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हर बच्चा सीख सकता है… जब एक स्पेशल एजुकेटर उसकी दुनिया समझे – जानिए कैसे!

Smita Singh
Special Educator, The Hope Rehabilitation and Learning Centre, Lucknow

आज के समावेशी (inclusive) शैक्षिक परिवेश में, न्यूरोडायवर्स बच्चों- जैसे ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD), ADHD, लर्निंग डिसएबिलिटी, इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी आदि से ग्रसित बच्चों- के समुचित विकास और पुनर्वास के लिए केवल चिकित्सा या स्कूल पर्याप्त नहीं हैं। ज़रूरत है एक एकीकृत पुनर्वास मॉडल की, जहां चिकित्सा (थैरेपी) और शिक्षा साथ मिलकर काम करें। इसी मॉडल में विशेष शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।

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न्यूरोडायवर्सिटी और शिक्षा की समझ

न्यूरोडायवर्सिटी यह मान्यता है कि मस्तिष्क की विविधताएं एक प्राकृतिक मानवीय भिन्नता हैं, न कि कोई दोष। यह दृष्टिकोण बच्चों को “ठीक” करने की बजाय उन्हें उनके अनुकूल वातावरण देने पर ज़ोर देता है। शिक्षा में इसका मतलब है- ऐसा पाठ्यक्रम और शिक्षण प्रणाली तैयार करना जो हर बच्चे को सीखने का समान अवसर दे।

एकीकृत पुनर्वास प्रणाली क्या है?

एकीकृत पुनर्वास प्रणाली वह मॉडल है जिसमें ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट, साइकोलॉजिस्ट, फिजियोथेरेपिस्ट और विशेष शिक्षक साथ मिलकर एक बच्चे के विकास के लिए कार्य करते हैं। इस प्रणाली का उद्देश्य है कि शारीरिक, संज्ञानात्मक, भाषिक और व्यवहारिक विकास के सभी पहलुओं पर एक साथ काम किया जाए।

विशेष शिक्षक की प्रमुख भूमिकाएं

व्यक्तिगत शिक्षा योजना (IEP) बनाना: प्रत्येक बच्चे की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए एक विशेष शैक्षिक योजना बनाना और उस पर निरंतर काम करना।

पाठ्यक्रम में संशोधन (Curriculum Adaptation): सीखने की शैली, गति और समझ के अनुसार टूल्स, गतिविधियाँ और मटेरियल्स को अनुकूलित करना।

व्यवहार सुधार तकनीकों का प्रयोग: ABA, पॉज़िटिव रिइन्फोर्समेंट, विज़ुअल शेड्यूलिंग जैसी तकनीकों के माध्यम से बच्चे के व्यवहार में सुधार लाना।

थैरेपी टीम और अभिभावकों से समन्वय: थैरेपिस्ट्स और माता-पिता के साथ नियमित संवाद कर बच्चे की प्रगति को सुनिश्चित करना।

स्कूल रेडीनेस और सामाजिक कौशल सिखाना: मुख्यधारा स्कूल में सम्मिलित होने के लिए आवश्यक सामाजिक व्यवहार, ध्यान, नियम पालन आदि सिखाना।

शोध और प्रमाण आधारित दृष्टिकोण

UDL (Universal Design for Learning): यह सिद्धांत शिक्षा को लचीला और अनुकूल बनाने में मदद करता है।

Person-Centered Planning: जब बच्चा स्वयं अपनी योजना में भागीदार होता है, तो उसकी प्रगति तेज़ होती है।

Collaborative Teaching Models: शोध से यह सिद्ध हुआ है कि स्पेशल एजुकेटर और अन्य थैरेपिस्ट्स का तालमेल बच्चों के परिणामों को बेहतर बनाता है।

चुनौतियाँ

  • प्रशिक्षित स्टाफ और संसाधनों की कमी
  • जनरल टीचर्स को समावेशी शिक्षा की जानकारी का अभाव
  • माता-पिता को प्रक्रिया में जोड़ने में कठिनाई

एकीकृत पुनर्वास प्रणाली में विशेष शिक्षक की भूमिका किसी भी ‘कंडक्टर’ की तरह होती है, जो सभी भागों को मिलाकर एक सुंदर ‘संगीत’ बनाता है- जहाँ बच्चा सिर्फ़ सीखता नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ता है। हर न्यूरोडायवर्स बच्चा सीख सकता है- बशर्ते कि उसे सिखाने वाला कोई ऐसा हो जो उसकी दुनिया को समझे।

The Hope Rehabilitation and Learning Centre, Lucknow में हम विशेष शिक्षकों, थैरेपिस्ट्स और माता-पिता के साथ मिलकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हर बच्चा अपने पूर्ण सामर्थ्य तक पहुँच सके।

संपर्क करें:

हेल्पलाइन: 90445 00099 वेबसाइट: www.thehoperehab.in

ऑटिस्टिक बच्चों के लिए रोशनी की किरण बन रहा द होप रिहैबिलिटेशन एंड लर्निंग सेंटर

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