Dirgha Pranayama Benefits in Hindi: आज आपको एक खास तरह की ब्रीदिंग एक्सरसाइज के बारे में बताएँगे, जिससे लंग्स की ताकत बढ़ती है और शरीर में ज्यादा ऑक्सीजन पहुंचती है. ‘दीर्घ प्राणायाम’ हमारी अपनी इंडियन ट्रेडिशन का हिस्सा है, जिसे सदियों से योग में जगह मिली हुई है. भारत सरकार और योग एक्सपर्ट भी इस प्राणायाम के फायदों को मानते हैं.
भारत सरकार के मुताबिक, दीर्घ प्राणायाम करने से उम्र लंबी हो सकती है, क्योंकि यह शरीर को अंदर से मजबूत बनाता है. जब हम रोज गहरी सांस लेते हैं और उसे धीरे-धीरे छोड़ते हैं, तो फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और शरीर को पूरी मात्रा में ऑक्सीजन मिलने लगती है. इससे न केवल शरीर हेल्दी रहता है बल्कि बुढ़ापा भी देरी से आता है.
छाती, फेफड़ों और मसल्स को मिलती है मजबूती | Dirgha Pranayama Benefits in Hindi
यह प्राणायाम छाती, फेफड़ों और मसल्स को भी मजबूत करता है. जब हम गहरी सांस भरते हैं, तो हमारे फेफड़े पूरी तरह फैलते हैं और इससे उनकी क्षमता बढ़ती है. छाती खुलती है और सांस से जुड़ी मसल्स भी एक्टिव हो जाती हैं, जिससे शरीर को अच्छा सपोर्ट मिलता है. दीर्घ प्राणायाम करने से स्ट्रेस काफी हद तक कम होता है. यह प्राणायाम मन को शांत करता है और दिमाग को रिलैक्स करता है. जब हम गहराई से सांस लेते हैं, तो दिल की धड़कन नॉर्मल होती है और चिंता, चिड़चिड़ापन या बेचैनी दूर होती है. इसी वजह से शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी रहती है.
शरीर में ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है | Dirgha Pranayama Benefits in Hindi
यह प्राणायाम शरीर में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ाता है. जब फेफड़े पूरी क्षमता से काम करने लगते हैं, तो हर ऑर्गन तक ऑक्सीजन ठीक से पहुंचता है, जिससे थकान कम होती है और शरीर एनर्जेटिक महसूस करता है. साथ ही, इससे शरीर में जमे हुए टॉक्सिन्स भी बाहर निकलते हैं, जिससे बीमारियों से लड़ने की ताकत बढ़ती है.
मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद है दीर्घ प्राणायाम | Dirgha Pranayama Benefits in Hindi
दीर्घ प्राणायाम मेंटल पीस देने वाला होता है. यह दिमाग को स्थिर करता है, जिससे कंसंट्रेशन बढ़ती है और पढ़ाई या काम में मन लगता है. साथ ही यह कंसंट्रेशन बढ़ाने और निंद न आने वाली समस्या से छुटकारा दिलाने में भी बहुत कारगर होता है.
दीर्घ प्राणायाम करने का तरीका | Dirgha Pranayama Benefits in Hindi
दीर्घ प्राणायाम करना बहुत आसान है. इसे करने के लिए आप किसी शांत जगह पर एक आसन बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं. फिर दोनों हाथों की हथेलियां पेट पर रखें और ध्यान रखें कि आपके दोनों हाथों की बीच की उंगलियां नाभि के पास एक-दूसरे को छू रही हों. अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें और पेट को ढीला छोड़ दें. फिर सांस लेते हुए पेट को धीरे-धीरे फुलाएं. इस प्रोसेस को करीब 5 मिनट तक दोहराएं. सांस लेते वक्त ध्यान दें कि पहले सांस छाती में जाए, फिर पसलियों में और आखिर में पेट तक पहुंचे. सांस छोड़ते वक्त भी इसी ऑर्डर का ध्यान रखें. सांस लेते वक्त कंधे ऊपर की ओर उठेंगे और छोड़ते वक्त नीचे आएंगे.