गर्मी अपना कहर बरपा रही है. तीखी धूप के साथ-साथ लू चलने लगी है. इसके चलते अचानक गर्मी से संबंधित बीमारियों के मरीज अस्पतालों में आने लगे हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो गर्मी के चलते अस्पताल में कई मरीज ऐसे आ रहे हैं जिनमें डिहाइड्रेशन की समस्या के साथ-साथ दिमाग की नसें सूखने की शिकायत है. ब्रेन स्ट्रोक, मिर्गी की समस्या के मरीज भी बढ़े हैं. चिकित्सकों की जांच में पता चला है कि कई मरीजों के दिमाग की नसें सूख रही हैं जिसके कारण उन्हें झटके आ रहे हैं. दिल भी सामान्य गति से तेज धड़कने लगा है.
गर्मी के समय में दिमाग की नसें सूखने लगती हैं जिससे ब्लड का सर्कुलेशन सही ढंग से नहीं होता है. इसकी वजह से मरीज को झटके आना, आंखों की रोशनी का कमजोर होना और मिर्गी के दौरे पड़ते हैं.
गर्म हवाओं के चलते लू जैसे हालात बन गए हैं जिसके कारण बढ़े हुए तापमान की वजह से लोगों को ज्यादा परेशानी हो रही है. गर्मी के मौसम में बीपी और न्यूरो के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. ऐसे में उन्हें नियमित तौर पर दवा लेने की सलाह चिकित्सकों द्वारा दी जाती है. इसी पर बात करने के लिए आरोग्य इंडिया प्लेटफोर्म से जुड़े हैं डॉ अचल गुप्ता.
हर साल प्रचंड धूप होती है जिससे हीट स्ट्रोक के केसेज बहुत आम हो जाते हैं. जब हीट वेव बढ़ती है और तापमान 45 डिग्री के ऊपर जाने लगता है तो ओल्ड एज और बच्चों के अंदर गर्मी बन जायती है. उनकी बॉडी इसे सहन नहीं कर पाती. जब हीट स्ट्रोक होता है तो उससे कई बीमारियां होती हैं जिनके कॉमन सिम्पटम्स हैं चक्कर आना, मसल्स में क्रैंम्प्स होना, शरीरा का तापमान बढ़ा हुआ रहना.
लू के थपेड़े शरीर को किस हद तक नुक्सान पहुंचा सकते हैं? क्या ये जानलेवा भी हो सकते हैं?
डॉक्टर अचल के मुताबिक, लू के थपेड़े जानलेवा भी हो सकते हैं. अगर हीट स्ट्रोक के बाद ठीक से ध्यान न रखा जाये या हीट स्ट्रोक होने पर इलाज न कराया जाये तो इससे जान भी जा सकती है. क्योंकि बच्चे और बुजुर्ग लोगों की बॉडी तापमान को सहन नहीं कर पाती है. ऐसे केसेज में उनका विशेष रूप से ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है.
भीषण गर्मी के इस मौसम में किस एज ग्रुप के लोगों को सावधानी बरतना जरूरी है?
डॉक्टर बताते हैं कि 5 साल से छोटे बच्चे और 65 साल से ऊपर के लोगों को कपड़े टाइट नहीं पहनने चाहिए, उनको ढीले-ढाले कपड़े पहनना चाहिए, सूती कपड़े हों तो ज्यादा अच्छा है. पानी की मात्रा लगातार देते रहें. 65 साल से ऊपर के लोगों को 5 से 6 लीटर तक पानी जरूर दें.
वहीं बच्चों का ज्यादा ख्याल रखने की जरूरत होती है. अगर बच्चे दूध पीने वाले हैं तो बार-बार दूध पिलाते रहें जिससे डाहाइड्रेशन की समस्या न होने पाये. बच्चों को ज्यादा लेयरिंग में कपड़े न पहनायें.
इस मौसम में एसी, कूलर पर बढ़ती हुई निर्भरता कितनी खतरनाक है?
एसी या कूलर के ठीक सामने नहीं बैठना चाहिए. इनकी ठंडी हवा सीधे चेहरे या सांस में नहीं जानी चाहिए. तुरंत एसी या कूलर से निकलकर बाहर नहीं जाना चाहिए.
घर से बाहर निकलते समय जरूर ध्यान रखें
घर से बाहर निकलते समय धूप से बचने के लिए सर को ढक पर निकलें. शरीर में पानी की मात्रा कम न होने दें. नारियल, नींबू पानी लगातार लेते रहें. वहीं शरीर में कमजोरी आना और झटका महसूस होना, चलते-चलते अचानक बेहोश हो जाना और आंखों की रोशनी कमजोर होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.