रात में खर्राटे लेता है बच्चा, इस गंभीर बीमारी का संकेत समझ हो जाना चाहिए Alert!

अक्सर रात में अगर बच्चे खर्राटे लेते हैं तो माता-पिता को यह आम चिंता का विषय लगता है। हालांकि, लगातार खर्राटे लेना कई सारी स्वास्थ्य समस्याओं के संकेत हो सकते हैं, जिस नजरअंदाज करना नुकसानदायक हो सकता है। बार-बार खर्राटे लेना नींद और सांस से जुड़ी (SDB) से जुड़ी दिक्कतों का संकेत हो सकता है। यह एक ऐसी बीमारी है, जो पूरी दुनिया के बच्चों का एक अच्छा खासा हिस्से को प्रभावित किए हुए है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार, बच्चों के खर्राटों से जुड़ी दिक्कतों को लोग अक्सर हल्के में लेते हैं, लेकिन कई बार वह भूल जाते हैं कि उनके बच्चों को खास देखभाल की जरूरत है।
बच्चों में खर्राटे सिर्फ शोर की समस्या नहीं है, बल्कि यह एलर्जी, स्लीप एपनिया या सांस लेने में तकलीफ का संकेत भी हो सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह के बिना ओवर-द-काउंटर नेजल स्प्रे का इस्तेमाल करने के खिलाफ चेतावनी दी जाती है। कोई भी नेजल स्प्रे या घोल आंख मूंदकर न दें। अच्छे तरीके से अगर इस बीमारी का इलाज किया जाए तो इस समस्या का समाधान कर सकते हैं। माता-पिता को अपने बच्चे के स्वास्थ्य की रक्षा करने में मदद करने के लिए कारणों, जोखिमों और हेल्थ एक्सपर्ट से इस विषय में खास बातचीत करने की जरूरत है।

बचपन में खर्राटों के पीछे का सबसे बड़ा कारण
नाक बंद होना- मौसमी एलर्जी, सर्दी या वायरल इंफेक्शन के कारण नाक के रास्ते में इंफेक्शन हो जाता है, जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत होती है।
बढ़े हुए एडेनोइड्स/टॉन्सिल- सांस लेने वाली नली सूज सकते हैं, जिससे नींद के दौरान सांस की नली में दिक्कत होती है।
विचलित सेप्टम या पॉलीप्स- नाक की हड्डियों का टेढ़ा होना या नाक से सांस लेने में दिक्कत होना।
मोटापा- गर्दन के आसपास अतिरिक्त वजन वायुमार्ग पर दबाव डाल सकता है।
माता-पिता को कब होना चाहिए परेशान?
सभी खर्राटे खतरनाक नहीं होते, लेकिन इन चेतावनी संकेतों पर ध्यान दें।
जोर से बार-बार खर्राटे लेना, अधिकतर रातों में होता है।
सांस लेने में रुकावट या स्लीप एपनिया का संकेत हो सकता है।
मुंह से सांस लेना या बेचैन नींद होने पर बच्चा अक्सर करवटें बदलता है।
दिन में नींद आना या व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
ध्यान केंद्रित न कर पाना या चिड़चिड़ापन हो सकता है।
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इस समय डॉक्टर से लेनी चाहिए सलाह
पीडियाट्रिक्स में साल 2023 में किए गए एक रिसर्च में पाया गया कि अक्सर खर्राटे लेने वाले 30% बच्चों में नींद में गड़बड़ी के लक्षण दिखाई देते हैं, जो हार्ट हेल्थ और स्कूल के परफॉर्मेंस को काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं। अगर खर्राटे कई हफ्तों तक बने रहते हैं या अन्य लक्षणों के साथ जुड़ जाते हैं तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।