Guillain-Barre Syndrome: देश के कई राज्य पिछले करीब एक महीने से गिलियन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) से प्रभावित देखे जा रहे हैं। तंत्रिकाओं को अटैक करने वाली ये बीमारी कई लोगों में गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं को भी बढ़ा रही है जिसके चलते मरीजों को आईसीयू और वेंटिलेटर पर भी रखने की जरूरत पड़ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुणे इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित शहर है, जहां पर अब तक पांच लोगों की मौत भी हो चुकी है। महाराष्ट्र के बाद पश्चिम बंगाल, राजस्थान और तेलंगाना में भी जीबीएस के मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को इस बीमारी से बचाव को लेकर सावधानी बरतते रहने की सलाह दी है।
अब आपके मन में भी सवाल होगा कि देशभर में गिलियन बैरे सिंड्रोम के कारण कैसे हालात हैं? कितने लोग अब भी वेंटिलेटर पर हैं और कितने इससे ठीक हो चुके हैं? जिन शहरों में बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं वहां लोगों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किन संकेतों की मदद से जीबीएस की पहचान की जा सकती है? आइए इन सबके बारे में विस्तार से जानते हैं।
श्वसन संबंधित समस्याओं के मरीजों की संख्या ज्यादा | Guillain-Barre Syndrome
हालिया जानकारियों के मुताबिक पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़कर अब 158 हो गई है, जिसमें अब तक कुल 38 रोगियों को ठीक होने के बाद छुट्टी दे दी गई है। इस बीमारी के शिकार पांच लोगों की मौत भी हो चुकी है। चिंताजनक बात यह है कि महाराष्ट्र में करीब 28 लोग वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। इन लोगों को श्वसन संबंधित समस्याओं और गंभीर बीमारी के कारण वेंटिलेटर पर रखा गया है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश अबितकर ने रविवार को मीडिया को बताया कि पुणे में जीबीएस के मामलों में फिलहाल कोई नया उछाल नहीं है और स्थिति नियंत्रण में है। कई अस्पतालों में नियमित रूप से जीबीएस के मरीज सामने जरूर आ रहे हैं हालांकि अच्छी बात ये है कि उनमें से अधिकांश लोग आसानी से ठीक भी हो रहे हैं।
दूषित जल स्रोतों के माध्यम से फ़ैल रहा वायरस! | Guillain-Barre Syndrome
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के विशेषज्ञ सक्रिय रूप से इस प्रकोप की जांच कर रहे हैं, हालांकि अभी तक इस बीमारी के फैलने का कोई निश्चित कारण पता नहीं किया जा सका है। प्रारंभिक परीक्षण में कुछ रोगियों के सैंपल में मेंकैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का पता चला है, जिसे पहले से ही इस रोग को ट्रिगर करने वाला माना जाता रहा है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि ये बैक्टीरिया दूषित जल स्रोतों के माध्यम से इंसानों में बीमारी बढ़ाने वाले हो सकते हैं, इसको ध्यान में रखते हुए जल की स्वच्छता को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ? | Guillain-Barre Syndrome
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, गिलियन-बैरे सिंड्रोम के मरीज आसानी से ठीक हो सकते हैं, अगर समय पर रोग का निदान हो जाए और उन्हें इलाज मिल जाए। जिन स्थानों पर जीबीएस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है वहां पर लोगों को बीमारी के लक्षणों को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहना जरूरी है। कुछ संकेतों पर गंभीरता से ध्यान देकर समय रहते इलाज प्राप्त किया जाना चाहिए। डॉक्टर ने कुछ लक्षणों के बारे में भी बताया है जिनके बारे में सभी लोगों को जानना और इस तरह के लक्षणों पर गंभीरता से ध्यान देना आवश्यक है।
इन लक्षणों को बिल्कुल न करें अनदेखा | Guillain-Barre Syndrome
गिलियन-बैरे सिंड्रोम खतरनाक जटिलताओं का कारण बन सकती है, अगर समय पर इसका इलाज न प्राप्त किया जाए। इसलिए बीमारी के संकेतों को लेकर गंभीरता जरूरी है। अगर आपको कुछ दिनों से इन पांच में से दो लक्षण भी महसूस हो रहे हैं तो सावधान हो जाइए और इलाज के लिए तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
- इस बीमारी में कमजोरी महसूस होती है जो पैरों से शुरू होकर छाती और सिर तक जा सकती हैI
- हाथों, पैरों या शरीर के अन्य हिस्सों में झनझनाहट या सुन्न होने का एहसास हो सकता है।
- गंभीर मामलों में, सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।
- मरीजों को मांसपेशियों की पूर्ण या आंशिक रूप से लकवा मारने की समस्या हो सकती है।
- आंतों और मूत्र प्रणाली की समस्या भी इस बीमारी के शिकार लोगों में देखी जाती रही है।