ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (Autism Spectrum Disorder, ASD) एक न्यूरोडेवलपमेंटल विकार है, जो बचपन से ही स्पष्ट हो जाता है। यह व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार, संचार, संज्ञानात्मक विकास, और दोहरावदार गतिविधियों को प्रभावित करता है। चूंकि यह एक स्पेक्ट्रम विकार है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति में इसके लक्षण अलग-अलग तीव्रता और स्वरूप में दिखाई देते हैं।
ऑटिज़्म एक संज्ञानात्मक और तंत्रिका संबंधी विकास विकार (Neurodevelopmental Disorder) है, जो मुख्य रूप से सामाजिक संपर्क (Social Interaction), संचार कौशल (Communication Skills), और व्यवहारिक पैटर्न (Behavioral Patterns) में कठिनाइयों का कारण बनता है (DSM-5, American Psychiatric Association, 2013)। यह कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक मस्तिष्क के विकास से जुड़ा अंतर है, जो व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और दुनिया को देखने के तरीके को प्रभावित करता है। CDC (Centers for Disease Control and Prevention, 2023) के अनुसार, प्रत्येक 36 में से 1 बच्चा ASD से प्रभावित होता है।
ऑटिज़्म के लक्षण (Symptoms of Autism)
ऑटिज़्म के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:
सामाजिक और संचार संबंधी लक्षण
- आँखों में आँखें डालकर बात करने से बचना (Müller et al., Frontiers in Neuroscience, 2016)।
- भावनाओं को समझने और व्यक्त करने में कठिनाई।
- भाषा विकास में देरी या पूरी तरह से न बोल पाना।
- बातचीत की शुरुआत करने या उसे जारी रखने में कठिनाई।
- दोहरावदार शब्दों या वाक्यों का उपयोग (Echolalia) (Lord et al., Journal of Autism and Developmental Disorders, 2018)।
व्यवहार संबंधी लक्षण
- एक ही गतिविधि को बार-बार दोहराना (Repetitive Behaviors) (Courchesne et al., JAMA Neurology, 2011)।
- अचानक गुस्सा आना या आक्रामक व्यवहार करना।
- सीमित रुचियां, जैसे किसी खास विषय, पैटर्न, या ऑब्जेक्ट्स में अत्यधिक रुचि लेना।
संवेदी संवेदनशीलता (Sensory Sensitivities)
- तेज रोशनी, शोर, गंध या स्पर्श के प्रति असामान्य प्रतिक्रिया (Volk et al., Environmental Health Perspectives, 2013)।
ऑटिज़्म के कारण (Causes of Autism)
ऑटिज़्म के सटीक कारण अभी पूरी तरह ज्ञात नहीं हैं, लेकिन कई वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि यह जेनेटिक, न्यूरोलॉजिकल और पर्यावरणीय कारकों का परिणाम हो सकता है।
जेनेटिक कारण (Genetic Factors)
- SHANK3, MECP2, PTEN, CHD8 जैसे जीन पाए गए हैं (De Rubeis et al., Nature, 2014)।
- जुड़वां बच्चों पर हुए शोध बताते हैं कि अगर एक बच्चे को ASD है, तो दूसरे को भी होने की 80-90% संभावना होती है (Sandin et al., JAMA Psychiatry, 2017)।
न्यूरोलॉजिकल और पर्यावरणीय कारण
- मस्तिष्क संरचना में बदलाव – MRI स्कैन से पता चला है कि ऑटिज़्म से प्रभावित बच्चों के दिमाग के कुछ हिस्से असामान्य रूप से विकसित होते हैं (Courchesne et al., JAMA, 2011)।
- गर्भावस्था के दौरान विषाक्त पदार्थों (Toxins) का संपर्क – कीटनाशक, भारी धातुएं और वायु प्रदूषण से ASD का जोखिम बढ़ सकता है (Volk et al., Environmental Health Perspectives, 2013)।
- मातृ संक्रमण (Maternal Infections) और दवाएं – गर्भावस्था के दौरान कुछ दवाएं लेने से भी ASD का जोखिम बढ़ सकता है (Christensen et al., JAMA, 2013)।
ऑटिज़्म का निदान (Diagnosis of Autism)
- ऑटिज़्म का कोई बायोलॉजिकल टेस्ट नहीं है, इसलिए इसका निदान व्यवहार और विकासात्मक आकलन के आधार पर किया जाता है (Lord et al., Journal of Autism and Developmental Disorders, 2018)।
- Modified Checklist for Autism in Toddlers (M-CHAT-R/F)
- Autism Diagnostic Observation Schedule (ADOS-2)
- Autism Diagnostic Interview-Revised (ADI-R)
ऑटिज़्म के लिए हस्तक्षेप (Interventions for Autism)
- स्पीच और भाषा थेरेपी (Speech & Language Therapy): बच्चों को बातचीत और संचार कौशल विकसित करने में मदद करती है (Dawson et al., Pediatrics, 2010)।
- ऑक्यूपेशनल थेरेपी (Occupational Therapy): संवेदी और मोटर स्किल्स को सुधारने में सहायक।
- स्पेशल एजुकेशन (Special Education): विशेष जरूरतों के अनुसार अनुकूलित शिक्षा प्रणाली (Mundy et al., Development and Psychopathology, 2016)।
. देखभाल करने वालों और परिवार के लिए सुझाव
- धैर्य रखें और बच्चे को समझने की कोशिश करें।
- उनकी जरूरतों के अनुसार अनुकूलित दिनचर्या बनाएं।
- उनके हितों को बढ़ावा दें और उनकी उपलब्धियों को सराहें (Klin et al., American Journal of Psychiatry, 2015)।
ऑटिज़्म एक जटिल स्थिति है, लेकिन सही सहायता और हस्तक्षेप से ऑटिस्टिक व्यक्ति भी एक स्वतंत्र और सफल जीवन जी सकते हैं। परिवार, समाज, और नीति-निर्माताओं की जागरूकता और सहयोग से यह संभव है कि हर ऑटिस्टिक व्यक्ति अपने जीवन की पूरी क्षमता प्राप्त कर सके।
यह लेख अंतर्राष्ट्रीय शोध, नैदानिक अध्ययन, और वैज्ञानिक जर्नल्स के निष्कर्षों पर आधारित है
