दो पहिया वाहन चालकों के साथ उनके पीछे बैठने वाले सहयात्री के लिए भी हेलमेट की अनिवार्यता के बावजूद लोग हेलमेट लगाने से परहेज कर रहे हैं। जबकि हेलमेट लगाने से उन्हीं की सुरक्षा होती है। दौड़ती भागती दुनिया में एक्सीडेंट की खबरें सबसे ज्यादा देखी जाती हैं। आये दिन होने वाली घटनाएं यह बताती हैं कि हमारे लिए हेलमेट कितना आवश्यक है। ट्रैफिक पुलिस लोगों को हेलमेट पहनने के लिए रोक-रोक कह रही है। अक्सर ऐसे सड़क हादसे सुनने में आते हैं, जिनमें दोपहिया वाहन चालक की मौत सिर पर चोट लगने की वजह से हो गई होती है। यही वजह है कि ट्रैफिक पुलिस लोगों को हेलमेट पहनने के लिए रोक-रोक कह कह रही है और बिना हेलमेट गाड़ी चलाने वाले पर चालान काट रही है। कई लोग चालान के डर से हेलमेट खरीद भी रहे हैं, लेकिन वे सड़क किनारे मिलने वाले काम चलाऊ हेलमेट खरीद रहे हैं, जिन्हें पहनने का कोई फायदा नहीं है।
हालांकि, सवाल यह उठता है कि आखिर हेलमेट कैसे हमारे सिर को सुरक्षित रखता है। आज इसी पर बात करते हैं और विशेषज्ञ से जानते हैं कि आखिर दो पहिया वाहनों पर हेलमेट क्यों जरूरी है। यह जानकारी हमारे दर्शकों को देंगे पापुलर न्यूरोसर्जन डॉ. डीके वत्सल।
सबसे पहले आपको डॉ के बारे में बता दें कि वरिष्ठ कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन डॉ डी के वत्सल एक अनुभवी न्यूरोसर्जन हैं जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के विकारों में पारंगत हैं। डॉ वत्सल की योग्यताओं की शानदार सूची जिसमें एमबीबीएस, एमएस (जनरल सर्जरी), एमसीएच (न्यूरोसर्जरी) और डीसीएच की डिग्री शामिल हैं। इन्होंने FICS, FLCS, MNAMS, न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के सदस्य और एसोसिएशन ऑफ स्पाइनल सर्जन ऑफ इंडिया के सदस्य के तौर पर भी अपना योगदान दिया है।
किसी भी टू व्हीलर वाहनों को लिए चाहे वो मोटरसाइकिल हो, चाहे स्कूटर हो औऱ चाहे साइकिल हो, हेलमेट बहुत सारे लोगों की जान को बचाता है। अगर हेलमेट लगा होता है तो हेड इंजरी नहीं होगी और अघर होगी भी तो माइनर होगी, मतलब उसमें जान का खतरा नहीं होगा। हेलमेट लगाने के साथ-साथ अगर हम रोड के नियमों का पालन करें तो दुर्घटना से काफी हद तक बचा सकता है। दुर्घटनाएं नहीं होंगी तो हमारी लाइफ का खतरा भी नहीं होगा, सिर की चोट नहीं आयेगी क्योंकि सिर की चोट लगने के बाद मरीज ठीक हो जाता है। अपने काम पर वापस जा सकता है।
किन किन अंगों से बचाता है हेलमेट?
- डॉक्टर वत्सल के अनुसार, हेलमेट हमारे चेहरे की बोन्स को बचाता है।
- आई इंजरी को काफी हद तक बचाता है।
- हमारे जबड़े वाली बोन्स को बचाता है।
हेलमेट आइएसआई मार्क्ड होना क्यों जरूरी?
वैसे तो दुनिया में बहुत सारी चीजें डुप्लिकेट आती हैं बहुत सी ओरिजनल आती हैं। बहुत से लोग पुलिस के डर से हेलमेट लगा लेते हैं। जबकि वो हेलमेट न होकर टोपी जैसा काम करता है या हम लोग जब कभी वर्कर्स को देखते हैं तो वे पतली फाइबर जैसी टोपी लगाते हैं। जिससे शरीर पर गहरी चोट लगने से बच सकते हैं। पर जब एक्सीडेंट होता है तो बहुत इंपैक्ट के साथ चोट पड़ती है, उसके लिए मजबूत हेलमेट चाहिए होता है। सरकार ने कुछ नार्म्स बनाये हैं उस नार्म्स के हिसाब के जो हेलमेट बनेगा वो आईएसआई मार्क होता है। अगर हेलमेट हमारा आईएसआई मार्क है तो इसका मतलब है कि वो हमारे अनुमान के हिसाब से बना है और वो हमारी चोट को बचायेगा।
फाइबर के हेलमेट, कपड़े के हेलमेट या बहुत पतली पट्टी के हेलमेट से हमारे सिर की चोट नहीं बचती है इसलिए आईएसआई मार्क हेलमेट ही पहनना चाहिए। जिसको हमारी सरकार ने अप्रूव कर रखा है।
हेलमेट से जुड़ी कुछ ऐसी बातें, जिनके बारे में पहले आपने कभी नहीं सुना होगा
➤ सेंट्रल मोटर वीकल रूल्स, 1989 का सेक्शन 138(4) के अंतर्गत दोपहिया वाहन बनाने वालों के लिए खरीदारों को हेलमेट देना मैंडेटरी है।
➤ सेक्शन 129(ए) कहता है कि हेलमेट उन मैटिरियल से बना होना चाहिए जो दुर्घटना के वक्त ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा मुहैया करवाएं।
➤ हेलमेट में आईएसआई मार्क जरूर होना चाहिए। बिना इस मार्क के हेलमेट बेचना अवैध है।
➤ हेलमेट की थिकनेस कम-से-कम 20 से 25 एमएम होनी चाहिए।
➤ हेलमेट का वजन 1.2 किलो के आसपास होना चाहिए।
जाहिर है, हेलमेट सिर्फ आपको पुलिस से नहीं, बल्कि एक्सीडेंट की seviarity से भी बचाता है। इसे पहनकर अगर आप वाहन चलाएंगे तो एक्सीडेंट हो भी जाए, फिर भी आपकी जिंदगी बची रहेगी।