Sunita Williams की स्पेस से नौ महीने बाद वापसी, इन बीमारियों का हो सकता सबसे ज्यादा खतरा!

अंतरिक्ष (Space Station) में फंसी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स की 9 महीने 13 दिन बाद पृथ्वी पर वापसी हो रही है। वह सिर्फ आठ दिनों के लिए स्पेस में गईं थीं, लेकिन वहां फंस गईं। उनके साथ एस्ट्रोनॉट बुच विल्मोर और स्पेस स्टेशन में मौजूद क्रू-9 के दो और एस्ट्रोनॉट भी वापस आ रहे हैं। चारों एस्ट्रोनॉट ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से 19 मार्च की सुबह करीब 3:27 बजे फ्लोरिडा के तट पर लैंड होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि 9 महीने से पृथ्वी के वायुमंडल से दूर रहीं सुनिता विलियम्स जब यहां कदम रखेंगी तो उन्हें किन बीमारियों का सबसे ज्यादा खतरा होगा?
धरती पर चलना-दौड़ना भूल सकती हैं
धरती पर चलने, दौड़ने, उठने या बैठने में मांसपेशियां ग्रैविटी के खिलाफ काम करती है, लेकिन स्पेस में जीरो-ग्रैविटी से मांसपेशियों काम नहीं करती हैं। इससे मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। हर महीने हड्डियों की डेंसिटी करीब 1% तक कम हो जाती है, जिससे पैर, पीठ और गर्दन की मांसपेशियों पर बुरा असर पड़ता है। 1 मार्च, 2016 को अमेरिकी एस्ट्रोनॉट स्कॉट केली और रूसी एस्ट्रोनॉट मिखाइल कॉर्निएंको जब स्पेस में 340 दिन बिताकर वापस लौटे थे तो उनके साथ भी यही दिक्कतें आई थीं।

खड़े होने में आ सकती हैं दिक्कतें
हम सभी के कान और दिमाग में वेस्टिबुलर सिस्टम होता है, जो शरीर का बैलेंस बनाने का काम करते हैं। स्पेस में जीरो-ग्रैविटी की वजह से यह सिस्टम सही तरह काम नहीं करता है, जिसकी वजह से धरती पर वापस आने वाले कुछ एस्ट्रोनॉट्स को कुछ समय तक खड़े होने, बैलेंस बनाने, आंखें, हाथ, पैर जैसे अंग सही तरह बैलेंस नहीं बना पाते हैं। 21 सितंबर, 2006 को अमेरिकी एस्ट्रोनॉट हेडेमेरी स्टेफानीशिन-पाइपर जब 12 दिनों बाद स्पेस से धरती पर लौटीं थीं, तब इस तरह की समस्या हुई थी।
चीजों को जमीन या टेबल पर रखने की बजाय हवा में छोड़ना
स्पेस में लंबे वक्त तक रहने की वजह से एस्ट्रोनॉट्स का दिमाग और शरीर माइक्रोग्रैविटी को अपनाने लगती है। वहां जब किसी चीज को हवा में छोड़ दें तो वह गिरने की बजाय तैरती रहती हैं। यही आदत धरती पर भी लौटने के बाद कुछ समय तक बनी रहती है। नासा (NASA) एस्ट्रोनॉट टॉम मार्शबर्न ने अपने एक इंटरव्यू में स्पेस जर्नी को लेकर इस तरह की बातें बताई थीं।
अंधा होने का खतरा
स्पेस में जीरो-ग्रैविटी की वजह से शरीर का लिक्विड सिर की ओर जाता है, जिससे आंखों के पीछे की नसों पर ज्यादा दबाव पड़ने लगता है। इसे स्पेसफ्लाइट एसोसिएटेड न्यूरो-ओकुलर सिंड्रोम (SANS) भी कहते हैं। धरती पर आने के बाद एस्ट्रोनॉट्स का शरीर एडजस्ट करने की कोशिश करता रहता है, ऐसे में उनकी आंखों पर असर पड़ता है और आंखों की प्रॉब्लम्स या अंधापन तक बढ़ सकता है। कैनेडियन एस्ट्रोनॉट क्रिस हैडफील्ड ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनकी दोनों आंखों में दिक्कतें होने लगी थी, ऐसा लगा था कि अंधें हो जाएंगे।
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इन बीमारियों का भी खतरा
हड्डियों की कमजोरी
ज्यादा रेडिएशन के संपर्क में आने से कैंसर का खतरा
डीएनए को नुकसान हो सकता है
इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है
शरीर की घाव भरने की क्षमता कम हो सकती है
अकेलापन और मानसिक तनाव
नींद की समस्या
फोकस करने में कठिनाई।