World COPD Day 2024: बाहर निकलने वाली गर्भवती महिलाएं इस खास तरीके से रखें अपने फेफड़ों का ख्याल

अगर किसी गर्भावती महिला को सांस संबंधी कोई समस्या है तो हो सकता है कि वो COPD से पीड़ित और ऐसे में उन्हें बाहर निकलते समय अपना खास ध्यान रखने की जरूरत है। सीओपीडी एक पुरानी फेफड़ों की बीमारी है, जो आपके और बच्चे के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डाल सकती है। क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) एक तरह की फेफड़ों की बीमारी है, जिससे पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में लगातार कठिनाई का अनुभव हो सकता है।
COPD कई कारकों की वजह से हो सकती है, जैसे- वायु प्रवाह में रुकावट, सूजन और फेफड़ों को काफी नुकसान, सिगरेट पीना और हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आना। सीओपीडी जैसी फेफड़ों की बीमारी कई आदतों और कारकों के कारण हो सकती है। समय के साथ, COPD श्वसन विफलता, फेफड़ों में संक्रमण और हृदय संबंधी बीमारियों जैसी गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकता है।

गर्भावस्था में रहें सावधान
गर्भवती महिलाओं को सावधान रहना चाहिए, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान उन्हें COPD जैसी फेफड़ों की बीमारी होने का खतरा अधिक होता है। COPD का उनकी गर्भावस्था के साथ-साथ भ्रूण पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। इसमें समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन और बच्चे के विकास में देरी जैसी जटिलताएं शामिल हो सकती हैं। यही वजह है कि गर्भवती महिलाओं के लिए COPD के जोखिम को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठाना महत्वपूर्ण हो जाता है।
ट्रिगर होने से बचें
कई चीजें आपके लक्षणों को ट्रिगर कर सकती हैं। यही वजह है कि आपके ट्रिगर्स की पहचान करना आवश्यक हो जाता है। ट्रिगर्स में आमतौर पर धुआं, रूसी, धूल और पर्यावरण में मौजूद एलर्जी शामिल हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान COPD को नियंत्रित करने में अपने घर या आस-पास को साफ रखना महत्वपूर्ण अंतर ला सकता है। उचित वेंटिलेशन के लिए अपने बेडरूम या हॉल में एयर प्यूरीफायर लगाने पर विचार करें।
प्रसवपूर्व देखभाल
गर्भावस्था के दौरान, सुनिश्चित करें कि आप बिना चूके लगातार डॉक्टर के पास जाएं। इससे आपको अपने फेफड़ों के कामकाज और अपने समग्र स्वास्थ्य की निगरानी करने में मदद मिल सकती है। सुनिश्चित करें कि आप समय पर हस्तक्षेप के लिए अपने द्वारा अनुभव किए जाने वाले सभी प्रकार के लक्षणों के बारे में जानकारी दें।
शारीरिक रूप से रहें एक्टिव
गर्भावस्था के दौरान शारीरिक रूप से सक्रिय रहना फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, किसी को अपना वर्कआउट शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। आपका डॉक्टर आपकी स्वास्थ्य स्थिति और भ्रूण का मूल्यांकन कर सकता है और उसके अनुसार सलाह दे सकता है। योग, ध्यान और लंबी सैर जैसी हल्की और कम प्रभाव वाली गतिविधियां आपके फेफड़ों के कार्यों को बढ़ाते हुए सक्रिय रहने में मदद कर सकती हैं। यह आपके फेफड़ों की समग्र क्षमता को बेहतर बनाने में काफी फायदेमंद हो सकता है।

सांस वाली एक्सरसाइज करें
गर्भावस्था के दौरान गहरी सांस लेने के व्यायाम का अभ्यास करने से कई तरह के स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। इसमें गहरी सांस लेने के व्यायाम, योग और ध्यान जैसी तकनीकें शामिल हो सकती हैं यह न केवल आपके जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकता है, बल्कि आपके फेफड़ों के कार्यों को भी बेहतर बना सकता है। ये तकनीकें तनाव और चिंता को प्रबंधित करने में भी मदद कर सकती हैं, जो आपके सीओपीडी के संभावित ट्रिगर हो सकते हैं।
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इन लक्षणों पर गौर करना जरूरी
सीओपीडी के प्रबंधन के लिए अपने लक्षणों पर नजर रखना ज़रूरी है, खासकर गर्भावस्था के दौरान।
खांसी, घरघराहट, सांस लेने में कठिनाई, थकान, सीने में जकड़न और सांस की तकलीफ जैसे अपने लक्षणों की नियमित निगरानी करने से पैटर्न और संभावित ट्रिगर्स की पहचान करने में मदद मिल सकती है।
इन ट्रिगर्स को पहले से समझना और पहचानना इस स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद कर सकता है।
सुनिश्चित करें कि आप उचित निदान के लिए अपॉइंटमेंट के दौरान अपने डॉक्टर से इन लक्षणों पर चर्चा करें।
गर्भावस्था के दौरान COPD के शुरुआती लक्षणों को पहचानने से शुरुआती पहचान और समय पर हस्तक्षेप हो सकता है।