नवजात बच्चों में HMPV का खतरा ज्यादा, Health Expert से जानें ख्याल रखने का तरीका

चीन से फैले ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) की चपेट में अधिकतर बच्चे आ रहे हैं। यह रेस्पिरेटरी डिजीज अधिकतर शिशुओं, छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वालों पर अटैक कर रहा है। इसके लक्षण सामान्य सर्दी या फ्लू की तरह ही हैं। कुछ मामलों में ब्रोंकाइटिस और निमोनिया भी हो सकते हैं।
पीडियाट्रिशियन का कहना है कि दुनियाभर के आंकड़े देखे जाए तो HMPV वायरस के सबसे ज्यादा केस 4-6 महीने के बच्चों में आ रहे हैं। भारत में ज्यादातर मामले भी एक साल से कम उम्र वाले बच्चों में ही देखे गए हैं। चूंकि, इन बच्चों की इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है और ऐसे में वायरस को अटैक करने का मौका मिल जाता है, इसलिए पैरेंट्स को सावधान रहने की जरूरत है।

HMPV से नवजात को होते हैं ये खतरे
न्यू बॉर्न बेबीज में सांस से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। उन्हें सांस लेने में तकलीफ, खांसी, बुखार और जुकाम जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
नवजात बच्चों में HMPV निमोनिया का कारण भी बन सकता है, जो बेहद खतरनाक हो सकता है।
नवजात बच्चों का इम्यून सिस्टम ठीक तरह से विकसित नहीं हो पाती है, इससे वे इंफेक्शन की चपेट में जल्दी आ जाते हैं।
प्री-मेच्योर डिलीवरी से पैदा होने वाले बच्चों में इस वायरस से अस्थमा का खतरा है। उन्हें लंबे समय तक सांस की समस्या हो सकती है।
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बच्चों में इन लक्षणों को न करें अनदेखा
सामान्य वायरल
सर्दी- जुकाम
बुखार की समस्या
सांस लेने में घरघराहट सुनाई देना
नाक बहना, ब्लॉक होना
कफ होना, खांसी आना
चेहरा और शरीर लाल होना

घर पर बरतें ये सावधानियां
अपने हाथ बार-बार साबुन से धोते रहें।
बच्चों के बिस्तर नियमित साफ करें।
बिना हाथ धोए बच्चों को न छुएं।
घर में छोटा बच्चा है तो भीड़भाड़ वाले इलाकों में न जाएं।
खांसते या छींकते समय मुंह-नाक पर रुमाल या टिशू रखें।
फ्लू जैसे लक्षण नजर आए तो खुद को बच्चों से दूर, हो सके तो आइसोलेट रखें।
कमरे में वेंटिलेशन रखें, इससे इंफेक्शन का असर कम होता है।
डॉक्टर से पूछे बिना कोई भी दवा बच्चे को न दें।