AC Side Effect: शरीर के लिए हानिकारक है एसी में ज्यादा समय बिताना, जानिए वजह

AC Side Effect: आज के आधुनिक युग में गर्मी से राहत पाने के लिए एयर कंडीशनर (एसी) का उपयोग आम बात हो गई है। घर, ऑफिस, मॉल से लेकर गाड़ियों तक एसी का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार तो एसी को स्टेटस सिंबल के रूप में भी देखा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आप एसी में ज्यादा देर तक समय बिताते हैं तो इसका प्रभाव आपके स्वास्थ्य पर पड़ सकता है?
वेबएमडी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार एसी वैसे तो सुरक्षित है, पर एसी वाली जगहों पर वेंटिलेशन यानी हवा के आने-जाने की अच्छी व्यवस्था भी जरूर होनी चाहिए। इस रिपोर्ट के अनुसार, अगर आपका एसी खराब वेंटिलेशन वाली जगह पर लगा है तो आपको सिरदर्द, सूखी खांसी, चक्कर आने-मतली, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं। आइए विस्तार से समझते हैं।
एसी से बढ़ता है सिरदर्द और माइग्रेन का जोखिम | AC Side Effect
एक्सपर्ट्स के अनुसार, जो लोग एसी में देर तक रहते हैं उनमें सिरदर्द और माइग्रेन का जोखिम बढ़ जाता है। इसका एक मुख्य कारण है कि एसी कमरे की हवा से नमी को सोख लेना है, जिससे हवा बहुत ज्यादा शुष्क हो जाती है। यह शुष्क हवा साइनस पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, साथ ही इस शुष्क वातावरण का प्रभाव हमारी आंखों पर भी पड़ता है, जो सिरदर्द का कारण बन सकता है। इसके अलावा, जब लोग ठंडे एसी वाले माहौल से अचानक गर्मी में बाहर निकलते हैं, तो तापमान में यह तीव्र बदलाव कुछ संवेदनशील लोगों में माइग्रेन के दौरे को ट्रिगर कर सकता है।

अस्थमा-ब्रोंकाइटिस के मरीजो को देना होगा ध्यान | AC Side Effect
जो लोग एसी में ज्यादा देर तक रहते हैं, वो उनमें अन्य लोगों की तुलना में श्वसन संबंधी समस्याएं (नाक मार्ग में जलन, सांस लेने में परेशानी) अधिक होती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि एसी से निकलने वाली ठंडी और शुष्क हवा सीधे संपर्क में आने पर नाक और गले की नाजुक झिल्लियों को सुखा सकती हैं, जिससे जलन, खराश और रूखापन महसूस हो सकता है। जिन लोगों को अस्थमा-ब्रोंकाइटिस की समस्या होती है उन्हें एसी में ज्यादा समय बिताने से बचना चाहिए।
मेटाबॉलिज्म पर असर | AC Side Effect
कुछ अध्ययनों और विशेषज्ञों के विचारों के अनुसार, एसी में लगातार एक समान ठंडे तापमान में रहने का असर शरीर के मेटाबॉलिज्म (चयापचय) पर भी पड़ सकता है। सामान्य परिस्थितियों में, जब शरीर को अलग-अलग तापमान का सामना करना पड़ता है, तो वह अपने आंतरिक तापमान को बनाए रखने के लिए कुछ ऊर्जा खर्च करता है। गर्मी लगने पर पसीना आता है और ठंड लगने पर शरीर गर्मी पैदा करने की कोशिश करता है, इन प्रक्रियाओं में कैलोरी बर्न होती है। एसी वाले नियंत्रित माहौल में रहने से शरीर को तापमान संतुलन के लिए उतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती, जिससे आप कम फैट बर्न कर पाते हैं। इसके अलावा आप ठंडे वातावरण में आप सामान्य से कम पानी पीते हैं जिसके कारण भी पाचन स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर हो सकता है। ये स्थितियां कब्ज-अपच जैसी दिक्कतों का कारण बन सकती हैं।
