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एचएमपीवी के साथ-साथ ये दो संक्रामक बीमारियां भी बढ़ा रही हैं टेंशन

चीन सहित दुनिया के कई देशों में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) का खतरा देखा जा रहा है। छह जनवरी को भारत में इसका पहला मामला सामने आया था इसके बाद से अब तक ये कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात सहित कई राज्यों में फैल गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, संक्रमण को लेकर अब तक राहत की बात ये है कि ज्यादातर लोग इससे आसानी से ठीक हो रहे हैं, गंभीर रोग के मामले कम देखे जा रहे हैं।

हाल के कुछ रिपोर्ट्स से पता चलता है कि चीन में संक्रमण के मामलों में कमी आ रही है, हालांकि भारत में ये अब भी बढ़ता देखा जा रहा है। एचएमपीवी की प्रकृति को समझने के लिए किए गए अध्ययनों में वायरस में दो नए म्यूटेशनों का पता चला है जिसे तेजी से संक्रमण बढ़ने के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो पता चलता है कि इन दिनों एचएमपीवी के साथ-साथ कुछ और संक्रामक रोगों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है जिसे लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी को अलर्ट किया है।

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बच्चों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को खतरा! | hmpv cases worldwide 

छह जनवरी को भारत में एचएमपीवी का पहला मामला सामने आने के बाद से अब तक कई राज्यों में इसके मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं। पुडुचेरी में तीन जबकि गुजरात में पांच संक्रमितों की पुष्टि हुई है। कई लोगों में संक्रमण की आशंका जताई गई है हालांकि अभी इसकी पुष्टि होनी शेष है। देश में संक्रमण के अधिकतर मामले पांच साल से कम उम्र के बच्चों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में देखी जा रही है। भारत में संक्रमण के जोखिमों के बीच चीनी स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि यहां देश के उत्तरी हिस्से में संक्रमण की दर घट रही है। चीनी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र की शोधकर्ता वांग लिपिंग ने बताया कि वर्तमान में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के मामलों में उतार-चढ़ाव जारी है। उत्तरी प्रांतों में सकारात्मक मामलों की दर घट रही है। हाल के दिनों में संक्रमण को लेकर की गई टेस्टिंग में 14 वर्ष और उससे कम आयु के रोगियों में पॉजिटिव मामलों की दर में गिरावट देखी गई है, जो राहत भरी खबर है। यूएस में भी फिलहाल मामले स्थिर बने हुए हैं।

एक तरफ मारबर्ग वायरस का प्रकोप | Marbug Virus Update

एचएमपीवी के बढ़ते जोखिमों के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बताया कि तंजानिया में मारबर्ग वायरस का प्रकोप देखा जा रहा है। यहां इस संक्रामक रोग के कारण अब तक आठ लोगों की मौत हो गई है। ये संक्रामक रोग उच्च मृत्यु दर वाला माना जाता है, जिसने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। 11 जनवरी को तंजानिया के दो जिलों में करीब नौ लोगों को संक्रमण का शिकार पाया गया है। डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा, तंजानिया सहित कुछ अफ्रीकी देशों में संक्रमण के मामलों के और बढ़ने की आशंका है, जिसको लेकर स्थानीय अधिकारियों का सावधान किया गया है। यह बीमारी चिंताजनक है क्योंकि इसके निदान या उपचार में किसी भी तरह की देरी या लापरवाही के कारण 88 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है।

पिछले साल भी देखे गए थे मारबर्ग के मामले

इससे पहले दिसंबर 2024 में भी कई स्थानों पर मारबर्ग वायरस के मामले बढ़ने की खबरें सामने आई थीं। कई अफ्रीकी देशों में इसके मामले देखे गए थे। मारबर्ग को ‘ब्लीडिंग आई डिजीज’ के नाम से भी जाना जाता है, इस वायरस से संक्रमण के कारण रवांडा में 15 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। इससे पहले सितंबर से नवंबर के बीच ये वायरस 17 से अधिक अफ्रीकी देशों में फैल चुका था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, मारबर्ग वायरस डिजीज (एमबीडी) का जोखिम उन लोगों में अधिक देखा जाता रहा है जो लंबे समय तक खदानों या गुफाओं में रहते हैं। इन स्थानों पर चमगादड़ों का निवास होता है जिसे इस वायरस के प्रमुख स्रोत माना जाता है।

भारत में ‘बाल्डनेस वायरस’ के मामले | Baldnes Virus in India

एचएमपीवी के जारी जोखिमों के बीच भारत में एक और ‘रहस्यमयी वायरस का खतरा बढ़ रहा है। खास बात ये है कि इस वायरस से संक्रमण के शिकार लोग गंजे हो रहे हैं। इस तरह की बढ़ती समस्या ने लोगों के मन में सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या देश में कोई और नया वायरस आ गया है? मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में लोगों ने असामान्य और विचित्र स्वास्थ्य समस्या को लेकर जानकारी दी है। इसे अनौपचारिक रूप से ‘बाल्डनेस वायरस’ कहा जा रहा है। ज्यादातर लोगों ने बताया है कि उनके बाल बहुत तेजी से झड़ने लगे हैं, , कुछ लोग तो कुछ ही दिनों के भीतर पूरी तरह से गंजे हो गए हैं। खबरों के मुताबिक अब तक इससे 150 से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। आसपास के कई गांव में भी लोगों में इस तरह के लक्षण देखे गए हैं। इस तरह की दिक्कत क्यों बढ़ रही है इसकी माइक्रोबायोलॉजी रिपोर्ट का अभी भी इंतजार किया जा रहा है।

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