Diabetes Control Tips in Hindi: डायबिटीज, ऐसा रोग जो किसी भी उम्र में लोगों को अपना शिकार बना सकता है लेकिन 65 साल और अधिक उम्र के लोगों को इसका खतरा ज्यादा होता है और आबादी का यह वर्ग अधिक जोखिमग्रस्त भी होता है। अक्सर लाइफस्टाइल और हेल्थ फैक्टर्स की वजह से इस रोग को पकड़ना मुश्किल होता है। हाल के एक अध्ययन के मुताबिक, 65 साल से अधिक उम्र के 25 प्रतिशत से ज्यादा लोग टाइप 2 डायबिटीज के मरीज हैं।
यह भी देखा गया है कि डायबिटीज से ग्रस्त बुजुर्गों में इसकी वजह से जटिलताएं भी बढ़ जाती हैं। उम्रदराज लोगों में क्रोनिक डायबिटीज़ जैसी कंडीशन कई बार विकलांगता, हृदय रोगों और यहां तक कि समय से पहले मृत्यु का आमंत्रण भी साबित होती है। लेकिन यदि समय पर इसका पता लग जाए तो लाइफस्टाइल में बदलाव और मेडिकल थेरेपी से इसे आसानी से मैनेज किया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, समय पर दवाओं का सेवन करना, रेग्युलर ब्लड टेस्ट करवाना और हेल्दी डायट लेना ऐसे उपाय हैं, जो डायबिटीज कंट्रोल कर सकते हैं।
उम्र के साथ शरीर में भी आते हैं कई बदलाव | Diabetes Control Tips in Hindi
उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनके शरीर में भी कई तरह के बदलाव आने लगते हैं, जैसे मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और बॉडी फैट नहीं बन पाता, इसकी वजह से कूल्हों और पेट के आसपास विसरल फैट (शरीर के अंगों के आसपास जमा फैट) का जमाव बढ़ने लगता है। यह फैट कई बार शरीर के महत्वपूर्ण अंगों जैसे पैंक्रियाज और लिवर से चिपक्कर इंसुलिन रेजिस्टेंस और फैटी लीवर जैसे विकारों का कारण भी बन सकता है।
डायबिटीज कैसे कंट्रोल कर सकते हैं बुजुर्ग? | Diabetes Control Tips in Hindi
बुजुर्गों के मधुमेह रोग का कारगर तरीके से उपचार करने के लिए हर व्यक्ति की सेहत के मुताबिक दवाएं दी जाती हैं। आमतौर पर उन्हें एक्सरसाइज़ और खास किस्म की डायट लेने की सलाह दी जाती है, जिसके पास ग्लाइसेमिक लक्ष्यों और ग्लूकोज कम करने की थेरेपी तय की जाती है और मरीजों को ओरल एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक दवाएं दी जाती हैं। लेकिन 75 साल से अधिक उम्र के मरीजों को अपने शारीरिक, संज्ञानात्मक और पोषण संबंधी स्थिति का पता लगाने के लिए जेरियाट्रिक मूल्यांकन करवाना चाहिए। इन मरीजों को डिप्रेशन और क्रोनिक दर्द की शिकायत हो सकती है और उनकी देखभाल करने वाले लोगों को इनकी देखभाल से सक्रियतापूर्वक जुड़ना चाहिए।
कैसे कंट्रोल रखें ब्लड शुगर लेवल | Diabetes Control Tips in Hindi
यदि उन्हें इन्सुलिन पर रखा गया है, तो उन्हें इंजेक्शन लगाने की सही जगह के बारे में सही तौर-तरीकों की पूरी जानकारी दी जानी चाहिए क्योंकि हाई ब्लड शुगर की वजह से शरीर के हील होने की नेचुरल क्षमता प्रभावित हो सकती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर कई बार लो ब्लड शुगर के लक्षणों को नहीं पहचान पाता, और इसके साथ ही, संज्ञानात्मक क्षमताएं भी कम होने लगती हैं और हाइपोग्लाइसिमिया का रिस्क बढ़ जाता है, लिहाजा इंसुलिन की खुराक की सावधानीपूर्वक मॉनीटरिंग जरूरी है, और इंसुलिन से पहले तथा बाद में ब्लड शुगर रीडिंग लेनी चाहिए ताकि यह पता रहे कि इनमें अचानक कोई गिरावट नहीं आ रही है।
पैरों का रखें खास ध्यान | Diabetes Control Tips in Hindi
क्रोनिक डायबिटीज की वजह से पैरों पर असर पड़ता है जिससे मोबिलिटी भी प्रभावित हो सकती है, इस कंडीशन को डायबिटीज़-रिलेटेड न्यूरोपैथी कहते हैं, जो पैरों तथा पंजों को प्रभावित करती है और मरीज का चलना-फिरना या एक्सरसाइज करना भी मुश्किल होता है। अपने पैरों को किसी भी तरह की चोट से बचाने के लिए जूते और जुराब पहनकर रखें तथा किसी भी प्रकार की चोट या सूजन के लक्षणों की जांच करते रहें।
आंखों की जांच कराते रहें | Diabetes Control Tips in Hindi
सुनश्चित करें कि किसी भी प्रकार की इमरजेंसी में आपके पास टेस्टिंग और ट्रीटमेंट के लिए कई दिनों की जरूरतों को पूरी करने वाले साधन मौजूद हों। डायबिटीज़ के कारण होने वाली रेटिनोपैथी से बचाव के लिए हर साल आंखों की जांच अवश्य करवाएं। बुजुर्ग आबादी में डायबिटीज के उपचार के लिए व्यक्ति विशेष की जरूरतों के मुताबिक दवाओं के निर्धारण में विस्तृत जेरियाट्रिक मूल्यांकन काफी मददगार होता है।