वैज्ञानिकों द्वारा ‘निडिल फ्री वैक्सीन पैच’ को विकसित किया जा रहा है। यह वैक्सीन घातक मच्छर से होने वाले जीका वायरस से बचाने में मदद करेगी। इसको लगाना बहुत आसान होगा।
जीका वायरस प्रशांत, दक्षिण पूर्व एशिया, भारत, अफ्रीका और दक्षिण और मध्य अमेरिका में लोगों के लिए खतरा रहा है। लेकिन अब जीका वायरस से लड़ना आसान होने वाला है। ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने उच्च-घनत्व माइक्रोएरे पैच (एचडी-एमएपी) का उपयोग कर वैक्सीन का प्रोटोटाइप विकसित किया है, जिसे वैक्सएक्सस दवा कंपनी मार्केट में उतारेगी। एचडी-एमएपी हजारों छोटे सूक्ष्म प्रक्षेपणों के साथ त्वचा की सतह के नीचे प्रतिरक्षा कोशिकाओं तक वैक्सीन पहुंचाता है।
डेंगू में भी करेगा मदद
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह टीका अद्वितीय है क्योंकि यह वायरस के बाहर के बजाय अंदर एक प्रोटीन को लक्षित करता है जिसका अर्थ है कि यह टीका लगाने वाले लोगों में डेंगू बुखार जैसे लक्षणों से भी बचाव करेगा। एचडी-एमएपी पैच के साथ जीका वायरस से लड़ने के तरीके को बदल सकते हैं। यह एक प्रभावी, दर्द रहित, लगाने में आसान और स्टोर करने में आसान टीकाकरण विधि है।
प्री-क्लिनिकल परीक्षण में इस वैक्सीन ने जीवित जीका वायरस के खिलाफ तेजी से सुरक्षा प्रदान की। एनएस 1 नामक एक विशिष्ट प्रोटीन को लक्षित किया, जो वायरस के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। शोधकर्ताओं ने कहा कि वैक्सीन पैच ने टी-सेल प्रतिक्रियाएं भी उत्पन्न कीं जो सुई या सिरिंज वैक्सीन डिलीवरी की तुलना में लगभग 270 प्रतिशत अधिक थीं।
40 डिग्री सेल्सियस पर रखी जायेगी वैक्सीन
यह वैक्सीन हाई टेम्प्रेचर पर रखी जाएगी। इस पैच को 4 सप्ताह तक 40 डिग्री सेल्सियस पर संग्रहित करने पर वैक्सीन की क्षमता बनी रहती है। इससे निम्न और मध्यम आय वाले देशों में टीकों की पहुंच बढ़ जाएगी, जहां मौसम चुनौतीपूर्ण होता है।