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Parenting Tips: एक उम्र के बाद बच्चों को अलग कमरा देना क्यों जरूरी? हर अभिभावक के लिए जानना जरूरी

Parenting Tips in Hindi: बच्चे चाहे कितने भी बड़े क्यों न हो जाएं वो अपने माता-पिता के साथ ही सोना पसंद करते हैं। घरवालों का ऐसा मानना होता है कि अभिभावक के साथ सोने से बच्चे और उनके बीच का रिश्ता मजबूत होता है। कई मायनों में देखा गया है कि ये बात सही भी है। पर, क्या आप जानते हैं कि बढ़ती उम्र में भी यदि आप अपने बच्चे को अपने साथ सुलाएंगे तो उनके अंदर कई चीजों की कमी आ सकती है। ज्यादातर अभिभावकों को इस बारे में जानकारी होती ही नहीं है। ऐसे में हम आपको बताएंगे कि एक उम्र के बाद बच्चों को अलग सुलाना क्यों जरूरी है और यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो बच्चे में किन तीन अहम चीजों की कमी आ सकती है।

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निर्भरता नहीं होगी कम| Parenting Tips in Hindi

एक उम्र के बाद से यदि आप अपने बच्चे को अलग सुलाने लगेंगे तो इससे वो आत्मनिर्भर बनता है। मां-बाप के साथ सोने वाले बच्चे में आत्मनिर्भरता की कमी हो सकती है और वे जरूरत से ज्यादा माता-पिता पर निर्भर हो सकते हैं। इसलिए यदि समय के साथ बच्चे को आत्मनिर्भर बनाना है तो उन्हें अलग सोने की आदत डालें।

आत्मनिर्भर बनने में भी होगी दिक्कत | Parenting Tips in Hindi

आज के समय में हर बच्चे में आत्मविश्वास का होना बेहद जरूरी होता है। आत्मविश्वास की वजह से ही वो आगे जाकर अपने लिए स्टैंड ले पाते हैं। ऐसे में उन्हें एक उम्र के बाद अपना अलग कमरा दें, ताकि वो बचपन से ही आत्मनिर्भर बनें। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। 

भावनात्मक संतुलन की कमी | Parenting Tips in Hindi

यदि आप बड़े होने के बाद भी अपने बच्चे को अपने साथ ही सुलाते हैं तो इससे उनका भावनात्मक संतुलन बिगड़ सकता है। अलग सोने से बच्चा अपने डर से खुद लड़ना सीखता है और मानसिक रूप से मजबूत बनता है। जब वो अलग सोकर अपने डर से लड़ेंगे तो उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।

अकेले रहने का डर भी खतरनाक | Parenting Tips in Hindi

यदि आप अपने बच्चे को शुरुआत से ही अकेले सोने की आदत डलवा देंगे तो उन्हें आगे जाकर उस वक्त परेशानी नहीं होगी, जब वो बाहर कहीं पड़ने या फिर नौकरी के लिए जाएंगे। वरना बच्चों को हमेशा ही ये डर बना रहता है कि वो कभी भी अकेले नहीं रह पाएंगे। 

क्या हर बच्चे को जल्दी अलग सुला देना चाहिए? | Parenting Tips in Hindi

हर बच्चे का विकास अलग तरीके से होता है। कुछ बच्चे जल्दी अलग सोने के लिए तैयार हो जाते हैं, जबकि कुछ को समय लगता है। ऐसे में जल्दबाजी न करें। जब भी बच्चा तैयार लगे, तभी ये बदलाव करें। यहां अलग सुलाने का अर्थ ये बिल्कुल नहीं है कि जबरदस्ती बच्चे को अलग कमरे में सुलाने की कोशिश करें। इसके लिए आपको धीरे-धीरे कदम उठाने होंगे। यदि आप जबरन अपने बच्चे को अलग सुलाएंगे तो इससे उनके मन पर गलत प्रभाव भी पड़ सकता है। बच्चे को अलग सुलाने के लिए पहले दिन के समय उन्हें अकेले कमरे में सोने की आदत डालें।

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