भारत बन रहा Diabetes का अड्डा! देशवासियों का होश उड़ा देगी ‘द लेंसेट’ की ताजा Report

दुनिया के करीब एक चौथाई डायबिटिक भारत में ही रहते हैं। इनमें से अधिकतर लोग ऐसे हैं, जिनके डायबिटीज (Diabetes) का कभी इलाज ही नहीं हुआ है। ये चौंकाने वाला खुलासा ‘द लैंसेट’ मेडिकल जर्नल में पब्लिश एक स्टडी में किया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में दुनिया में 18 साल से अधिक उम्र वाले करीब 828 मिलियन लोग डायबिटीज की चपेट में थे। इनमें से एक चौथाई से अधिक यानी लगभग 212 मिलियन भारत में थे। इसके बाद चीन 148 मिलियन, अमेरिका 42 मिलियन, पाकिस्तान 36 मिलियन, इंडोनेशिया 25 मिलियन और ब्राजील 22 मिलियन का नंबर आते हैं।
एनसीडी रिस्क फैक्टर कोलैबोरेशन की ओर से की गई इस स्टडी को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मदद की। इस स्टडी में 200 देशों को शामिल किया गया। इंपीरियल कॉलेज लंदन के सीनियर ऑथर प्रोफेसर माजिद एज्जती ने बताया कि ये स्टडी डायबिटीज में दुनियाभर की असमानताओं को बताता है। इसमें कई लो और मिडिल इनकम वाले देशों में ट्रीटमेंट रेट काफी स्लो या एक ही जगह रुका है, जिसकी वजह से डायबिटीज मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि यह चिंताजनक है कि इन देशों में इलाज की कमी की वजह से कई मरीजों की जिंदगी में गंभीर परेशानियां बढ़ रही हैं। इसकी वजह से शरीर के किसी हिस्से को नुकसान, दिल की बीमारी, किडनी डैमेज या आंखों की समस्याएं हो रही हैं। कुछ मामलों में तो उम्र से पहले मौत तक का खतरा देखने को मिला है।

Diabetes की रफ्तार बढ़ी
इस स्टडी में बताया कि दुनिया में डायबिटीज के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सन् 1990 से लेकर 2022 तक 32 सालों में 6.8% पुरुष डायबिटिक की संख्या बढ़कर 14.3% पर पहुंच गई। महिलाओं के मामले में ये संख्या 6.9% से बढ़कर 13.9% हो गई है। मतलब दुनिया में डायबिटीज का खतरा दोगुनी तेजी से बढ़ रही है। सबसे अधिक खतरा लो और मिडिल इनकम वाले देशों में देखने को मिला है। कुछ हाई इनकम वाले देश जैसे- जापान, कनाडा, फ्रांस, स्पेन और डेनमार्क ने पिछले 3 दशकों में डायबिटीज रेट में बदलाव नहीं आया है या थोड़ी कमी आई है।
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भारत में पुरुषों में डायबिटीज का अधिक खतरा
इस स्टडी में बताया गया कि भारत में महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही डायबिटीज का खतरा उतनी ही तेजी से बढ़ रहा है। महिलाओं में जहां 1990 में ये रेट 11.9% थी तो 2022 में 24% हो गई है। वहीं, पुरुषों के आंकड़े 11.3% से 21.4% तक पहुंच गए। इसका मतलब जेंडर का इसमें ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है, हालांकि, उनमें इलाज के रेट में मामूली बदलाव आया है। ऐसे में हर किसी को डायबिटीज को लेकर सावधान, चिंतित और अवेयर होने की जरूरत है।