कुछ लोगों का पाचन सिस्टम इतना बिगड़ा हुआ होता है कि वो जो भी कुछ खाते हैं उसे खाने के तुरंत बाद ही पेट में प्रेशर बनने लगता है। आमतौर पर जिन लोगों का पाचन इस तरह का होता है वो दिन में 3-4 बार टॉयलेट जाते हैं। कभी-कभी दिन में 3-4 बार टॉयलेट जाना कोई परेशानी नहीं है लेकिन अगर ये समस्या रोज़ होती है तो संभल जाइए। यह परेशानी आपके खराब पाचन और लीवर में खराबी होने के संकेत हो सकते हैं।
खाना खाने के बाद तुरंत पॉटी आनी की परेशानी को गैस्ट्रो-कॉलिक रिफ्लक्स (Gastrocolic Reflex) कहते हैं। अब सवाल ये उठता है कि क्या इस परेशानी की वजह से खाना खाने के बाद भोजन बिना पचे शरीर से बाहर निकल जाता है? एक्सपर्ट के मुताबिक इस परेशानी के लिए हमारा खान-पान जिम्मेदार है। हैवी फूड्स का सेवन करने से गैस्ट्रो-कॉलिक रिफ्लक्स की परेशानी बढ़ने लगती है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि इस परेशानी से बचने के लिए क्या करना चाहिए? एक्सपर्ट के तौर पर आरोग्य इंडिया प्लेटफार्म से जुड़े हैं डॉ रवि आनंद, जो आपको परेशानी से संबंधित सारी जानकारी देंगे।
Anand Care Clinic के Gastroenterologist, Hepatologist & Therapeutic Endoscopist Dr. Ravi Anand से जानेंगे कि आखिर ऐसा क्यों होता है और यह कौन से खतरे का संकेत है?
कई लोग ये शिकायत करते हैं कि हम जैसे ही खाना खाते हैं तो मोशन जैसा लगने लगता है, यह गैस्ट्रो-कॉलिक रिफ्लक्स बीमारी होती है। डॉक्चर बताते हैं कि यह एक तरह से रिफ्लक्स है जो नसों द्वारा वहां पर जाता है। पेट की नसें और आंतों की नसें इंटरकनेक्टेड होती हैं और हार्मोन्स के जरिये इंटरैक्ट करती हैं, ऐसा कुछ पेशेंट्स में पाया जाता है। आपका जानकारी के लिए बता दें कि ये कोई बीमारी नहीं है, ये आमतौर पर नॉर्मल लोगों में पाया जाता है। लेकिन जब ये अत्यधिक हो जाता है तब परेशानी होती है।
अब यह जानना जरूरी है कि डाईट में क्या कुछ शामिल किया जाए जिससे इस समस्या छुटकारा मिल सके।
कई बार अगर ये कंट्रोल नहीं होता है, पेशेंट को बार-बार दिक्कत होती है तो उनको डॉक्टर से पास जाना चाहिए। क्योंकि कुछ मेडिकेशन ऐसी होती हैं जो इन रिफ्लक्स को कम करने में मदद करती हैं। उससे पेशेंट को अच्छा फील होता है और वो रिकवर होने लगता है। पेशेंट जब भी कुछ खाता-पीता है तो उसको ये ध्यान रखना चाहिए कि वो ऐसा कुछ न खाये जिससे गैस्ट्रो-कॉलिक रिफ्लक्स ट्रिगर हो। जैसे दूध हो सकता है, कई बार फलों से भी हो सकता है।
अपनी भोजन की थाली को संतुलित रखें और स्वंय ही उसकी मॉनिटरिंग करें।
आपका जो भी खानपान है उस पर ध्यान दें कि यह कितने दिनों से शुरू हुआ है। अगर आपको लगता है कि आप एक महीने पहले ठीक थे तो आपको यह देखना पड़ेगा कि एक महीने में आपकी लाइफस्टाइल में, खानपान में क्या बदलाव हुआ है? जिससे ये दिक्कत शुरू हो गई है। पानी का सोर्स चेंज हो गया है, दूध का सोर्स चेंज हो गया है, सब्जियां आपने कुछ अलग से बनानी शुरू कर दी हैं या फिजिकल एक्टिविटी में कुछ बदलाव हुआ है।
खाने के तुरंत बाद शौच जाना पड़ता है तो इन चीजों से करें परहेज
चटपटी, मसालेदार, खटाई वाली चीजें पाचन को बिगाड़ सकती है इसलिए उनका सेवन कम करें। जिन लोगों को गैस्ट्रो-कॉलिक रिफ्लक्स की परेशानी होती है वो बेसन से बनी चीजों का सेवन न करें। बेसन का सेवन करने से गैस की समस्या बढ़ सकती है। जंक फूड्स और ड्राई फूड्स का सेवन करने से परहेज करें। ये फूड्स आपके पाचन के लिए ठीक नहीं हैं। बेकरी फूड्स से परहेज करें। सुपाच्च भोजन का सेवन करें।
सब्जियों की बात करें तो आप लौकी, तोरई, परवल, टिंडे, पेठा का सेवन करें। ये सब्जियां हल्की होती हैं, इनका सेवन करने से गैस्ट्रो-कॉलिक रिफ्लक्स की परेशानी से मुक्ति मिलने की उम्मीद है। फ्रूट्स में आप अमरूद, पपीता और सीताफल का सेवन करें। चीकू, केला और संतरा भी आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होता है। खान-पान में बदलाव करके आप आसानी से गैस्ट्रो-कॉलिक रिफलक्स की समस्या का इलाज कर सकते हैं।