FASD Awareness Day 2025: प्रेग्नेंसी में एक घूंट शराब भी बच्चे के लिए ‘जहर’ से कम नहीं

FASD Awareness Day 2025: हर साल 9 सितंबर को ‘अंतरराष्ट्रीय भ्रूण अल्कोहल सिंड्रोम दिवस’ मनाया जाता है. ये तारीख साल के नौवें महीने के नौवें दिन होती है. ये दिन संदेश देता है कि पूरे 9 महीने, प्रेग्नेंसी के दौरान एक भी बूंद शराब नहीं लेना है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो प्रेग्रनेंसी में अल्कोहल लेना बिल्कुल भी सेफ नहीं है, चाहे मात्रा कितनी भी कम क्यों न हो. प्रेग्नेंसी के दौरान शराब की कोई सेफ लिमिट नहीं होती. यहां तक कि एक घूंट अल्कोहल भी बच्चे की सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकती है. यही कारण है कि 9 सितंबर को दुनिया भर में ये अवेरनेस फैलाने की कोशिश होता है कि जो महिलाएं प्रेग्नेंट हैं या कंसीव करने का प्लान बना रही हैं, वो पूरी तरह शराब से दूर रहें.
बच्चे के शरीर, दिमाग और बिहेवियर पर पड़ता है गंभीर असर | FASD Awareness Day 2025
जब कोई महिला शराब पीती है, तो वो अल्कोहल उसके शरीर से होते हुए प्लेसेंटा के जरिए सीधे भ्रूण तक पहुंच जाता है. फीटस का शरीर अभी विकसित हो रहा होता है और वह किसी भी तरह के जहरीले पदार्थ, खासकर अल्कोहल, से खुद को नहीं बचा सकता. ऐसे में बच्चे के शरीर, दिमाग और बिहेवियर पर गंभीर असर पड़ सकता है. सबसे खतरनाक बात ये है कि ज्यादातर प्रेग्नेंसी बिना किसी प्लानिंग के होती हैं. ऐसे में महिलाओं को पता ही नहीं होता कि वो गर्भवती हैं और वे आम दिनों की तरह सामाजिक तौर पर या आदतन अल्कोहल लेती रहती हैं. जब तक उन्हें प्रेग्नेंसी का पता चलता है, तब तक भ्रूण शराब के कॉन्टैक्ट में आ चुका होता है और साइड इफेक्ट्स शुरू हो चुके होते हैं.
जन्म से ही डिसऑर्डर मुमकिन | FASD Awareness Day 2025
शराब गर्भ में बच्चे के शरीर में कई तरह की जन्मजात डिसऑर्डर पैदा कर सकता है. बच्चे का जन्म समय से पहले हो सकता है, वजन नॉर्मल से काफी कम हो सकता है, उसका विकास धीमा पड़ सकता है, और गर्भपात की आशंका भी बढ़ सकती है. चेहरे की बनावट में भी असामान्यताएं देखी जाती हैं, जैसे ऊपरी होंठ पतला होना, नाक और होंठ के बीच की जगह, जिसे फिल्ट्रम कहते हैं, पूरी तरह से स्मूद हो जाना, और आंखों का आकार सामान्य से छोटा होना जैसी चीजें शामिल हैं. ये सब लक्षण फीटल अल्कोहल सिंड्रोम के इशारे होते हैं.
बच्चे के मेंटल हेल्थ पर असर | FASD Awareness Day 2025
सिर्फ फिजिकल नहीं, बल्कि मेंटल और बिहेवियरल प्रॉब्लम्स भी ऐसे बच्चों में पाई जाती हैं, जैसे कमजोर याददाश्त, कम आईक्यू, पढ़ाई में दिक्कत, हाइपर-एक्टिविटी, नींद की समस्या, सोशल कनेक्ट की कमी और आत्मविश्वास की भारी कमी. ये सभी समस्याएं बच्चे के पूरे जीवन को प्रभावित करती हैं. इस सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है. इसका सिर्फ एक ही उपाय है ‘बचाव’ और बचाव का सबसे कारगर तरीका है कि जो महिलाएं प्रेग्नेंसी की योजना बना रही हैं, वे कम से कम तीन महीने पहले ही अल्कोहल का सेवन पूरी तरह बंद कर दें. इससे शरीर पूरी तरह से डिटॉक्स हो जाएगा और शिशु को सुरक्षित माहौल मिलेगा. गर्भावस्था का जैसे ही पता चले, तुरंत अल्कोहल से दूरी बना लेनी चाहिए.
कोई सेफ लिमिट नहीं है | FASD Awareness Day 2025
प्रेग्नेंसी में अल्कोहल की कोई भी लिमिट सेफ नहीं है. ये एक मनगढ़ंत बात है कि थोड़ी-बहुत अल्कोहल से कोई फर्क नहीं पड़ता. असलियत ये है कि एक घूंट अल्कोहल भी जिंदगीभर के लिए बच्चे को नुकसान दे सकती है.