दुनियाभर में महिलाओं को अलग-अलग तरह की कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं में से एक है पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)। यह प्रजनन आयु की महिलाओं को प्रभावित करने वाली बहुत आम समस्या है, जिसका खतरा दुनियाभर में देखा जाता रहा है। पीसीओएस बीमारी की वजह से हार्मोनल असंतुलन, अनियमित मासिक धर्म और ओवरी में सिस्ट की दिक्कत हो सकती है। इस कारण कई प्रकार के स्वास्थ्य दुष्प्रभावों का जोखिम भी रहता है।
डॉक्टर कहते हैं कि अधिकतर महिलाएं शर्म की वजह से पीसीओएस और इससे होने वाली समस्याएं खुल कर बता नहीं पाती हैं। बीमारी का समय पर निदान और इलाज न होने के कारण कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के विकसित होने का जोखिम रहता है। आंकड़े बताते हैं कि अकेले भारत में हर पांच में से एक किशोरावस्था की महिला को PCOS की दिक्कत हो सकती है। वैश्विक स्तर पर इसका अनुमान 6% से 21% के बीच है। पीसीओएस के कारण होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं को लेकर विशेषज्ञों ने एक अध्ययन में सभी लोगों को सावधान किया है।
क्या है पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम? (What is Polycystic Ovary Syndrome?)
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) की वजह से होने वाली जटिलताओं के बारे में जानने से पहले ये समझना आवश्यक है कि आखिर ये बीमारी क्या है? स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि पीसीओएस, प्रजनन आयु की महिलाओं में होने वाली बीमारी है। हार्मोनल परिवर्तन से जुड़ी इस समस्या में आपका मासिक धर्म चक्र प्रभावित हो जाता है। इसमें या तो कई बार पीरियड्स होता ही नहीं या फिर कई दिनों तक होता रह सकता है।
इसके अलावा इस बीमारी में आपकी ओवरी (अंडाशय) के बाहरी किनारे पर तरल पदार्थों से भरे छोटे-छोटे सिस्ट हो सकते हैं। पीसीओएस की दीर्घकालिक समस्या के कारण गर्भधारण में भी दिक्कत हो सकती है।अब हालिया अध्ययन में पीसीओएस और संज्ञानात्मक गिरावट के बीच संबंध देखे गए हैं।
पीसीओएस के कारण संज्ञानात्मक क्षमताओं में गिरावट
जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया है कि 40 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिलाओं में पीसीओएस की समस्या मस्तिष्क स्वास्थ्य संबंधित दिक्कतों का कारण बन सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में पीसीओएस क्लिनिक के निदेशक और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक हीथर जी. हडलस्टन कहते हैं कि हमारे परिणामों से पता चलता है कि पीसीओएस की समस्या से परेशान महिलाओं में जीवन के मध्यकाल में याददाश्त कम होने और सोचने की क्षमता में परिवर्तन का जोखिम देखा गया है। यह जीवन की गुणवत्ता, करियर और वित्तीय सुरक्षा सहित कई स्तरों पर आपको प्रभावित कर सकता है।
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अध्ययन में क्या पता चला?
अध्ययन में बताया गया है कि विशेष रूप से 55 वर्ष की औसत आयु वाली महिलाएं जिन्हें पीसीओएस की समस्या थी उन्होंने संज्ञानात्मक परीक्षणों में कम स्कोर हासिल किए।शोधकर्ताओं ने इन महिलाओं की ब्रेन एमआरआई में मस्तिष्क में मौजूद सफेद पदार्थ में भी परिवर्तन नोटिस किया, जो उम्र बढ़ने का संकेत हो सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि जिन महिलाओं में पीसीओएस की समस्या थी उनका कॉग्नेटिव टेस्ट स्कोर भी, बिना पीसीओएस वाली महिलाओं की तुलना में कम था।
क्या निकला निष्कर्ष?
अध्ययन के निष्कर्ष के आधार पर विशेषज्ञों ने कहा कि परिणामों की पुष्टि के लिए अभी और विस्तृत शोध की आवश्यकता है, लेकिन ये कहा जा सकता है कि सामान्य सी मानी जाने वाली ये बीमारी महिलाओं की सेहत को कई प्रकार से प्रभावित कर सकती है।ये बीमारी न सिर्फ बांझपन के सबसे आम कारणों में से एक है, बल्कि इसकी वजह से चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर अतिरिक्त बाल होने और समय के साथ टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा अधिक देखा जाता रहा है। पीसीओएस के साथ जिन महिलाओं को अधिक वजन की समस्या है, उनमें उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोगों का जोखिम भी अधिक देखा जाता रहा है।