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Health Alert: छाती में बलगम ने कर दिया है परेशान, ये गंभीर समस्या का संकेत तो नहीं?

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Health Alert in India: इन दिनों दिल्ली-एनसीआर सहित देश के अधिकतर हिस्सों में कभी धूप-कभी बरसात वाला मौसम बना हुआ है। इस तरह की परिस्थितियां कई प्रकार के संक्रमण, विशेषतौर पर श्वसन से संबंधित रोगों के खतरे को बढ़ाने वाली हो सकती हैं। यही कारण है कि अगस्त-सितंबर के महीनों में फ्लू संक्रमण के मामले काफी बढ़ जाते हैं। कई लोगों को इसमें बुखार, खांसी, गले में खराश के साथ छाती में बलगम जमा होने की दिक्कत हो सकती है। कहीं आप भी तो इन समस्याओं का शिकार नहीं हैं?

मानसून के महीनों में जहां मौसम ठंडा और सुहावना हो जाता है, वहीं सेहत से जुड़ी कुछ दिक्कतें भी बढ़ने लगती हैं। इन्हीं में से एक आम समस्या है छाती में बलगम जमना। बरसात के दिनों में नमी और ठंडक बढ़ जाती है, जिससे वायरस और बैक्टीरिया तेजी से सक्रिय हो जाते हैं। यही वजह है कि आपको सर्दी-जुकाम के साथ बलगम की दिक्कत हो सकती है।

बलगम (म्यूकस) हमारे शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा है। ये सांस की नलियों में मौजूद धूल, धुआं और जीवाणुओं को फेफड़ों तक पहुंचने से रोकता है। यानी बलगम होना सामान्य है और यह शरीर को बचाता है। लेकिन जब इसकी मात्रा बढ़ जाती है या ये गाढ़ा होकर छाती में जम जाता है तब दिक्कत शुरू होती है। आपको खांसी, सीने में भारीपन, सांस लेने में तकलीफ और बार-बार गले साफ करने की समस्या होने लगती है। आइए समझते हैं कि कहीं ये किसी गंभीर समस्या का कारण तो नहीं है और इससे निजात कैसे पाया जाए?

मानसून के दिनों में संक्रमण और बलगम की समस्या | Health Alert in India

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, मानसून सीजन में वायरल संक्रमण और रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के मामले बढ़ जाते हैं। साल 2023 की एक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, बारिश के दिनों में लोगों में खांसी और बलगम की शिकायत लगभग 30% तक बढ़ जाती है। यह सिर्फ एक सामान्य जुकाम नहीं, बल्कि कभी-कभी ब्रॉन्काइटिस, निमोनिया या अस्थमा जैसी बीमारियों का भी संकेत हो सकता है। खासकर बुजुर्गों, बच्चों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में ये समस्या ज्यादा गंभीर हो जाती है। यानी मानसून में छाती का बलगम हो गया है और ये ठीक नहीं हो रहा तो इसपर गंभीरता से ध्यान देना भी जरूरी हो जाता है।

पहले बलगम के बारे में समझ लीजिए | Health Alert in India

हमारी सांस की नली और फेफड़ों के अंदर एक पतली परत होती है, जो बलगम बनाती है। ये बलगम धूल, बैक्टीरिया और वायरस को फेफड़ों तक जाने से रोकने का काम करता है। यानी ये शरीर की सुरक्षा ढाल है। लेकिन जब सर्दी-जुकाम, संक्रमण, एलर्जी या प्रदूषण ज्यादा हो जाता है, तो बलगम सामान्य से ज्यादा बनने लगता है और गाढ़ा हो जाता है। यही कारण है कि छाती भारी लगने लगती है, सांस लेने में दिक्कत होती है, खांसी के साथ चिपचिपा बलगम बाहर आता है। अगर यह साफ नहीं हुआ तो फेफड़ों में जमा होकर संक्रमण भी फैला सकता है।

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छाती में बलगम जमने का कारण क्या है? | Health Alert in India

बलगम जमने के कई कारण हो सकते हैं। सर्दी-जुकाम या फ्लू की स्थिति में वायरल संक्रमण के कारण ज्यादा बलगम बनने लगता है। इसके अलावा जिन लोगों को एलर्जी की दिक्कत है उनमें भी ये समस्या अधिक और बार-बार देखी जाती रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बलगम आमतौर पर खतरनाक नहीं होता। सामान्य जुकाम में यह अपने आप साफ हो जाता है। लेकिन अगर बलगम के साथ और कुछ दिक्कतें हो रही हैं तो इसे अनदेखा न करें। यदि आपको लंबे समय तक खांसी (2-3 हफ्ते से ज्यादा) है और बलगम हो रहा है तो सावधान हो जाइए।

बलगम के साथ खून आना या फिर पीला, हरा या बहुत बदबूदार बलगम आना भी गंभीर माना जाता है। तेज बुखार और सांस लेने में तकलीफ के साथ बलगम की समस्या कई बीमारियों का संकेत हो सकती है। सीने में दर्द या सीटी जैसी आवाज आना भी अलार्मिंग माना जाता है। ये लक्षण निमोनिया, टीबी, क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस या यहां तक कि फेफड़ों के कैंसर जैसे गंभीर रोगों का संकेत हो सकते हैं इसलिए इन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए।

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छाती में बलगम है तो कैसे पाएं आराम? | Health Alert in India

छाती का बलगम अगर सामान्य संक्रमण या सर्दी-जुकाम की वजह से है, तो कुछ उपायों से इसमें आराम पाया जा सकता है। हालांकि इसका जांच जरूर कराएं ये किसी गंभीर समस्या का भी संकेत हो सकती है। सामान्य फ्लू के साथ होने वाले बलगम में गर्म पानी का भाप लें। दिन में 2–3 बार भाप लेने से बलगम ढीला होकर बाहर निकलने लगता है।

  • गर्म पानी और अदरक-शहद का सेवन गले की खराश और बलगम को कम करने में मदद करता है।
  • हल्दी वाला दूध भी लाभकारी है। हल्दी के एंटी-बैक्टीरियल गुण संक्रमण कम करते हैं।
  • नमक के गुनगुने पानी से गरारे करने से बलगम और सूजन कम होता है।
  • इन उपायों के साथ धूम्रपान और धुएं से दूरी रखें। प्रदूषण या धूल वाले इलाके में मास्क पहनें। बलगम की स्थिति में ठंडा पानी और ठंडी चीजें न खाएं। छाती में बलगम हमेशा खतरनाक नहीं होता है पर अगर ये सामान्य उपायों से ठीक न हो रहा हो तो डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

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