बच्चे के खर्राटे को न करें नजरअंदाज, यह किसी गंभीर समस्या का संकेत

Child Snoring at Night: अगर आपका बच्चा रात में खर्राटे लेता है, तो इसे हल्के में न लें। हालांकि कभी-कभार खर्राटे आना सामान्य हो सकता है, लेकिन अगर ये समस्या लगातार बनी रहती है या खर्राटे बहुत तेज होते हैं, तो यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। बच्चों में खर्राटे लेने के पीछे कई वजहें हो सकती हैं, कुछ साधारण और अस्थायी होती हैं, जबकि कुछ स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याओं की ओर इशारा करती हैं। आइए जानते हैं कि इसके क्या कारण हो सकते हैं और कब आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है।
बच्चों में खर्राटे लेने के सामान्य कारण | Child Snoring at Night
हर खर्राटा समस्या का संकेत नहीं होता। लेकिन अगर खर्राटे बार-बार आ रहे हैं, तो इन सामान्य कारणों को नजरअंदाज न करें:
- सर्दी–जुकाम या एलर्जी: नाक बंद होने या बलगम जमा होने की वजह से सांस का मार्ग अवरुद्ध हो सकता है, जिससे खर्राटे आते हैं।
- बढ़े हुए ऐडिनॉइड्स और टॉन्सिल्स: अगर टॉन्सिल्स और ऐडिनॉइड्स बड़े हो जाते हैं, तो गले में सांस के रास्ते को संकरा कर सकते हैं, जिससे खर्राटे आ सकते हैं।
- ओवरवेट या मोटापा: अधिक वजन के कारण गले और गर्दन के आसपास अतिरिक्त फैट जमा हो सकता है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो सकता है और खर्राटे शुरू हो सकते हैं।
- स्लीपिंग पोजीशन: अगर बच्चा पीठ के बल सोता है, तो जीभ और ऊपरी तालू पीछे की ओर गिर सकते हैं, जिससे सांस का मार्ग संकरा हो जाता है और खर्राटे आने लगते हैं।

कब सतर्क होने की ज़रूरत है?| Child Snoring at Night
अगर आपके बच्चे के खर्राटे के साथ निम्नलिखित लक्षण भी दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
- खर्राटों के दौरान सांस रुकना
- दिनभर सुस्ती और थकावट महसूस करना
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
- रात में पसीना आना
- मुंह से सांस लेना या बार-बार जागना
- सोते समय सांस फूलना या घुटन महसूस होना

क्या करें? | Child Snoring at Night
अगर आपके बच्चे को खर्राटे आ रहे हैं, तो घबराएं नहीं, कुछ आसान बदलाव और सावधानियां इस समस्या को हल कर सकती हैं:
- सोने का रूटीन व्यवस्थित करें – हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें।
- नाक की सफाई करें – सोने से पहले बच्चे की नाक को साफ करें ताकि सांस का मार्ग खुला रहे।
- वजन नियंत्रण में रखें – बच्चे का खानपान संतुलित करें और फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान दें।
- एलर्जी से बचाव करें – बच्चे के सोने की जगह को साफ रखें और धूल या पालतू जानवरों के संपर्क से बचाएं।
- डॉक्टर से सलाह लें – अगर समस्या बनी रहती है या गंभीर लक्षण दिखते हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें।