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Asthma: बदलता मौसम अस्थमा रोगियों की बढ़ाता है मुश्किलें, जानें जरूरी टिप्स जो करेंगे आपकी मदद

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Asthma Attack Prevention: सितंबर-अक्टूबर का महीना मानसून की समाप्ति और सर्दियों की शुरुआत की आहट लेकर आता है। भीषण गर्मी और उमस वाला मौसम तेजी से बदलकर सुबह के समय हल्की ठंडी हवाओं वाला हो जाता है। ये मौसम जितना सुहाना होता है, सेहत के लिए उतनी ही चुनौतियां लेकर भी आता है। कभी हल्की बारिश, कभी उमस तो कभी ठंडी हवाओं का चलना, इन दिनों तेजी से मौसम में हो रहा बदलाव सेहत को कई प्रकार से प्रभावित करने वाला हो सकता है।

जिन लोगों को पहले से ही सांस की समस्या जैसे अस्थमा या ब्रोंकाइटिस की दिक्कत है उनके लिए ये समय और भी दिक्कतें बढ़ाने वाला हो सकता है। बदलते मौसम के साथ पराग कण, धूल-मिट्टी और प्रदूषण मिलकर सांस की नलियों में सूजन और जकड़न पैदा कर सकते हैं। कई बार यह स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि साधारण काम भी मुश्किल लगने लगते हैं। आइए जानते हैं कि सांस के मरीजों को इस बदलते मौसम में किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए?

एक गंभीर समस्या है अस्थमा | Asthma Attack Prevention

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अस्थमा एक गंभीर समस्या है जिसमें समय पर सावधानी न बरतने पर स्थिति बिगड़ सकती है। मौसम बदलते ही कई मरीजों को सांस फूलना, खांसी, छाती में भारीपन और बेचैनी जैसी परेशानियां बढ़ती हुई दिखती हैं। यही नहीं, एलर्जी, संक्रमण और प्रदूषण इसके ट्रिगर बन सकते हैं। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, थोड़ी समझदारी, सही जानकारी और नियमित देखभाल से आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रख सकते हैं।

अस्थमा ट्रिगर होने का खतरा | Asthma Attack Prevention

मौसम बदलने पर वायु गुणवत्ता में भी परिवर्तन आता है। खासकर शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। इसके अलावा बरसात के मौसम में नमी बढ़ने से घर में फफूंदी और माइट्स की समस्या बढ़ सकती है, जो अस्थमा के लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं। इसलिए घर की नियमित सफाई करें, खासकर बिस्तर, कालीन और पर्दों की सफाई बहुत जरूरी है। पराग कण, धूल और फफूंदी जैसे एलर्जेंस अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। इस मौसम में खासकर सुबह और शाम के समय पराग कणों की मात्रा अधिक होती है, इसलिए मास्क पहनें और ज्यादा बाहर जाने से बचें।

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कैसे करें बचाव? | Asthma Attack Prevention

डॉक्टर कहते हैं, स्वस्थ आहार से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जो अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। अपने आहार में हल्दी, अदरक, लहसुन, शहद, और काली मिर्च जैसे तत्व शामिल करें। ये प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी होते हैं और शरीर की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, ताजे फल, सब्जियां और साबुत अनाज का सेवन करें।

बदलते मौसम में अस्थमा रोगी इन बातों पर भी दें ध्यान | Asthma Attack Prevention

  • -अस्थमा और सांस के मरीजों को बदलते मौसम में कुछ अन्य बातों पर भी ध्यान देना चाहिए।

  • -अस्थमा के मरीजों को अपनी निर्धारित दवाइयों का नियमित सेवन करना चाहिए, भले ही वे ठीक महसूस कर रहे हों।

  • -यदि मौसम में बदलाव के कारण लक्षण बढ़ें, तो तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करें ।

  • -सांस की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए प्राणायाम और अनुलोम-विलोम जैसे योगासन लाभकारी होते हैं।

  • -तनाव अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकता है, इसलिए मानसिक शांति बनाए रखना आवश्यक है। योग, ध्यान और गहरी सांस के अभ्यास से तनाव कम किया जा सकता है।

  • -इसके अलावा, प्रतिदिन 7-8 घंटे की नींद लें, क्योंकि पर्याप्त नींद से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

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