परवरिशस्वास्थ्य और बीमारियां

भारत में अधिकतर बच्चों को नहीं मिल पा रहा है पर्याप्त पोषण, इस खतरे को लेकर WHO ने जताई चिंता

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारतीय बच्चों में आहार की पौष्टिकता को लेकर एक रिपोर्ट में गंभीर चिंता व्यक्त की है। संगठन ने कहा कि भारत में 6-23 महीने की उम्र के 77 प्रतिशत से अधिक बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल रहा है। विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि ज्यादातर बच्चों को डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित आहार नहीं मिल पा रहा है। यह भविष्य के लिए कई प्रकार से चिंताजनक है। हेल्‍थ एक्‍सपर्ट्स ने कहा, नवजात से लेकर छह माह तक के बच्चों को मां का दूध और एक साल से अधिक उम्र के बच्चों को नियमित रूप से दूध, अंडे, फलियां, फल और सब्जियों का संतुलित सेवन जरूरी है। हालांकि, अधिकतर बच्चों को पौष्टिकता नहीं मिल पा रही है।

राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5, 2019-21) के आंकड़ों पर आधारित अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश जैसे क्षेत्रों में आहार संबंधी ये दिक्कतें सबसे ज्यादा देखी जा रही हैं। सिक्किम और मेघालय में पौष्टिक आहार न मिल पाने वाले बच्चों की संख्या 50 प्रतिशत के करीब है।

बच्‍चों के आहार में पहले से हुआ सुधार

WHO के मुताबिक, बच्चों के लिए आहार को पौष्टिक तभी माना जा सकता है जब इसमें पांच तरह के खाद्य पदार्थ शामिल हों। सर्वेक्षण में पाया गया है कि 2005-06 के एनएफएचएस-3 डेटा की तुलना में फिलहाल सुधार तो हुआ है पर अब भी इस दिशा में बहुत काम किया जाना बाकी है। पहले की तुलना में बच्चों के आहार में अंडे, फलियां और नट्स की मात्रा तो बढ़ी है हालांकि ये बच्चों के लिए जरूरी पर्याप्त पोषकता के लिए काफी नहीं है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, सबसे बड़ी चिंता की बात अधिकतर नवजात और छह माह से कम आयु वाले बच्चों को मां का दूध न मिल पाना है। ये बेहतर पोषण के लिए सबसे जरूरी माना जाता है। एक साल और इससे अधिक उम्र के अधिकतर बच्चों को दूध और अन्य डेयरी उत्पाद भी नहीं मिल पाते हैं जो कैल्शियम के लिए सबसे आवश्यक माना जाता है।बच्चों के विकास, हड्डियों की मजबूती और दांतों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए ये सबसे आवश्यक पोषक तत्व माना जाता है।

क्या कहते हैं स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि सर्वेक्षण में पाया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली और अशिक्षित माताओं से जन्मे बच्चों में पोषण की समस्याओं के मामले अधिक देखे गए हैं। पोषक तत्व न मिल पाने के कारण बच्चों में एनीमिया का खतरा हो सकता है, जिससे शारीरिक और मानसिक विकास दोनों प्रभावित हो सकता है।अध्ययन के लेखकों ने एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया। विशेषज्ञों ने कहा, ये सुनिश्चित किया जाना बहुत जरूरी है कि बच्चों को पर्याप्त पोषण मिलता रहे। भविष्य में भी उन्हें स्वस्थ बनाए रखने के लिए ये बहुत आवश्यक हो जाता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button