खराब जीवनशैली स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का कारण बन सकती है। इनमें से एक है हाई कोलेस्ट्रॉल। कोलेस्ट्रॉल लेवल के बढ़ने से हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर जैसी बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए सिर्फ अच्छी डाइट के साथ-साथ समय-समय पर कोलेस्ट्रॉल की जांच भी करानी होती है ताकि समय रहते कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल किया जा सके और हेल्थ रिस्क को कम कर सकें।
हाल ही में एक एक्सपर्ट ने हाई कोलेस्ट्रॉल के कुछ लक्षण बताए हैं जो कि पैरों में नजर आते हैं। इन लक्षणों को अनदेखा करने की गलती बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। अगर आपको भी ये लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
कोलेस्ट्रॉल क्या है?
कोलेस्ट्रॉल एक तरीके का फैट है जो ज्यादा बढ़ जाने पर तरह तरह की परेशानियां पैदा करने लगता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार को होता है। गुड कोलेस्ट्रॉल यानी हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL) और लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन यानी बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL)। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए खतरनाक होता है।
गुड कोलेस्ट्रॉल शरीर के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है जबकि बैड कोलेस्ट्रॉल धमनियों में प्लाक के निर्माण और रुकावट का कारण बन सकता है। ऐसे स्थिति हार्ट अटैक, स्ट्रोक या कार्डियक अरेस्ट के जोखिम को बढ़ा देती है। डॉक्टर द्वारा हाई कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने पर स्थिति देखकर इलाज किया जाता है।
स्वस्थ व्यक्ति के लिए कोलेस्ट्रॉल की मात्रा
कुल कोलेस्ट्रॉल: 200- 239 mg/dL से कम
HDL: 60 mg/dL से अधिक
LDL: 100 mg/dL से कम
पैरों में दिखते हैं हाई कोलेस्ट्रॉल के ये लक्षण
ओलियो लुसो में मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर के मुताबिक, आमतौर पर हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण तब तक नजर नहीं आते, जब तक स्थिति खतरनाक स्तर तक न पहुंच जाए। ब्लड टेस्ट कराने से हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल की पहचान की जा सकती है। जब खून में कोलेस्ट्रॉल का लेवल काफी अधिक हो जाता है तो पैरों में कुछ लक्षण दिखने लगते हैं।
पैर और पैरों के पंजों का सुन्न होना और पीले नाखून होना भी हाई कोलेस्ट्रॉल के संकेत हैं। इनका मतलब होता है कि धमनियों और ब्लड वेसिल्स में खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक हो गई है। अगर किसी को अपने पैरों में ये लक्षण नजर आते हैं तो उन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए क्योंकि ये लक्षण शरीर में कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा का संकेत देते हैं।
इसके अलावा नीचे बताए हुए लक्षण भी हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण हो सकते हैं
- सीने में दर्द
- लोअर बॉडी का ठंडा होना
- बार-बार सांस लेने में तकलीफ
- मतली आना
- थकान महसूस होना
- ब्लड प्रेशर बढ़ना
बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कैसे कंट्रोल करें?
खान पान सही रखें
कोलेस्ट्रॉल को सही रखने के लिए हेल्दी खान पान बहुत ज्यादा जरुरी है। ऐसे में ज्यादा पैकेज्ड स्नैक्स, डेयरी प्रोडक्ट्स, मांस आदि से दूर रहना चाहिए। इन सारी चीजों के सेवन से कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है इसलिए इन चीजों का सेवन कम करें।
व्यायाम करें
जब कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है तो ऐसे में व्यायाम करें क्योंकि व्यायाम आपके शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करता है। तो ऐसे में जब भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाएं तो व्यायाम जरूर करें।
शराब न पिएं
अधिक शराब पीने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है जो शरीर के लिए नुकसानदायक है। ऐसे में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर शराब न के बराबर पिएं या तो बिलकुल भी न पिएं।
मोटापे से बचकर रहें
मोटापा के कारण अक्सर कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा रहता है। ऐसे में 30 या उससे ज्यादा बॉडी मास इंडेक्स होने से परेशानी हो सकती है। कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखने के लिए मोटापा कम रखें और फिट रहें।
धूम्रपान से बचकर रहें
सिगरेट पीने से गुड कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है और बेड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लग जाता है, जिससे हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है। अगर कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखना है तो सिगरेट पीना एकदम छोड़ दें ताकि आपका शरीर तंदुरुस्त रह पाएं।
कोलेस्ट्रॉल को कम करने के घरेलू उपाय
लहसुन खाएं
लहसुन को सुबह सुबह या रात में सोने से पहले कच्चा खाएं। दरअसल लहसुन में एलीसिन, मैगनीज और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है और साथ ही दिल से जुड़ी समस्याओं के खतरे को भी कम करता है।
ग्रीन टी पिएं
ग्रीन टी में ऐसे कई तत्त्व होते है जो सेहत के लिए काफी अच्छे होते हैं। जैस लोग ग्रीन टी का सेवन करने से वजन कम करने में मदद मिलती है। हेल्दी खान पान के लिए, मेटाबोलिज्म ठीक करने के लिए और कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए लोग ग्रीन पीते है। आपको बता दें ग्रीन टी में ऐसे तत्त्व होते हैं जो बेड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं।
हल्दी वाला दूध पिएं
हल्दी में कुरकुमिन नामक तत्व होता है जो एथेरोस्क्लेरोसिस होने से बचाता है। एथेरोक्लेरोसिस में व्यक्ति की धमनियां सख्त और छोठी होने लगती है। हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। विशेष रूप से, हल्दी कोरोनरी प्रॉब्लम्स के घतरे को कम करने में सहायता करता है। हल्दी वाला दूध निश्चिंत रूप से पिएं।
तुलसी
तुलसी में यूजेनॉयल नामक फेनोलिक कम्पाइंड होता है जो कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और साथ ही साथ इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं जो शरीर के विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करते हैं। यह बल्ड प्रेशर को भी नियंत्रित रखता है।