दीपावली से पहले ही दिल्ली-एनसीआर की हवा में बढ़ते प्रदूषण को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ परेशान हैं। हेल्थ एक्सपर्ट सभी लोगों को प्रदूषण से बचाव करते रहने की सलाह देते हैं। स्टीडीज से पता चलता है कि वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने की वजह से फेफड़े और श्वसन संबंधी बीमारियों के साथ मस्तिष्क से संबंधित कई तरह की दिक्कतों को खतरा हो सकता है। मंगलावर को दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी दर्ज की गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली और आस-पास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता मंगलवार को लगातार दूसरे दिन ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई है, सुबह 8 बजे के आसपास एक्यूआई 317 रही। आनंद विहार इलाके में प्रदूषण का स्तर और भी खराब रहा, यहां की एक्यूआई 378 दर्ज की गई है। हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि इस स्तर के प्रदूषण का नकारात्मक असर संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला हो सकता है। विशेषतौर पर बच्चों की सेहत के लिए प्रदूषित हवा काफी चिंताजनक हो सकती है। इतना ही नहीं इसका गर्भस्थ शिशु के विकास पर भी असर हो सकता है।
बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है प्रदूषण
यूरोपियन एनवायरमेंट एजेंसी (EEA) की रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों और किशोरों के लिए वायु प्रदूषण उसी तरह से खतरनाक माना जाता है जैसा कि वयस्कों के लिए। इतना ही नहीं जो बच्चे गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण के संपर्क में आ जाते हैं, उनमें भी कई प्रकार की स्वास्थ्य जटिलताओं के विकसित होने का खतरा रहता है। बच्चे वायु प्रदूषण के प्रति विशेषरूप से संवेदनशील होते हैं। ईईए के विशेषज्ञों का मानना है कि हर साल वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं के चलते 18 वर्ष से कम आयु के 1,200 से अधिक लोगों की मृत्यु हो जाती है।
वायु प्रदूषण बच्चों और किशोरों में कम वजन, अस्थमा, फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी, श्वसन संक्रमण और एलर्जी जैसी समस्याओं का कारण बनता है। इसके साथ वयस्कों में यह क्रोनिक बीमारियों का खतरा भी बढ़ाने वाला माना जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं बच्चों की सांस लेने की दर वयस्कों की तुलना में अधिक होती है और वे शरीर के वजन के प्रति किलोग्राम अधिक हवा भी लेते हैं। हवा के माध्यम से प्रदूषकों के शरीर में प्रवेश के कारण स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ने का अधिक जोखिम देखा जाता रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 90% से ज़्यादा बच्चे हर रोज जहरीली हवा में सांस लेते हैं, ये भविष्य में कई प्रकार की बीमारियों के बोझ को बढ़ाने वाला हो सकता है।
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भ्रूण और नवजात की सेहत पर असर
अध्ययनों से पता चलता है कि वायु प्रदूषण के कारण नवजात शिशुओं में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इतना ही नहीं वायु प्रदूषण के कारण जन्म के समय कम वजन और यहां तक कि समय से पहले जन्म का खतरा भी बढ़ाने वाला हो सकता है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि जिन स्थानों पर वायु प्रदूषण का जोखिम अधिक होता है वहां पर जन्म के समय बच्चों की मृत्यु और सडेन इंन्फेंट डेथ सिंड्रोम (एसआईडीएस) का खतरा अधिक देखा जाता है। प्रदूषण बच्चों के विकास को भी प्रभावित करने वाली समस्या मानी जाती है।
सेहत पर हो सकते हैं इसके कई दुष्प्रभाव
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वायु प्रदूषण से बच्चों के स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। ये श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया और अन्य श्वसन संक्रमण को भी बढ़ाने वाली समस्या हो सकती है। बच्चों की संज्ञानात्मक क्षमता और तंत्रिका विकास पर भी वायु प्रदूषण का असर देखा जाता रहा है। कुछ शोध ये भी बताते हैं कि बच्चों में बढ़ते कुछ प्रकार के कैंसर के लिए भी बढ़ता प्रदूषण एक कारक हो सकता है। वायु प्रदूषण के कारण फौरी तौर पर बच्चों में सिरदर्द, थकान, आंखों में सूखापन, एलर्जी और कई तरह की श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।