स्वास्थ्य और बीमारियां

Kailash Mansarovar Yatra की कर रहे हैं प्लानिंग तो जान लीजिए फिट रहना क्यों है जरूरी?

इस साल 30 जून से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होगी, जो अगस्त तक जारी रहेगी। साल 2020 के बाद से चीन से तनाव के कारण यह यात्रा बंद थी। ऐसे में इस साल जब यह यात्रा शुरू हो रही है तो जाहिर है कि यहां बड़ी संख्या में शिव भक्त जाएंगे। ऐसे में चलिए बताते हैं कि कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra) में कितने किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है और यात्रा के दौरान आपका फिटनेस लेवल कैसा होना चाहिए?

कैलाश मानसरोवर यात्रा में कैलाश पर्वत की परिक्रमा के दौरान करीब 52 से 55 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। यह यात्रा 3 दिन में पूरी की जाती है और 4,600 मीटर ऊंची तारबोचे घाटी से इसकी शुरुआत होती है। कैलाश मानसरोवर यात्रा में मानसरोवर झील की परिक्रमा भी शामिल होती है, जो 320 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है।

अनिफट पाए जाने पर यात्रा हो सकती है निरस्‍त

कैलाश मानसरोवर यात्रा जाने से पहले कई मेडिकल टेस्ट किए जाते हैं। दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट इस यात्रा के आवेदकों के फिटनेस स्तर को जांचने के लिए चिकित्सा परीक्षण आयोजित करता है। इसमें हीमोग्लोबिन, कोलेस्ट्रॉल, इंसुलिन आदि के लिए टेस्ट किए जाते हैं। बीएमआई या बॉडी मास इंडेक्स 27 या उससे कम होना चाहिए। यात्री के अनिफट पाए जाने पर उसकी यात्रा निरस्‍त हो सकती है।

कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान फिट रहना क्यों है जरूरी?

कैलाश मानसरोवर एक ऊंचाई वाली पहाड़ी यात्रा है, ऐसे में वहां जो भी जा रहा है, उसका शारीरिक रूप से फिट होना बेहद जरूरी है। शारीरिक रूप से फिट होने से पहाड़ों की ऊंचाई पर बॉडी अनुकूलित करने में मदद करता है, जिससे हाइपोक्सिया और पर्वतीय बीमारी का खतरा कम हो जाता है। फिट रहने से यात्रा के दौरान ऊर्जा का स्तर बना रहता है और थकान कम होती है, जिससे आप यात्रा का पूरी तरह से आनंद ले सकते हैं।

इस तरह कर सकते हैं खुद को फिट

यात्रा के दौरान ऊबड़-खाबड़ रास्तों और खराब मौसम से जूझने में भी फिट रहने से मदद मिलती है, जिससे गिरने या फिसलने का खतरा कम हो जाता है। इसलिए, कैलाश मानसरोवर यात्रा की तैयारी के लिए नियमित व्यायाम, जैसे- जॉगिंग, पैदल चलना, और साइकिल चलाना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा योगा और प्राणायाम भी अच्छी तैयारी का हिस्सा हो सकते हैं। यात्रा से पहले आपको अपनी ऊंचाई के अनुकूलन की भी तैयारी करनी चाहिए, जोकि एक लंबी अवधि की प्रक्रिया है।  

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button