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आपके बच्चे को भी लग गई है फोन की लत, डिप्रेशन का हो सकता है शिकार

आज के दौर में अधिकतर बच्चे स्मार्टफोन, टैबलेट और लैपटॉप समेत कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का जमकर इस्तेमाल करते हैं. कम उम्र के बच्चों की सेहत पर इसका काफी असर पड़ता है. स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से बच्चों को इसकी लत लग जाती है और वे बिना मोबाइल के खाना भी नहीं खाते हैं. हालांकि ऐसा करना बच्चों की मेंटल हेल्थ के लिए बेहद खतरनाक होता है।

टेक्नोलॉजी, गैजेट्स और डिजिटल प्लेग्राउंड की भरमार से बच्चों को एंजाइटी और डिप्रेशन का खतरा बढ़ रहा है. डिजिटल कंटेंट बच्चों के लिए गंभीर खतरे पैदा कर रहा है. इससे न केवल कम उम्र में उनकी आंखों की रोशनी प्रभावित हो रही है, बल्कि उनकी नींद का पैटर्न और चिंता का स्तर भी प्रभावित हो रहा है. इससे बच्चों में डिप्रेशन का खतरा भी बढ़ रहा है।

इस तरह छुड़ाएं बच्चों की मोबाइल की आदत
डॉ. वसुधा अग्रवाल कहती हैं कि सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों के डिजिटल कंटेंट की लिमिट तय करें, जो चीजें बच्चों की सेहत पर असर डालती हैं, उन्हें बच्चों को न देखने दें. यह पेरेंट्स की जिम्मेदारी है. बच्चों के डिजिटल एक्सपोज़र का टाइम कम कर दें. इसके अलावा बच्चों की डाइट प्लान करें, ताकि उनकी ओवरऑल हेल्थ बेहतर हो जाए।

मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए बच्चों को बाहर खेलने के लिए ले जाएं. बाहर ले जाकर बच्चों को महत्वपूर्ण गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित करें, जिससे उनकी क्रिएटिविटी बढ़ सके. हमारे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए पेरेंट्स को सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करना चाहिए. इससे आप बच्चों की मोबाइल की आदत छुड़वा सकेंगे और उनकी हेल्थ को बेहतर कर पाएंगे.

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