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Lucknow News: केजीएमयू में ‘लेबर एनाल्जीसिया’ पर मास्टरक्लास, 105 पप्रतिभागी रहे उपस्थित

लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के एनेस्थीसियोलॉजी विभाग द्वारा प्रोफेसर डॉ. मोनिका कोहली (विभागाध्यक्ष) के नेतृत्व में लेबर एनाल्जीसिया पर एक दिवसीय मास्टरक्लास का आयोजन किया गया। इस शैक्षणिक पहल का उद्देश्य प्रसव पीड़ा प्रबंधन के प्रति जागरूकता, समझ और आधुनिक प्रसूति एनेस्थीसिया के संदर्भ में इसकी व्यावहारिक उपयोगिता को सुदृढ़ करना था।

कार्यक्रम में डॉ. भारती वाधवा (प्रोफेसर, एनेस्थीसियोलॉजी विभाग, मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली), जो प्रसूति एनेस्थीसिया की जानी-मानी विशेषज्ञ हैं, मौजूद रहीं। उन्होंने ‘लेबर एनाल्जीसिया में उभरती प्रवृत्तियों’ पर मुख्य व्याख्यान दिया, जिसमें ‘वॉकिंग एपिड्यूरल’ और PIEB (प्रोग्राम्ड इंटरमिटेंट एपिड्यूरल बोलस) डिवाइस जैसी नवीनतम तकनीकों पर विशेष रूप से प्रकाश डाला।

Lucknow News: केजीएमयू में ‘लेबर एनाल्जीसिया’ पर मास्टरक्लास, 105 पप्रतिभागी रहे उपस्थित
केजीएमयू में ‘लेबर एनाल्जीसिया’ पर मास्टरक्लास, 105 पप्रतिभागी रहे उपस्थित

इस सीएमई में एनेस्थीसियोलॉजी विभाग के प्रमुख विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिनमें डॉ. ममता हरजाई, डॉ. शिशिर अग्रवाल, डॉ. चेतना शमशेरी, डॉ. मनोज चौरसिया तथा डॉ. कीर्तिका यादव शामिल रहे। प्रमुख वक्ताओं में क्वीन मैरी अस्पताल (केजीएमयू) के प्रसूति एवं स्त्रीरोग विभाग से प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. अंजू अग्रवाल और प्रोफेसर डॉ. रेनू सिंह भी शामिल थीं।

मास्टरक्लास के प्रमुख विषयः

  • मातृ अनुभव और प्रसव परिणामों को बेहतर बनाने में लेबर एनाल्जीसिया का महत्व।
  • वॉकिंग एपिड्यूरल जैसी तकनीकें, जो प्रसव के दौरान महिला की सक्रियता को प्रोत्साहित करती हैं।
  • PIEB डिवाइस जैसी नवीन तकनीकें, जो एपिड्यूरल एनाल्जीसिया की सटीकता और आराम को बढ़ाती हैं।
  • केस-आधारित चर्चाएं और विशेषज्ञ संवाद, जो साक्ष्य-आधारित अभ्यास को बढ़ावा देते हैं।

कार्यक्रम में 105 प्रतिभागियों (डेलीगेट्स) ने हिस्सा लिया। डेलीगेट्स लखनऊ के सात सरकारी एवं निजी मेडिकल कॉलेजों से थे, साथ ही विभिन्न निजी प्रैक्टिशनर डॉक्टरों और प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं (PMHS) से जुड़े चिकित्सकों ने भी भाग लिया। इस अवसर पर बोलते हुए, प्रो. डॉ. मोनिका कोहली ने कहा कि, ‘प्रसव एनाल्जीसिया को प्रसूति देखभाल के नियमित अभ्यास में शामिल करना आवश्यक है ताकि कोई भी महिला सुरक्षित, सम्मानजनक और दर्द-मुक्त प्रसव से वंचित न रह जाए।’ कार्यक्रम में विभिन्न संस्थानों से स्नातकोत्तर छात्र, सीनियर रेजिडेंट्स और क्लीनिशियन्स ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह मास्टरक्लास मातृ देखभाल को सुदृढ़ करने की दिशा में शैक्षणिक उत्कृष्टता और बहु-विषयी सहयोग का एक महत्वपूर्ण प्रयास था।

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