परवरिश की बात आती है तो मां का जिक्र सबसे पहले आता है. चाहे मां से अपेक्षाएं हों या फिर मां की जिम्मेदारी मानी जाए, कहते हैं मां ही बच्चे की पहली गुरु मानी जाती है. ऐसे में मां जो कुछ बच्चे को सिखाती है वो उम्रभर बच्चे के साथ रहता है. ऐसी ही जीवन की कुछ सीखें हैं जो एक मां छोटी उम्र से ही बच्चे को सिखा सकती है।
मां की दी यह दीक्षा जीवनभर बच्चे के साथ रहती है, उसे एक अच्छा इंसान बनाती है और सही-गलत में फर्क करना सिखाती है. अगर आप भी एक मां हैं तो अपने बच्चे को कुछ बातें आपको जरूर सिखानी चाहिए।
दूसरों का सम्मान करना
बच्चे को दूसरों का सम्मान करना बचपन से ही आना चाहिए. सामने वाला व्यक्ति चाहे अमीर हो या गरीब, बच्चा हो या बूढ़ा, महिला हो या पुरुष, सम्मान हर उस व्यक्ति का किया जाना चाहिए जो सम्मान डिजर्व करता है. साथ ही, दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना भी सिखाएं।
संवेदनशीलता
अक्सर बच्चे समझदार होते हैं, सदगुणी होते हैं और सद्भाव रखते हैं लेकिन संवेदनशील नहीं होते. संवेदनशीलता जिसे हम सेंसिटिविटी कहते हैं बड़े-बड़ों में भी नहीं होती, लेकिन छोटी उम्र से ही बच्चों को सिखाई जा सकती है. किसी की गरीबी पर ना हंसना, किसी का दुख समझना, किसी के गम को बांटना व्यक्ति के अच्छा इंसान होने की पहचान भी हैं।
गलती पर माफी मांगने से ना झिझकना
मां को अपने बच्चों में यह गुण जरूर डालने की कोशिश करनी चाहिए कि वे कभी अपनी गलतियों से भागें ना बल्कि गलतियों से सीखें, गलती करके माफी मांगने से कभी झिझक महसूस ना करें।
हिम्मत ना हारना
बच्चों को स्कूल में भी यह बात सिखाई जाती है कि उन्हें कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, बिल्कुल वैसे ही जैसे नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती है दीवारों पर सौ बार फिसलती है. यह कविता बच्चे को सुनाएं भी और समझाएं भी।
आत्मसम्मान और आत्मप्रेम
सेल्फ रिस्पेक्ट (Self Respect) और सेल्फ लव, दो ऐसी चीजें जो हर कोई चाहता है लेकिन कम ही लोग हासिल कर पाते हैं, समझ पाते हैं. अपने बच्चे को समझाएं कि आत्मसम्मान और आत्मप्रेम क्या है और कैसे उन्हें इन दोनों ही गुणों को खुद में ढालना चाहिए।