30 साल की उम्र में डैमेज हो रहा है कार्टिलेज, दिखाई देने लगते हैं ऐसे लक्षण

कहा जाता है कि उम्रदराज लोगों को घुटनों की समस्याएं होती हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं है। आजकल कम उम्र के युवाओं में ऐसी बीमारियां हो रही हैं, जो कभी उम्र बढ़ने पर हुआ करती थीं। बीते कुछ सालों में युवाओं में घुटने खराब होने की समस्या या घुटनों की कार्टिलेज घिसने की समस्या तेजी से बढ़ रही है। कई बार इसके लक्षण दिखाई देते हैं और कई बार बिना लक्षणों की भी हड्डियों और घुटनों को ये डैमेज हो रहा होता है।हाल ही में फिनलैंड की Oulu University में हुई एक स्टडी में इसका खुलासा किया गया है। इसमें पता चला है कि लोगों को बिना किसी लक्षण और दर्द के डैमेज हो रहा है। 33 साल के युवाओं में कार्टिलेज डैमेज हो रहा है, जिससे कुछ लोगों को परेशानी भी हो रही है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस एंड कार्टिलेज नामक मैग्जीन में छपी एक रिपोर्ट में पाया गया है कि घुटनों में स्ट्रक्चरल डैमेज 30 साल की उम्र के युवाओं में आम हो रहा है। यहां तक कि उन लोगों में भी जिनमें कोई लक्षण नहीं होते। इस रिसर्च में शामिल करीब दो-तिहाई युवाओं में कार्टिलेज डैमेज या बढ़ी हुई हड्डी की समस्या देखी जा रही है। सबसे अहम बात ये है कि इस ओर लोगों का ध्यान भी नहीं जा रहा है।

घुटनों में कार्टिलेज कम होने के कारण
हालांकि, अधिकतर लोगों को दर्द जैसे कोई लक्षण महसूस नहीं हो रहे हैं। अधिकतर केस में उन घुटनों में स्ट्रक्चरल चेंज देखे गए और आधे से ज्यादा लोगों के कार्टिलेज में क्षति और घुटने की कैपिंग जो थाई और हड्डी से मिलती है वहां डैमेज पाया गया।
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कम उम्र में घुटने खराब होने के कारण
स्टडी में पाया गया है कि घुटनों में होने वाली इन समस्याओं का बड़ा कारण वजन है। बॉडी मास इंडेक्स को घुटने के डैमेज होने का क्षति की बढ़ती दरों का गंभीर कारण माना गया है। इसके अलावा खूव में यूरेट का बढ़ा हुआ स्तर और सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर भी घुटने के ऑस्टियोआर्थराइटिस का कारण है।