सफलता: अस्थमा-सीओपीडी रोगियों के लिए वैज्ञानिकों को सबसे बड़ी कामयाबी, आप भी जानिए

Asthama-COPD Treatment Success: दुनियाभर श्वसन रोगों के मामले में स्वास्थ्य क्षेत्र पर बड़ा बोझ रहे हैं। क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और अस्थमा जैसी श्वसन संबंधित बीमारियों के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। आंकड़ों से पता चलता है कि हर साल दुनियाभर में अस्थमा के कारण 4.50 लाख और सीओपीडी के कारण 3.5 लाख से अधिक लोगों की जान जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चिंता जताते हुए अनुमान लगाया है कि साल 2030 तक सीओपीडी वैश्विक स्तर पर मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण बन सकता है। सांस से संबंधित ये बीमारियां सभी उम्र के लोगों में देखी जा रही हैं, इसलिए विशेषज्ञ इससे बचाव को लेकर गंभीरता से ध्यान देते रहने की सलाह देते हैं।
हालांकि अब अस्थमा-सीओपीडी रोगियों के लिए राहत भरी खबर सामने आ रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक वैज्ञानिकों की टीम को इसके इलाज में बड़ी कामयाबी मिली है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कारगर इंजेक्शन ढूंढ निकाला है जो अब तक दी जाने वाली स्टेरॉयड की गोलियों से न सिर्फ कहीं ज्यादा प्रभावी है साथ ही इसकी मदद से आगे के उपचार की जरूरत को भी 30 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। अस्थमा-सीओपीडी रोगियों के लिए विशेषज्ञ इसे ‘गेमचेंजर’ मान रहे हैं। बेनरालिजुमैब इंजेक्शन से कम होगा खतरा मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक श्वसन रोगों के उपचार की दिशा में इसे 50 वर्षों में सबसे बड़ी कामयाबी के रूप में भी देखा जा रहा है।
बेनरालिजुमैब इंजेक्शन बना गेमचेंजर | Asthama-COPD Treatment Success
द लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक उपचार के लिए अस्थमा-सीओपीडी रोगियों को एक इंजेक्शन दिया जाएगा जिसके परिणाम काफी आशाजनक देखे गए हैं। बेनरालिजुमैब नामक ये इंजेक्शन मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के रूप में काम करती है। ये इओसिनोफिल्स नामक व्हाइट ब्लड सेल्स को लक्षित करती है जिससे फेफड़ों में सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है। अस्थमा-सीओपीडी रोगियों में फेफड़ों में सूजन के कारण गंभीर जटिलताओं के विकसित होने का जोखिम रहता है।
डॉक्टर बताते हैं, वर्तमान में इसे लो डोज में गंभीर अस्थमा के लिए उपयोग किया जाता रहा है, लेकिन हालिया नैदानिक परीक्षणों में पाया गया है कि अगर अस्थमा अटैक के दौरान ही इसे इंजेक्ट किया जाए तो ये ज्यादा असरदार साबित हो सकती है। विशेषज्ञों ने पाया कि ये मौजूदा इलाज के तरीकों से 30 फीसदी तक ज्यादा कारगर है। इस परीक्षण के लिए 158 लोगों को शामिल किया गया जिन्हें अस्थमा या सीओपीडी अटैक के लिए आपातकालीन चिकित्सा की आवश्यकता थी। इस इंजेक्शन की मदद से लक्षणों और स्वास्थ्य जटिलताओं को कम करने में मदद मिली।

बेनरालिजुमैब इंजेक्शन है असरदार | Asthama-COPD Treatment Success
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने रोगियों को तीन समूहों में बांटा। एक को बेनरालिजुमैब इंजेक्शन और डमी गोलियां दी गईं, दूसरे समूह को स्टैंडर्ड केयर (पांच दिनों के लिए प्रेडनिसोलोन 30 मिलीग्राम प्रतिदिन) और तीसरे सूमह को स्टैंडर्ड केयर के साथ बेनरालिजुमैब इंजेक्शन दी गई। अध्ययन के निष्कर्ष में 28 दिनों के बाद, बेनरालिजुमैब इंजेक्शन लेने वालों में खांसी, घरघराहट, सांस फूलना जैसे लक्षणों में काफी सुधार हुआ। वहीं 90 दिनों के बाद बेनरालिजुमैब ग्रुप वाले लोग अन्य समूहों की तुलना में काफी ठीक हो चुके थे।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ? | Asthama-COPD Treatment Success
किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर मोना बाफडेल कहते हैं, यह अस्थमा और सीओपीडी वाले लोगों के लिए गेम-चेंजर हो सकता है। दुनियाभर में इन दोनों रोगों के कारण ही लाखों लोगों की मौत हो जाती है, बावजूद इसके अस्थमा और सीओपीडी के उपचार में 50 वर्षों में कोई बदलाव नहीं आया था। ये पांच दशकों में मिली सबसे बड़ी कामयाबी है। हमें उम्मीद है कि ये महत्वपूर्ण अध्ययन भविष्य में अस्थमा और सीओपीडी के इलाज के तरीके को बदल देगा, जिससे दुनियाभर में इन रोगों के शिकार एक अरब से अधिक लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा।
