतौर पर कोई भी एंटीबायोटिक दवा।
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