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सावधान! बच्चों को भी हो सकता है Cataract, ऐसी लापरवाही कर जाते हैं माता-पिता

जून का महीना आपकी आंखों की देखभाल और उससे जुड़ी बीमारियों को लेकर जागरूक करने का होता है। जून कैटरैक्ट अवेयरनेस (Cataract Awareness) का महीना है। कैटरैक्ट यानि मोतियाबिंद दुनियाभर में अंधेपन का एक बड़ा कारण है। हालांकि, समय से इसका पता चलने पर इलाज बहुत आसान है और सही होने की संभावना बहुत ज्यादा हैं।

भारत में मोतियाबिंद से अंधेपन के मामले कहीं ज्यादा हैं। इसकी वजह जागरूकता की कमी, देर से इलाज और कुछ मिथक हैं। ऐसे में जरूरी है कि आपको मोतियाबिंद के बारे में सही जानकारी हो, जिससे समय पर इलाज मिल सके। कैटरैक्ट को लेकर लोगों के मन में कई तरह के मिथक हैं। जैसे ये उम्र बढ़ने पर होने वाली बीमारी है। युवाओं को मोतियाबिंद नहीं हो सकता है, लेकिन आपका ये मामना बिल्कुल गलत है।

बच्‍चों को भी हो सकता है मोतियाबिंद

हेल्‍थ एक्‍सपर्ट का कहना है कि उम्र बढ़ना इसका सबसे सामान्य कारण है, लेकिन मोतियाबिंद डायबिटीज, धूम्रपान, अल्ट्रावॉयलेट किरणों के लंबे समय तक संपर्क, आंखों की चोट या स्टेरॉयड जैसी दवाओं के लंबे उपयोग से भी हो सकता है। यहां तक कि बच्चों को भी मोतियाबिंद हो सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से, अब भी कई लोग इसे उम्र बढ़ने की और सामान्य प्रक्रिया मानते हैं और तब तक इलाज नहीं कराते जब तक उनकी दृष्टि गंभीर रूप से प्रभावित न हो जाए।

कैटरैक्ट से जुड़े मिथक

भारत में कैटरैक्ट, ब्लाइंडनेस का प्रमुख कारण है और यह 66% से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार है। इसके बावजूद लोग समय पर सर्जरी नहीं करवाते क्योंकि उनके मन में कई मिथक और डर बने रहते हैं। मोतियाबिंद को लेकर एक और भ्रांति यह है कि इसको आई ड्रॉप्स, डाइट या एक्सरसाइज से ठीक किया जा सकता है। जबकि वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है कि इसका इलाज केवल सर्जरी है। यह सोच भी गलत है कि जब तक नजर बहुत कमजोर न हो जाए, तब तक सर्जरी न कराएं। समय पर सर्जरी से बेहतर नतीजे और जल्दी स्वस्थ होने की संभावना होती है।

कैटरैक्ट की सर्जरी

आज मेडिकल फील्ड में तेजी से बढ़ रही तकनीक से कैटरैक्ट सर्जरी बेहद सुरक्षित है और यह लोकल एनेस्थीसिया में की जाती है, जिसमें दर्द न के बराबर होता है और मरी जल्दी ठीक हो जाता है। आधुनिक इन्ट्राऑकुलर लेंस (IOL) जैसे एक्सटेंडेड डेप्थ ऑफ फोकस (EDOF) लेंस दूर और पास दोनों की बेहतरीन आई साइट देने हैं, जिससे कई बार लोगों का चश्मा भी हट जाता है या कम हो जाता है।  

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