Alert: मेकअप की आदत कर न दे आपको बीमार? पढ़िए पूरी जानकारी

Drawbacks of Makeup: सुंदर दिखने के लिए अगर आप भी खूब सारा मेकअप करती हैं, लिपस्टिक-ब्लश और फेक नेल्स लगाती हैं तो ये चीजें कहीं आपके लिए बड़ी समस्याओं का कारण न बन जाएं? हाल ही में सामने आई अध्ययन की एक रिपोर्ट में मेकअप के शौकीन लोगों को सावधान किया गया है। ब्रिटेन में किए गए अध्ययन में वैज्ञानिकों की टीम ने बताया है कि नियमित रूप से मेकअप करने से वयस्कता में अस्थमा होने का खतरा बढ़ सकता है। शोध में लिपस्टिक, आईशैडो और मस्कारा जैसे उत्पादों का इस्तेमाल करने वालों में श्वसन से संबंधित क्रॉनिक समस्याओं के खतरे को लेकर अलर्ट किया गया है।
मेकअप उत्पाद बढ़ा रहे अस्थमा का खतरा | Drawbacks of Makeup
अस्थमा जैसी श्वसन समस्याएं अकेले यूके में 5.4 मिलियन (54 लाख से अधिक) लोगों को प्रभावित करती हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि भारत में भी दीर्घकालिक श्वसन रोगों का खतरा बढ़ता जा रहा है। साल 2023 में अनुमानित 55 मिलियन (5.5 करोड़) मामले क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और 35 मिलियन (3.5 करोड़) अस्थमा के रोगी सामने आए थे। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, श्वसन संबंधित इन रोगों को बढ़ाने के लिए कई कारक जैसे वायु प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय स्थितियां जिम्मेदार हो सकती हैं। इस अध्ययन में मेकअप उत्पादों को भी इसके लिए जिम्मेदार पाया गया है।
मेकअप उत्पादों का सेहत पर असर | Drawbacks of Makeup
शोधकर्ताओं ने लगभग 40,000 लोगों पर अध्ययन करके ये समझने की कोशिश की कि मेकअप उत्पादों का सेहत पर किस प्रकार से असर होता है? अध्ययन की रिपोर्ट में पाया गया कि नकली नाखून, क्यूटिकल क्रीम, ब्लश और लिपस्टिक का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में अस्थमा होने का खतरा 47 प्रतिशत ज्यादा हो सकता है। हफ्ते में पांच या उससे ज्यादा बार ब्लश और लिपस्टिक लगाने से यह खतरा 18 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। इसलिए अगर आप भी खूब सारा मेकअप करने की शौकीन हैं तो इन जोखिमों के बारे में जरूर जानना चाहिए।
हानिकारक रसायन बढ़ा रहे हैं बीमारियों का खतरा | Drawbacks of Makeup
अमेरिका स्थित नेशनल हार्ट-लंग्स एंड ब्लड इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता कहते हैं, शोध से ये तो साफ नहीं है कि इन उत्पादों के कारण जोखिम बढ़ा है, लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि मेकअप में मौजूद आम रसायन स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकते हैं। कुछ उत्पादों में मौजूद रसायनों को प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर करने वाला पाया गया है, जबकि कुछ अन्य में मौजूद रसायन जैसे पॉलीफ्लोरोएल्काइल पदार्थ (जिन्हें पीएफए कहा जाता है), पैराबेन, फ्थैलेट्स और फिनॉल्स शरीर के हार्मोनल संतुलन को बाधित करने वाले हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा, ‘हमारे निष्कर्ष पर्सनल केयर के उत्पाद और उनमें मौजूद घटकों के दुष्प्रभावों पर फिर से विचार करने पर ध्यान आकृष्ट करते हैं।
बढ़ रही हैं अस्थमा, खांसी, घरघराहट जैसी दिक्कतें | Drawbacks of Makeup
ये रिपोर्ट एनवायरनमेंट इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित की गई है। इस अध्ययन में 41 विभिन्न प्रकार के सौंदर्य उत्पादों को लेकर 12 वर्षों में एकत्रित डेटा का उपयोग किया गया। शोध के अंत में, 1,774 महिलाओं (लगभग 4 प्रतिशत) में वयस्कों में होने वाले अस्थमा का निदान किया गया। प्रतिभागियों में खांसी, घरघराहट, सीने में जकड़न और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं देखी गई। शोधकर्ताओं ने कहा, व्यक्तिगत देखभाल वाले उत्पादों में मौजूद ईडीसी (एंडोक्राइन-डिस्रप्टिंग कैमिकल्स) अस्थमा के जोखिमों को बढ़ा सकते हैं। यदि हमारे निष्कर्षों की पुष्टि अलग-अलग ग्रुप के लोगों पर भी होती है तो ये भविष्य में अस्थमा के जोखिमों को कम करने का रास्ता खोलने में मददगार हो सकती है। पर्सनल केयर उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले रसायनों पर रोक लगाकर या उनमें जरूरी बदलाव करके हम बड़ी संख्या में लोगों को श्नसन समस्याओं से बचा सकते हैं।