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Dry Eyes: समय पर दें ध्यान,नहीं तो हमेशा के लिए जा सकती है रोशनी

Dry Eyes: आंखों से संबंधित समस्याओं के मामले वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। कम उम्र के लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं। कुछ दशकों पहले तक माना जाता था कि उम्र बढ़ने के साथ आंखें कमजोर होती हैं, मोतियाबिंद जैसी समस्याएं होने लगती हैं और आंखों की सर्जरी की जरूरत हो सकती है, हालांकि अब कम उम्र वाले, यहां तक कि बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं। तेजी से बढ़ती आंखों की समस्याओं में ड्राई आइज यानी आंखों में सूखापन होने सबसे आम है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आज की डिजिटल लाइफस्टाइल ने हमारी आंखों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। अब 20 से 40 वर्ष के लोग भी इसकी चपेट में तेजी से आ रहे हैं। ड्राई आइज की समस्या के कारण आंखों में जलन, लालपन, खुजली और धुंधलापन जैसी दिक्कतें होती हैं। भारत में हाल के वर्षों में आंखों के विशेषज्ञों के पास ड्राई आइज के मामलों में 40% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

आंखों से संबंधित समस्याओं के मामले | Dry Eyes

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लंबे समय तक कंप्यूटर, मोबाइल या लैपटॉप पर काम करना, एसी में लगातार रहना और नींद की कमी जैसी आदतें आंखों की नमी कम कर देती हैं। नतीजतन, आंखों में जलन, लालपन, खुजली और धुंधलापन जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। ड्राई आइज पर अगर ध्यान न दिया जाए तो ये आंखों की सेहत को धीरे-धीरे कमजोर कर सकती है। इससे कॉर्निया में क्षति होने, संक्रमण और नजरों की कमी तक हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आप कुछ आदतों में सुधार करके इस तरह के जोखिमों को कम कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि आंखों की ये दिक्कत क्यों बढ़ती जा रही है?

डिजिटल स्क्रीन पर अधिक समय बिताना खतरनाक | Dry Eyes

नेशनल आई इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल आई स्ट्रेन अब शहरी युवाओं में ड्राई आइज की सबसे बड़ी वजह बन चुका है। मेडिकल रिपोर्ट से पता चलता है कि हर व्यक्ति दिन का 6-8 घंटे मोबाइल, लैपटॉप या टीवी स्क्रीन पर बिताता है। लगातार स्क्रीन देखने से हमारी पलकें झपकाने की दर घट जाती है। सामान्यतः हम एक मिनट में लगभग 15-20 बार पलक झपकाते हैं, लेकिन स्क्रीन पर फोकस करते समय यह घटकर 6-8 बार रह जाती है। इससे आंखों में बनने वाली प्राकृतिक नमी कम हो जाती है और इनमें सूखापन बढ़ जाता है।

एसी का इस्तेमाल हो सकता है नुकसानदायक | Dry Eyes

अगर आप दिनभर एयर कंडीशनर में रहते हैं तो ये आपके लिए दिक्कतें बढ़ाने वाली हो सकती है। एसी की हवा आंखों की नमी को तेजी से कम करने लगती है। अमेरिकन ऑप्टोमेट्रिक एसोसिएशन के अनुसार, लो ह्यूमिडिटी एनवायरनमेंट के कारण ड्राई आइज का खतरा 50% तक बढ़ जाता है। इसलिए कमरे में ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल या थोड़ी-थोड़ी देर पर एसी बंद करना आंखों के लिए लाभदायक हो सकता है।

ड्राई आइज के इन कारणों को भी जानिए | Dry Eyes

  • नींद की कमी भी आंखों की सेहत पर सीधा असर डालती है। शोध बताते हैं कि जो लोग रोज 5 घंटे से कम सोते हैं, उनमें ड्राई आइज होने की आशंका दो गुना तक बढ़ जाती है।

  • नींद पूरी न होने से आंखों की मांसपेशियां थकी रहती हैं, जिससे सूखापन और जलन की समस्या बढ़ जाती है।

  • शोधकर्ता बताते हैं कि कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करने वाले 50-60% लोगों में भी ड्राई आइज का जोखिम अधिक हो सकता है।

  • ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन-ए और पानी कम पीने से भी ड्राई आइज का खतरा बढ़ता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड आंखों की नमी बनाए रखने में मदद करता है, जबकि विटामिन ए कॉर्निया को स्वस्थ रखता है।

 

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